Jonathan Livingston Seagull हिंदी में summary: पढ़िए – भीड़ से अलग सोचने वाला एक
Seagull पक्षी कैसे एक दिन महान adventurer बन जाता है।
Author: Richard Bach
Jonathan Livingston Seagull
(Summary in Hindi)
इस किताब के निम्न भाग हैं :
Part One
Jonathan Livingston नाम का एक seagull अपनी प्रजाति के दूसरे पक्षियों के साथ रहता था। लेकिन वह अपनी जिंदगी से तंग आ चुका था।
उसे लगता था जैसे वह एक ही दिन को हर रोज बिता रहा हो। वही दिन में खाना खाना और रात को सो जाना।
वह सोचा करता था कि सब seagull लम्बी और ऊँची उड़ान क्यों नहीं भरते। इस जगह से आगे जाने की क्यों नहीं सोचते। ये सब यहीं जन्मे हैं और यहीं मर जायेंगे। इस तरह का जीवन कितना बोरिंग है।
कितना अच्छा होता अगर वे सब बाकी दुनिया भी देख पाते। यह सब सोचकर Jonathan ने अपने आप ही ऊँचा उड़ने की practice शुरू कर दी। उसने बाकी पक्षियों की तरह जीवन बिताने से मना कर दिया।
उसके विचार दूसरों को अच्छे नहीं लगे। सब अलग सोचने के कारण उसकी निंदा करने लगे। एक दिन सब पक्षियों ने मिलकर उसे बायकाट कर दिया। और उस जगह को छोड़कर चले जाने को कहा।
लेकिन Jonathan ने हिम्मत नहीं हारी। वह प्रतिदिन ऊँचा और ऊँचा उड़ने की कोशिश करता रहा। एक दिन उसे लगा जैसे वह इससे ऊँचा नहीं उड़ पायेगा।
तभी उसे दो नए seagull मिले। उन्होंने उसे इतना ऊँचा उड़ना सीखने के लिए बधाई दी। और कहा कि अब वे उसे उड़ने के और भी तरीके सिखायेंगे।
वे उसे एक नयी जगह ले गए। Jonathan ने देखा कि वहाँ ऐसे seagulls रहते थे जो उसी की तरह ऊँचा उड़ने की सोच रखते थे। यह देखकर उसे बहुत ख़ुशी हुई।
Part Two ( Jonathan Livingston Seagull summary in Hindi )
Jonathan को वहाँ Chiang नाम का एक seagull मिला। वह उसका mentor बन गया। उसने उसे जिंदगी की बहुत सी बातें सिखाईं।
उसने कहा – 1) भीड़ से अलग सोचना सफलता के लिए आवश्यक है। बहुत से लोग भेड़ -चाल में चलते हैं इसलिए सफल नहीं हो पाते। कुछ अलग सोचना सफलता पाने की दिशा में पहला कदम है।
2) उसके पश्चात व्यक्ति को अपने उस idea पर लगातार काम करना चाहिए। लगातार practice करके उसमें महारत हासिल की जा सकती है। जैसे किसी को अगर runner बनना है तो लगातार एक नियम बनाकर कई सालों तक अभ्यास करना चाहिए। ऐसा किसी भी क्षेत्र में किया जाना चाहिए।
3) लोग अलग सोचने वाले आदमी की निंदा भी करेंगे। और शुरू में असफलता भी मिलेगी। लेकिन इस सब के बाबजूद उसे धुन का पक्का होना चाहिए। और तब तक जुटे रहना चाहिए जब तक सफलता न मिले।
Blogging में भी ऐसा होता है। बहुत से लोग 6 महीने में ही भाग जाते हैं। जबकि blog को सफल होने के लिए एक या दो साल लग जाते हैं।
थोड़ा ही सही रोज लिखना चाहिए। ववत देखते ही देखते बीत जाता है। और एक दिन साल भी बीत जायेगा। जो जुटा रहता है उसी का blog सफल होता है।
चाहे आपका कुछ भी interest हो, उसमें सालों साल लगे रहने ही सफलता का रहस्य है।
4) जो थोड़ी सफलता प्राप्त कर लेता है। फिर दूसरे उसकी मदद करने लगते हैं। जिससे उसे और सफलता मिलती है।
ऐसा ही Jonathan के साथ हुआ था। वह ऊँचा उड़ना चाहता था। उसे इसके लिए प्रैक्टिस करना शुरू किया।
बाकी पक्षियों ने उसकी निंदा की। लेकिन वह जुटा रहा।
जब वह सच में बाकियों से ज्यादा ऊँचा उड़ने लगा तो उसके जैसे दूसरे उससे प्रभावित हो गए। और उसकी और ज्यादा मदद करने लगे।
Part Three (Jonathan Livingston Seagull Hindi)
कुछ सालों की मेहनत के बाद Jonathan सबसे ऊँची और लम्बी उड़ान भरने वाला Seagull बन गया। उसके गुरु ने उससे कहा कि हमेशा humble रहना और अपने interest पर काम करते रहना।
इसके साथ ही दूसरों को माफ़ करने की क्षमता भी अपने अंदर रखना। क्यूँकि दूसरे अपनी बुद्धि के मुताबिक ही तर्क करते हैं।
वे हमारे टैलेंट को सही से आँक नहीं पाते। उनकी निंदा ही हमारी सफलता का करना बनती है। यह सब सुनकर Jonathan अपने घर अपने लोगों (पक्षियों) के पास लौट आया।
उसने वहाँ और seagulls जो ऊँचा उड़ने के ख्वाब देखा करते थे , उन्हें सिखाना शुरू कर दिया। वह teacher के साथ -साथ student भी बना रहा। अब वह जीवन में बहुत खुश और संतुष्ट था।
Part Four (Jonathan Livingston Seagull)
लेखक ने यह पार्ट बाद में लिखा था।
Jonathan और बाकी seagulls लम्बी यात्राओं पर निकल गए थे। उनकी जगह नए teachers आ गए थे।वक़्त के साथ – साथ Jonathan की philosophy ने अपना meaning ही खो दिया था।
नए टीचर्स practice की जगह philosophy पर घंटो चर्चा करते थे। और खुद को पंडित समझते थे। सब कुछ complicate कर दिया गया था। Assignments और परीक्षा अदि में time -waste किया जाता था।
Jonathan का नाम लेकर वे खुद को महान समझते थे। जबकि Jonathan ने हमेशा कर्म किया था , बातें
नहीं। (ऐसे ही आजकल बहुत सी political parties करती हैं। जिस vision के साथ वे शुरू हुई थीं, वह कहीं
खो चुका है। उनके followers अब सिर्फ स्वार्थ -साधने में लगे हैं।)
इस सब से तंग आकर कुछ seagulls ने ऐसे system को नकार दिया।
Anthony नाम का Seagull उनसे अलग हो गया। और खुद ही ऊँचा उड़ने की practice करने लगा। धीरे -धीरे वह लम्बी उड़ान भरने लगा।
एक दिन वह उड़ते -उड़ते एक नयी जगह पहुँचा। वहाँ उसने समुन्दर के किनारे एक Seagull को बेहतरीन करतब करते देखा।
Anthony उसे देखकर बेहद प्रभावित हुआ। उसने उस Seagull के पास जाकर पूछा – आपका नाम क्या है ?
Seagull ने उत्तर दिया – Jonathan .
समाप्त।
PS : दोस्तो, आपका परिवेश कैसा भी हो आपको life में आगे बढ़ने की सोच रखनी चाहिए। और कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए। यही इस किताब Jonathan Livingston Seagull summary in Hindi का moral है।
Good
Thanks for the feedback