Baglamukhi Chalisa – बगलामुखी चालीसा

Baglamukhi Chalisa – ( माता बगलामुखी चालीसा) : बगलामुखी माता हिन्दू धर्म की दस महाविधाओं में से एक हैं। बगला का अर्थ होता है – दुल्हन। यह माता दुल्हन की तरह सुन्दर लगती हैं। इसलिए इन्हे बगलामुखी कहते हैं। इन्हे दुर्गा अथवा काली का रूप भी माना जाता है।

इन्हे पीतांबरा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है पीले वस्त्रों वाली माँ। बगलामुखी माता शक्ति , विजय और यश की प्रतीक मानी जाती हैं। तथा समस्त भारत में इनकी पूजा होती है। (Baglamukhi Chalisa).

बगलामुखी माता के चार हाथ हैं। जिसमे उन्होंने गदा , त्रिशूल और एक कवच पकड़ रखा है। वे शत्रु को हराकर मनुष्य को सुरक्षा प्रदान करती है।

ये माता पीले वस्त्र और आभूषण पहनती हैं। इनका मंदिर भी पीले रंग का होता है। इनकी पूजा के समय पीला दीपक जलाना चाहिए। पीला टीका लगाना चाहिए और पीले रंग के फूल चढाने चाहियें। प्रसाद भी पीला बाँटना चाहिए। इस सब से माता बहुत प्रसन्न होती हैं।

Baglamukhi Chalisa - बगलामुखी चालीसा
Baglamukhi Chalisa – बगलामुखी चालीसा

Baglamukhi Chalisa के लाभ :

बगलामुखी माता की चालीसा पढ़ने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

1. Protection: माँ Baglamukhi Chalisa पढ़ने से आस -पास की नेगेटिव energy दूर हो जाती है। तथा माता हर मुश्किल में व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करती हैं।

2. Victory: यह माना जाता है कि Baglamukhi Chalisa पढ़ने से शत्रुओं की हार होती है। उनके बुरे प्रयास विफल होते हैं। तथा उपासक को हर काम में विजय मिलती है। उसका confidence बढ़ता है। और समाज में यश -कीर्ति मिलते हैं।

3. Speech control: Baglamukhi Chalisa पढ़ने से वाणी पर नियंत्रण होता है। व्यक्ति के मुख से ऐसे शब्द निकलते हैं जिससे सामने वाला कोई भी अहित नहीं कर पाता। और घर में हमेशा शांति रहती है। जिन लोगों को क्रोध ज्यादा आता है उन्हें बगलामुखी चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

4. Improved health: मान्यता है कि Baglamukhi Chalisa से लाइलाज बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं। मनुष्य शारीरिक और मानसिक तौर पर वलबान बन जाता है।

5. Spiritual growth: Baglamukhi Chalisa पढ़ने से हमारा आध्यात्मिक विकास होता है। इस लोक में तो हम सुख भोगते ही हैं , बल्कि परलोक भी सुधर जाता है।

तो दोस्तो, आइये अब Baglamukhi Chalisa पढ़ते हैं और माता का आशीर्वाद लेते हैं।

दोहा (Baglamukhi Chalisa )
सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥

कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥

Baglamukhi Chalisa (चौपाई 1-10)


1. जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

2. बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

3. शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥

4. पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 

5. तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

6. रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥
(स्त्रोत: Baglamukhi Chalisa)

7. आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

8. पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 

9. एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥

10. अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥

.

Baglamukhi Chalisa (चौपाई 11-20)

11. प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥

12. कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 

13. माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

14. धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

15. अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

16. मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥
(स्त्रोत: Baglamukhi Chalisa

17. त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

18. बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

19. पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥

20. सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥ 

.

Baglamukhi Chalisa (चौपाई 21-30)

21. तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

22. दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥

23. फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

24. फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 

25. गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥

26. गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥

27. बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥
(स्त्रोत: Baglamukhi Chalisa)

28. एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 

29. घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥

30. सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥

Baglamukhi Chalisa (चौपाई 31-40)

31. अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥

32. दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 

33. जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥

34. जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥

35. सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥

36. नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥
(स्त्रोत: Baglamukhi Chalisa

37. ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

38. प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥

39. कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

40. पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 

दोहा
सन्तशरण को तनय हूं,
कुलपति मिश्र सुनाम ।

हरिद्वार मण्डल बसूं ,
धाम हरिपुर ग्राम ॥

.

Das Mahavidhyayein (दस महाविधाएँ)

दोस्तो, ऊपर बताया गया था कि बगलामुखी दस महाविधाओं में से एक हैं। आइये अब संक्षेप में जान लेते हैं कि बाकी की दस महाविधाएँ कौन सी हैं। Article: Baglamukhi Chalisa .

हिन्दू धर्म एक अनुसार दस महाविधाएं होती हैं। जो किसी देवी से ही जुडी हुई हैं। इन्हे ब्रम्हा , विष्णु और महेश ने मिलकर बनाया है। ये दस महाविद्याएँ तथा उनकी शक्तियाँ इस प्रकार से हैं :

1) काली – काली विनाश और परिवर्तन की देवी हैं। ये अक्सर उग्र और भयंकर रूप में दर्शाई जाती हैं। उनकी शक्तियों में नकारात्मकता और बाधाओं को नष्ट करने की क्षमता है। वे अपने भक्तों को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान करने में सक्षम हैं।

2) तारा – तारा दया और संरक्षण की देवी हैं। वे जल तत्व से जुड़ी हुई हैं। उनकी शक्तियों में अपने भक्तों को भय मुक्त करने, कार्यों में सफलता देना और मुश्किल स्थितियों से निकलने की क्षमता शामिल है।

3) त्रिपुर सुंदरी (या षोडशी) – त्रिपुर सुंदरी सौंदर्य और समन्वय की देवी हैं। वे भक्तों को आंतरिक सौंदर्य, ज्ञान और आध्यात्मिक दर्शन प्रदान करती हैं। स्त्रोत: Baglamukhi Chalisa .

4) भुवनेश्वरी – भुवनेश्वरी ब्रह्मांड की देवी हैं, और अकाश तत्व से जुड़ी हुई हैं। वे उपासक के हर काम की बाधाओं को हटाने में सक्षम हैं।

5) भैरवी – भैरवी विनाश और उत्कृष्टता की देवी हैं और आग के तत्व से जुड़ी हुई हैं। वे अपनी शक्ति से अज्ञान , नकारात्मकता और अहंकार को नष्ट करती हैं। तथा भक्तों को सांसारिक मुक्ति प्रदान आकृति हैं।

6) छिन्नमस्ता – छिन्नमस्ता स्व-त्याग और उत्कृष्टता की देवी हैं। तथा वायु तत्व से जुड़ी हुई हैं। वे भक्तों को दिमाग की सीमाओं को पार करके नए आविष्कार करने में मदद करती हैं।

7) Dhumavati – धूमावती दुःख और परिवर्तन की देवी हैं। वे धुंए या कोहरे के तत्व से जुड़ी हुई है। वे व्यक्ति के मन और मस्तिष्क से confusion के कोहरे को हटाकर दिशा प्रदान करती हैं। Source: Baglamukhi Chalisa

8) Bagalamukhi – बगलामुखी वाणी और विजय की देवी हैं। वे आकाश तत्व से जुड़ी हुई हैं। वे शत्रुओं, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से भक्तों को सिर्फ वाणी के प्रयोग से मुक्ति दिला देती हैं।

9) Matangi – मातंगी कला और ज्ञान की देवी हैं तथा पृथ्वी तत्व से जुड़ी हुई हैं। उनकी शक्तियों में सृजनशीलता, ज्ञान और बुद्धि देना शामिल हैं। कलाकारों को इनकी उपासना से विशेष फल मिलता है।

10) Kamala – कमला समृद्धि और उन्नति की देवी हैं। वे पृथ्वी तत्व से जुड़ी हुई हैं। उनकी शक्तियों में भौतिक समृद्धि, खुशी और स्वास्थ्य देने की क्षमता शामिल है।

समाप्त।

दोस्तो, यह थी माता बगलामुखी की चालीसा (Baglamukhi Chalisa) . इसके नियमित पाठ से आपको मनचाहा फल मिलता है और जीवन में सफलता मिलती है। धन्यवाद।

.

Leave a Comment