Kali Chalisa – काली चालीसा

Kali Chalisa (काली चालीसा) : काली माता (कालरात्रि) हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण देवी हैं। इन्हे ताँत्रिक और शक्ति पंथ के उपासक बहुत ही श्रद्धा से पूजते हैं। वे शक्ति की देवी हैं और अपने क्रोध के लिए विख्यात हैं।

रूप वर्णन: काली माता का रंग रात के अँधेरे की तरह काला है। उनकी घाघर दानवों की कटी भुजाओं से बनी है। उनके बाल बिखरे हुए हैं। गले में मुंडमाला है। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है। आखें क्रोध से लाल हैं।

उनकी चार भुजायें हैं जिनमे उन्होंने खड़्ग, त्रिशूल, खप्पर, और शूल धारण किया हुआ है। उनकी तीसरी आँख बड़ी होती है और दो आंखों के बीच में स्थित है। काली माता ने यह रूप दानवों का नाश करने के लिए धरा है।

Kali Chalisa - काली चालीसा
Kali Chalisa – काली चालीसा

पूजा का विधान: काली माता की पूजा ज्यादातर रात्रि में की जाती है। नवरात्रि में उनकी पूजा सातवें नवरात्र में की जाती हैं। इन्हे कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। (Article – Kali Chalisa)

पूजा के दौरान उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। और काली चालीसा (Kali Chalisa) पढ़ी जाती है। क्युँकि वे दुर्गा का रूप हैं, इसलिए दुर्गा चालीसा भी पढ़ी जा सकती है।

ऐसा माना जाता है कि काली माता अपने उपासकों को भयभीत करती हैं। ताकि वे अपनी भूलों से सीख लें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लायें।

इसलिए उपासक को काली माता (Kali Chalisa) की पूजा के द्वारा उन्हें प्रसन्न करना चाहिए। इससे उन्हें माता की क्रोधाग्नि से मुक्ति मिलती है और वे सफलता, सुख, और आनंद का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

काली चालीसा पढ़ने के लाभ : (Benefits of Kali Chalisa)

काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ करने से भक्तों को काली माता की कृपा मिलती है। तथा उनकी आर्थिक, शारीरिक, और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है।

काली माता के कुछ उपासक काली चालीसा (Kali Chalisa) का रोजाना पाठ करते है। जबकि कुछ इसे समय-समय पर पढते हैं। काली चालीसा का पाठ करने से भक्तों को जीवन में सफलता, सुख, शांति, और समृद्धि मिलती है।

इसके साथ ही काले जादू, डाकिनी, कर्णपिशाचिनी, बुरी नजर आदि से भी मुक्ति मिलती है।

Kali Chalisa PDF

दोस्तो, आप काली चालीसा को PDF के रूप में यहाँ से ले सकते हैं :

आइये अब काली चालीसा (Kali Chalisa) पढते हैं। और माँ का शुभ आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

दोहा (Kali Chalisa)

जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥

Kali Chalisa (चौपाई 1-10)

अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥


अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥1॥

भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥


दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥


सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥6॥

अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥


भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥

महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥


पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥10॥

Maha Kali Chalisa (चौपाई 11-20)

शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥


तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥

रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥


नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥14॥

कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥


महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16॥

भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
(Kali Chalisa)


आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥18॥

कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥


ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥

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Kali Chalisa Lyrics (चौपाई 21-30)

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥


सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥22॥

त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥


खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥

रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥


तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥26॥
(Kali Chalisa)

ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥


तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥

बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥


करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥30॥

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Kali Chalisa (चौपाई 31-40)

तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥

शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥

मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥


दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥34॥

संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥


प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥
(Kali Chalisa)

काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥


दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥39॥

करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥


सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥

दोहा (Kali Chalisa)

प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥

दोस्तो, काली चालीसा (Kali Chalisa) के नियमित पाठ से दुःख, रोग, संकट, भूत -प्रेत, जादू-टोना आदि व्याधियाँ आपसे दूर ही रहेंगी। और काली माता की कृपा से आपको जीवन में विजय , सुख -समृद्धि और खुशहाली मिलेगी। जय काली माँ।

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P.S: Thanks for reading Kali Chalisa.

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