Saraswati Chalisa | Saraswati Chalisa PDF

Saraswati Chalisa in Hindi (Saraswati Chalisa PDF):

माँ सरस्वती विद्या, संगीत, कला और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। इन्हे दुर्गा और लक्ष्मी के साथ हिंदू देवताओं की तीन प्रमुख देवियों में से एक माना जाता है। (Article – Saraswati Chalisa in Hindi).

उनका रूप अत्यंत भव्य और सुन्दर है। वे श्वेत और निर्मल वस्त्रों से सुससज्जित हैं। उनकी चार भुजायें हैं। अपने हाथों में उन्होंने एक किताब, प्रार्थना की माला, वीणा नामक एक वाद्य यंत्र और कमल का फूल धारणा किया हुआ है। Saraswati Chalisa PDF.

Saraswati Chalisa | Saraswati Chalisa PDF

माता सरस्वती को ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न किया गया है। भारत में शैक्षणिक समारोहों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत ही सरस्वती वंदना से की जाती है। जिसमें दीपक जलाया जाता है तथा माँ की वंदना की जाती है। (Saraswati Chalisa PDF).

माता सरस्वती को शिक्षा, कला, संगीत और साहित्य की संरक्षक देवी के रूप में माना जाता है। वे अपने उपासकों को ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मक प्रेरणा का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

Names of Goddess Saraswati

हिंदू पौराणिक कथाओं में, सरस्वती को कई अन्य नामों से जाना जाता है, जिनमें से प्रत्येक उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। माता सरस्वती के कुछ अन्य नाम इस प्रकार हैं:

1) वाक् देवी: वाणी और वाक्पटुता की देवी।

2) शतरूपा: सौ रूपों वाली देवी।

3) भारती: विद्या और ज्ञान की देवी। (Saraswati Chalisa in Hindi)

4) महाविद्या: महान ज्ञान की देवी

5) वीणापाणि: वह जो वीणा धारण करती है (वीणा सितार के समान एक वाद्य यंत्र है)।

6) विद्यादायिनी: देवी जो ज्ञान और विद्या प्रदान करती है।

7) पुस्तकधारिणी: पुस्तक धारण करने वाली देवी। (Chalisa- Saraswati Chalisa PDF)

8) सारदा: शरद ऋतु और फसल की देवी।

9) ब्राह्मी: हिंदू देवता ब्रह्मा से उत्पन्न हुई देवी।

10) वरदायनी – वरदान देने वाली देवी।

ये सारे नाम माता सरस्वती से जुड़े विविध पहलुओं को प्रकट करते हैं। प्रत्येक नाम उनके व्यक्तित्व और शक्तियों के एक विशिष्ट पहलू को इंगित करता है।

सरस्वती चालीसा के लाभ (Saraswati Chalisa ke labh):

सरस्वती चालीसा देवी सरस्वती को समर्पित 40 छंदों का काव्य या भजन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं।

1) ज्ञान बढ़ता है: सरस्वती विद्या की देवी हैं। उनकी चालीसा का पाठ करने से उपासकों में ज्ञान, बुद्धि -विवेक और रचनात्मकता बढ़ती है।

2) एकाग्रता और स्मृति में सुधार करता है: सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ एकाग्रता, स्मृति और Memory में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। पढ़ाई में कमजोर छात्रों को सरस्वती चालीसा का पाठ जरुरु करना चाहिए। (Saraswati Chalisa PDF).

3) बाधाओं को दूर करता है: सरस्वती चालीसा पढ़ने से शिक्षा, करियर और व्यक्तिगत जीवन की सारी बाधायें दूर होती हैं। और हर कार्य में सफलता मिलती है।

4) Communication Skill सुधार करता है: सरस्वती भाषण और संचार की देवी भी हैं। इसलिए उनकी चालीसा का पाठ करने से Spoken Language और वाक्पटुता में मदद मिलती है।

5) शांति और सकारात्मकता लाता है: जो लोग हमेशा क्रोधित और शांत रहते हैं, सरस्वती चालीसा का पाठ उनके जीवन में शांति, सकारात्मकता और सद्भाव लता है। उन्हें तनाव और चिंता से बेहे छुटकारा मिलता है।

कुल मिलाकर, सरस्वती चालीसा एक शक्तिशाली स्त्रोत है जो माँ सरस्वती के भक्तों, को अनेकों लाभ प्रदान करता है।

Sarswati Chalisa PDF

दोस्तो , आप आगे दिए गए लिंक पर क्लिक करके सरस्वती चालीसा पीडीऍफ़ (Saraswati Chalisa PDF) डाउनलोड कर सकते हैं। इसका प्रिंट लेकर या अपने मोबाइल पर पाठ कर सकते हैं।

दोस्तो, आइये अब कल्याणकारी सरस्वती चालीसा को पढ़ते हैं।

दोहा (Saraswati Chalisa)

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

Saraswati Chalisa (चौपाई 1-10)

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
(Saraswati Chalisa PDF)

वाल्मीकि जी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥

Saraswati Chalisa (चौपाई 11-20)

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥
(Saraswati Chalisa in Hindi)

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
(Saraswati Chalisa PDF)

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥

रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

Saraswati Chalisa PDF (चौपाई 21-30)

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
(Saraswati Chalisa PDF)

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥

Saraswati Chalisa (चौपाई 31-40)

सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
(Saraswati Chalisa in Hindi)

पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
(Saraswati Chalisa PDF)

भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी।

॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

माता सरस्वती तथा ब्रह्मा की कथा :

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि भृगु ने ब्रह्मा को उनके अनैतिक व्यवहार के लिए श्राप दिया था। इसलिए उनका धरती पर मंदिर नहीं बनता और न ही पूजा होती है। सिर्फ पुष्कर, राजस्थान में ही उनका मंदिर है। लेकिन वह भी हर साल बिजली गिरने से फट जाता है। तो यह कथा कुछ इस प्रकार है:

एक बार, ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे। लेकिन वे ब्रह्माण्ड को बनाने में इतने व्यस्त थे कि बने हुए प्राणियों में ज्ञान , विज्ञानं और कला उत्पन्न करने में असमर्थ हो रहे थे। (Saraswati Chalisa PDF).

इसलिए उन्होंने अपनी परिकल्पना से सरस्वती नाम की एक अत्यंत सुंदर देवी बनाई। ताकि वह प्राणियों में ज्ञान और कला आदि का अवलोकन कर सके।

लेकिन जैसे ही ब्रह्मा ने सरस्वती को देखा वे उस पर मुग्ध हो गए। लेकिन देवी सरस्वती ने ब्रह्मा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। वह अपने ज्ञान और कला को आगे बढ़ाने के लिए अकेली रहना चाहती थीं।

मगर प्रेमातुर ब्रह्मा जी ने उसका लगातार उनका पीछा करना जारी रखा। एक दिन ब्रह्मा ने देवी सरस्वती का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचना चाहा । (Blog -Saraswati Chalisa in Hindi)

उसी क्षण ऋषि भृगु वहाँ से जा रहे थे। जब उन्होंने ब्रह्मा को ऐसा करते हुए देखा तो वे उनके ऐसे व्यवहार से अत्यंत क्रोधित हुए। उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि आज से कोई भी उनकी पूजा नहीं करेगा।

माना जाता है कि, ऋषि भृगु के श्राप के कारण भारत में ब्रह्मा के बहुत कम मंदिर हैं। उनकी विष्णु और शिव की तरह पूजा नहीं की जाती।

लेकिन शाश्त्रों में भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि देवी सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री हैं या पत्नी।

सरस्वती माता की पूजा कैसे करें : (Saraswati Chalisa in Hindi)

मंदिर या मूर्ति : अपने घर में सरस्वती माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। मंदिर को फूल, धूप और अन्य प्रसाद से सजा लें।

पूजा : सरस्वती माँ को फूल, धूप, सिंदूर, और हल्दी पाउडर चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में उनके पसंदीदा खाद्य पदार्थ, जैसे कि फल, मिठाई, और सुपारी का भोग लगायें। Saraswati Chalisa PDF.

मंत्र: इसके बाद सरस्वती मंत्रों का जाप करें, जैसे “ओम ऐं सरस्वत्यै नमः” या “सरस्वती महाभागे विद्या कमललोचन,”।

ध्यान: सरस्वती की image का मन ही मन पर ध्यान करें। उनके ज्ञान, रचनात्मकता और ज्ञान के गुणों को याद करें।

भजन – इसके बाद माँ का भजन सुने या गायें।

समाप्त।

दोस्तो, यह थी सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa in Hindi)। आप इस ब्लॉग पर और भी चालीसा पढ़ सकते हैं।

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