Rework Book Summary in Hindi

Self-help book Rework Summary in Hindi – इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे कि क्यों आपको startup की जगह पहले business शुरु करना चाहिए और फिर धीरे -धीरे उसे scale – up करना चाहिए। इस से आपका startup कभी भी fail नहीं होगा।

Author: Jason Fried

ReWork Book Summary in Hindi
(ReWork Book Summary in Hindi)

दोस्तो, हर कोई कभी न कभी अपना startup लगाने की सोचता है। लेकिन बहुत से लोग इसे गलत तरीके से शुरू करते हैं।

इसलिए लगभग 95 % startups शुरु होने के तीन महीने में ही दम तोड़ देते हैं। इसलिए अगर आपका dream भी कभी अपना startup शुरू करने का है तो इस किताब को जरूर पढ़ें।

इसे Jason Fried ने लिखा है जो Basecamp नाम की कंपनी के मालिक हैं। जो बड़े -बड़े बिज़नेस प्रोजेक्ट handle करने का काम करती है। Basecamp शुरू करने के दौरान Jason को जो experience हुए थे, उन्ही के आधार पर उन्होंने यह किताब लिखी है।

इस किताब के बारे में जाने -माने अमेरिकन इन्वेस्टर Mark Cuban ने कहा था कि अगर उनके सामने दो लोग हों और उनमें से एक ने MBA किया हो और दूसरे ने Rework किताब पढ़ी हो, तो वे उसे choose करेंगे जिसने Rework पढ़ी होगी।

तो इस से आपको इस किताब का importance समझ में आ ही गया होगा। आइये अब इस किताब की summary पढ़ते हैं।

ReWork (Book Summary in Hindi)

इस किताब के chapters की summary इस प्रकार से है :

1) Scratch your own itch
(अपनी समस्या को खुद हल करें)

दोस्तो, अगर आपको किसी product का idea नहीं मिल रहा हो तो सबसे पहले यह देखो कि आपको क्या
problem है। फिर उस problem का solution ढूँढ़िये।

तो वही solution आपका product बन सकता है।

इसी को author ने scratch your itch कहा है। Itch का मतलब आपकी problem हुई। और उसे मिटाना
solution हुआ।

आइये इसे दो example से समझते हैं :

Nike – जूतों की famous कंपनी Nike के बारे में तो हम सब जानते हैं। लेकिन उसके शुरू होने का किस्सा
बहुत रोचक है।

अमेरिका के athletics के कोच Bill Bowerman ऐसे जूते ढूँढ रहे थे जो बेहद strong तो हों लेकिन बेहद
हल्के भी हों। उन्होंने बहुत ढूँढा लेकिन ऐसे जूते नहीं मिले।

इसलिए उन्होंने अपनी वर्कशॉप में leather और iron का उपयोग करके खुद ही ऐसे जूते design कर दिए। इस तरह उन्होंने अपनी problem खुद ही solve कर ली।

इन जूतों से athletes की running speed बहुत बढ़ गयी। और इस तरह Nike जैसी कंपनी शुरू हो गयी जो आगे चलकर पूरे world में फैल गयी।

तो दोस्तो, Bill की प्रॉब्लम थी अच्छे running जूतों का न होना और उन्होंने उसी का solution निकाला। जो उनका प्रोडक्ट बन गया।

Otis – आप सब ने life में कभी न कभी lift ya elevator का इस्तेमाल तो किया ही होगा। इसका आविष्कार Elisha Otis ने किया था। इसलिए लिफ्ट को Otis भी कहते हैं।

वास्तव में उन्हें हर दिन बहुत सी सीढियाँ चढ़नी पड़ती थीं। जिस से वे परेशान हो गए थे। इसी परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंने lift का निर्माण करने की सोची। आज सारी दुनिया उनके इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती है जो कभी उन्होंने अपने लिए बनाया था।

इसलिए दोस्तो, आप भी देखिये कि आपको किसी काम में क्या परेशानी होती है। और फिर उसका solution ढूँढ़ने में जुट जाइये। हो सकता है कल को आपके product भी सारी दुनिया में इस्तेमाल होने लगें।

2) Start a Business not Startup
(बिज़नेस शुरू करें स्टार्टअप नहीं)

दोस्तो, आजकल के युवाओं द्वारा startup शब्द का इस्तेमाल, एक फैशन जैसा हो गया है। जिसे देखिये यही कहता मिलेगा – यार मैं startup लगाना चाहता हूँ।

जब लोग startup लगाते हैं तो शरू में ही expensive equipment खरीद लेते हैं। Product की advertisement में पैसा waste करने लगते हैं। और बहुत सी funding भी जुटा लेते हैं। ज्यादा funding लेने से उन्हें investors के इशारों पर नाचना पड़ता है।

उनका खुद का vision खो सा जाता है।

इसलिए लेखक कहते हैं कि startup और entrepreneur जैसे fancy शब्दों के भ्रम से दूर रहे। बल्कि खुद को एक बिजनेसमैन की तरह देखें।

इसके लिए आपको न कोई डिग्री चाहिए न ही सूट – बूट। ज्यादा पचड़ों में पड़े बिना, अपना बिज़नेस directly स्टार्ट कर दीजिये। जो कुछ आपके पास है उसी का उपयोग करिये। फिर धीरे -धीरे बिज़नेस को scale – up करते जाइये।

जैसे शुरू में Android का बहुत ही simple सा version लॉंच हुआ था। इसके बाद popular होने के बाद उसमें update होते गए। और अब तो आये दिन नए -नए version आते रहते हैं।

इसी तरह अगर आपको कहीं speech देनी हो तो पहले 10 – 20 लोगों के बीच दे सकते हो। फिर 100 लोगों के बीच। और फिर बड़ी भीड़ के सामने।

इस से आपको कभी भी public speaking से डर नहीं लगेगा। और आप एक perfect speech दे पाएँगे।

ऐसी ही शुरू में बहुत सी funding लेकर बहुत से लोगों को product न बेचें। इस से आपके product में कोई भी quality नहीं आ पायेगी।

शुरू में कुछ ही लोगों को अपना product बेचें। उनका feedback लें। और improve करते जाएँ। अगर लोगों को आपका product पसंद आ गया तो वे खुद ही दूसरों को बता देंगे।

आपको अपने product को advertisemnet नहीं करना पड़ेगा। और आपका बहुत सा पैसा बच जायेगा।

इस startegy का सबसे अच्छा example राधाकिशन दमानी जी हैं। जिन्होंने Dmart का पहला स्टोर मुंबई के Powai में शुरू किया था। जब वह चल निकला तो उस से जो profit हुआ उस से उन्होंने और store खोल लिए।

इसी तरह आज उनके सारे India में 300 से भी ज्यादा store हो चुके हैं। और वे Billionaire बन चुके हैं। इसलिए Startup जैसे fancy शब्दों से बचें। और अपने प्रोडक्ट को business की तरह बेचना शुरू कर दें।

3) Start at the Epicenter
(मुख्य बिंदु से शुरू करें)

जब भी आपको business start करना हो तो epicenter से स्टार्ट करें। जिसका मतलब है सबसे जरूरी चीज पर फोकस करें। जैसे अगर आपको रेस्टोरेंट शुरू करना है तो सबसे जरुरी चीज कौन सी होगी – tasty food या शानदार फर्नीचर ?

सबको पता है कि food बहुत अच्छा होना चाहिए। तो यहाँ फ़ूड ही epicenter हुआ। आपको पता ही होगा, कि अगर food item अच्छी होती है, तो लोग सड़क किनारे से भी खरीद कर खाते हैं।

लेकिन बहुत से लोग उल्टा करने लग पड़ते हैं। वे epicenter पर ध्यान न देखर दूसरी फालतू चीजों पर ध्यान देने लगते है। जैसे रेस्टोरेंट की decoration पर खूब सारा पैसा खर्च कर देंगे।

जबकि उन्हें वह पैसा अच्छे chef और food की quality पर खर्च करना चाहिए।

मान लीजिये अगर आपको घर बनाना हो तो सबसे पहले क्या करोगे। तो सबसे पहले basic structure बनाया जाता है। Fancy lights और फर्नीचर आदि तो बाद की बात है।

इसलिए पहले central या main item पर फोकस कीजिये। तभी आपका बिज़नेस सफल होगा।

4) Pour yourself into the product
(पूरी लगन से प्रोडक्ट बनायें) (Rework Book Summary in Hindi)

लेखक कहते हैं कि आपके प्रोडक्ट में आपकी personality नजर आनी चाहिए। आप अपने प्रोडक्ट को refine करने के लिए उसमें पूरी तरह से रम जाइये। उसे इतना अच्छा बना दीजिये कि competition अपने आप ही खत्म हो जाए।

आपने देखा होगा कि जब आप किसी कंपनी के कस्टमर केयर में बात करते हैं तो वे लोग robot की तरह बात करते हैं। उनमे कोई human touch नहीं होता।

इसके उल्टा Zappos नामकी जूतों की कंपनी जब शुरू ही हो रही थी तो उनके कस्टम केयर की सब मिसाल देते थे। उनके कर्मचारी आपसे दोस्त की तरह बात करते थे और आपकी complaint पर जल्दी से react करते थे।

इस से customer को बहुत ही अच्छा user experience मिलता था। इस तरह Zappos के owner ने अपने product को एक personal touch दिया था। और आगे चलकर वह एक बहुत बड़ी कंपनी बन गयी और उसे amazon ने खरीद लिया था।

5) Avoid meetings
(ज्यादा मीटिंग्स न करें)

दोस्तो, बेवजह की meetings दूसरों का बहुत सा time waste करती हैं। ज्यादातर लोग meetings में सिर्फ अपना opinion रखने के लिए आते हैं।

वे दिखाना चाहते हैं कि वे बहुत महान सोचते हैं। लेकिन इस तरह सब लोग अपना -अपना opinion रखते हैं
और असली काम को कोई दिशा नहीं मिल पाती।

इसके अलावा intelligent लेकिन shy लोग ज्यादा बात नहीं करते हैं। और उनका valuable point कोई नहीं सुनता। इसलिए अच्छा है कि ज्यादा meetings avoid करें।

लेकिन हाँ meetings को पूरी तरह से भी हटाया नहीं जा सकता। Otherwise आप employees से feedback नहीं ले पाएँगे।और work progress का भी पता नहीं चलेगा। इसलिए कम meetings रखें और उनका time भी सीमित कर दें ताकि time – waste न हो। Meeting के शुरू में ही timer लगा दें। जैसे ही alarm बजे meeting खत्म कर दें।

6) Keep it simple

जब सभी companies RAM और GHZ के बारे में बड़ी -बड़ी बातें कर रही थे, उसी समय Steve Jobs अपना iPod लेकर आ गए। उनका बहुत ही simple moto था – 1000 songs in your pocket.

और लोगों ने धड़ा-धड़ ये product खरीदना शुरू कर दिया।

इसलिए दोस्तो, अपने customers के लिए चीजों को आसान रखिये। चाहे अंदर कितनी भी complex technology का इस्तेमाल किया गया हो। लेकिन product बहुत ही user – friendly होना चाहिए।

7) Fail many times
(असफलता के लिए तैयार रहें)

बहुत से लोग फेल होने से इतना डरते हैं, कि वे कुछ शुरू ही नहीं कर पाते। जबकि author कहते हैं failure एक possibility नहीं होती बल्कि necessity होती है।

हर सफल आदमी के पीछे बहुत से failure होते हैं। जो लोगों को नजर नहीं आते। इसलिए आप fail होने से मत डरिये।

बल्कि यह सोच बनाइये कि मैं बार -बार fail होने के लिए तैयार हूँ। हर failure आपको कुछ न कुछ सिखा कर जायेगा।

बस उस सीख को अपना कर अपनी गलती को सुधारिये। और अपने product आदि को improve कीजिये।लेकिन हमेशा आगे की और बढ़ते रहिये।

8) Hire less employees -(Rework Book Summary in Hindi)

दोस्तो, शुरू में जितने employees जरुरी हों उतने ही hire कीजिये। और सिर्फ quality employees ही hire कीजिये। क्युँकि inefficient employees आपकी कंपनी के लिए घातक सिद्ध होंगे।

Hire करते समय आप सिर्फ उनकी qualification पर ध्यान मत दीजिये। बल्कि उनके द्वारा लिखे गए cover letters को भी ध्यान से पढ़िए।

जिस से आपको पता चलेगा कि उनके सोचने का ढंग कैसा है। क्या उन्होंने वह खुद लिखा है या कहीं से copy – paste कर लिया है।

इसके साथ यह भी देखिये कि marks के अलावा उन्होंने लाइफ में और क्या -क्या कर रखा है। Hire करने के बाद आप employees को free -hand दीजिये। हर चीज में मीन -मेख मत निकालिये।

उन्हें ऐसा लगना चाहिए कि आप उन पर पूरा trust कर रहे हैं। इस से employee पूरी लगन से काम करेगा।

समाप्त।

दोस्तो, ऊपर दिए गए सब principles को अपना startup शुरू करते समय जरूर ध्यान में रखें। इस से आप एक सफल entrepreneur बन पाएँगे।

कृप्या इस book summary (Rework Book Summary in Hindi) को अपने दोस्तों के साथ share करें।

धन्यवाद।

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