Digital Minimalism summary in Hindi

आज इस किताब Digital Minimalism (summary in Hindi) में पढ़िए कैसे social media और
cell phone का ज्यादा इस्तेमाल आपकी mental health को प्रभावित कर रहे हैं। यह भी जानिए
कि कैसे इस addiction से निजात पाकर आप अपनी creativity बढ़ा सकते हैं।

Author: Cal Newport

Digital Minimalism summary in Hindi

Digital Minimalism
(Summary in Hindi)

Mark Zuckerberg ने जब Facebook बनाई थी तो उन्होंने सोचा था कि यह आपको देश -विदेश के दोस्तों से connect करके रखेगी।

लेकिन हुआ क्या ?

इसने आपको अपने ही घर में, आपकी family से दूर कर दिया। दूसरों के photos like करने और posts पढ़ने में हम इतने busy रहने लगे हैं कि अपने family members से बात तक नहीं करते।

ऐसे ही मोबाइल फ़ोन की invention के साथ था।

Inventor ने सोचा था आपको अपने लोगों से बात करने में सुविधा होगी।

लेकिन आज इस पर हर second आने वाले फालतू के notifications social media आदि ने आपको एक ऐसे जाल में फंसा कर रख दिया है जो आपको नजर भी नहीं आता होगा।

न चाहते हुए भी आप बार -बार फ़ोन check करते हैं। कि कहीं कोई ‘जरूरी notification तो नहीं आया है। या कोई update छूट न जाये।

फालतू के messages से आपके दिमाग में फालतू के thoughts आते हैं। और आपके creative thoughts के लिए जगह ही नहीं बचती।

इस तरह आज की generation अपनी creative intelligence खोती जा रही है।

इस तरह से ये कुछ भी नया invent नहीं कर पायेंगे।

कई सदियों पहले Newton, Einstein, Chekhov, Picasso आदि ने बिना internet, social media , Phone आदि के इतनी महान रचनायें कीं।

इसका कारण यही था कि उनके दिमाग को distract करने के लिए ये चीजें मौजूद ही नहीं थी।

इसलिए आज की date में अगर आपको अपनी mental health को ठीक रखना है और creativity को भी बढ़ाना है, तो digital minimalism अपनाना होगा।

नीचे Cal Newport की लिखी किताब digital minimalism की summary दी गयी है।

पढ़िए और जानिए की आखिर digital minimalism है क्या !

Digital Minimalism क्या है ?

दोस्तो, एक बार अपने फ़ोन को check कीजिये।

आप देखेंगे कि सारे का सारा फ़ोन तरह -तरह की Apps से भरा पड़ा है।

समय -समय पर इन Apps की notifications आती रहती हैं।

इन्हे update करना पड़ता है।

Advertisements आती हैं। इस सब से जाने -अनजाने आपका दिमाग परेशान होता रहता है। कई बार आपको यह feel भी नहीं होता।

इस सब से आपकी मानसिक शांति भी खो जाती है।

बहुत से लोगों को depression और insomnia आदि रोग भी हो जाते है।

इसी को देखते हुए digital minimalism का concept प्रचलति हुआ है।

Digital minimalism का मतलब है कम से कम digital चीजों जैसे सोशल मीडिया, Apps , या mobile phone का इस्तेमाल करना।

दोस्तो, जैसे सिगरेट और शराब की addiction लग जाती है, वैसे ही आपको सोशल मीडिया आदि की addiction हो जाती है।

फिर आप इन सब के बिना रह नहीं पाते। आपको cravings होने लगती हैं।

अक्सर हम FB और Instagram पर photos upload करते हैं।

फिर बार -बार check करते हैं कि कितने likes आये हैं। किसने क्या comment किया है।

हम अपने self esteem के लिए दूसरों के comments और likes पर निर्भर रहते हैं।

कई बार दोस्तों के vacations के फोटोज देखकर लोगों को बहुत jealousy feel होती है। वे अपनी life को उनसे compare करने लगते हैं।

बहुत से इससे depress हो जाते हैं। और अपनी जिंदगी को बेकार समझने लगते हैं। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं होता। सबकी अपनी problems हैं और सबकी अपनी खुशियाँ।

इसलिए सबको digital minimalism अपनाने की जरुरत है।

आगे आप इसके principles के बारे में जानोगे।

और कैसे आप digital minimalist बन सकते हो, यह भी बताया गया है।

The Principles of Digital Minimalism

लेखक ने digital minimalism के तीन principles बताये हैं। जो इस प्रकार से हैं :

1) Thoreau’s New Economics

यह principle कहता है कि किसी भी वस्तु की कीमत पैसे से नहीं बल्कि उसे पाने के लिए आपकी कितनी जिंदगी कुर्बान हुई है, इस बात से लगाना चाहिए।

जैसे आप कार खरीदते हैं तो इसकी कीमत जरुरी नहीं कि सिर्फ पैसा है ।

बल्कि आपने उसके लिए दिन रात कितना काम किया।

Loan भरने के लिए कितनी चिंता की -आदि। यह सब भी उस कार की कीमत में शामिल होते हैं।

इसी तरह social media और digital products के साथ है।

हम सोचते हैं कि Facebook से हमें बहुत आनंद आ रहा है। लेकिन हम यह नहीं जानते कि इससे हमारी self – esteem को कितनी हानि हो रही है।

हमारे परिवार के लोग हमसे दूर हो रहे हैं।

हमारा time waste हो रहा है। हम focus नहीं कर पा रहे।

और हमारी creativity भी खत्म हो रही है।

क्युँकि हमारे दिमाग में दूसरो की posts या message आदि का clutter (कबाड़ ) इक्कठा हो रहा है।

इसलिए जिस वस्तु की जितनी value आप समझते हैं उतनी सच में नहीं होती। क्युँकि हम उसके नुक्सान तो गिनते ही नहीं।

2) The Return CurveDigital Minimalism in Hindi

हम ज्यादातर चीजें इसलिए खरीदते हैं ताकि उनसे कुछ return अर्थात लाभ मिल सके।

हालाँकि social media और digital apps फायदा तो देती हैं लेकिन उनके overuse से हमें उनकी addiction लग जाती है।

और तरह -तरह की समस्या पैदा हो जाती है।

Digital चीजों की सबसे बड़ी समस्या है कि वे दिमाग में clutter पैदा करती हैं। और हमारे creative thoughts को मार देती हैं।

मान लीजिये कोई लेखक अपना novel लिख रहा हो और तभी वह twitter पर कोई political news check करने लगता है तो क्या होगा।

उसके दिमाग में तरह -तरह के फालतू के विचार आ जायेंगे।

वह सोचेगा कि संसार में क्या चल रहा है। यह पार्टी कितने गलत काम कर रही है।

इसके वजाय यह होना चाहिए। वह होना चाहिए आदि।

इस तरह से उसके अपने विचार कहीं खो जायेंगे।

उसका focus कहीं और चला जायेगा। और वह अपने नावेल पर ठीक से केंद्रित नहीं कर पायेगा। उसके पास creative ideas भी नहीं आ पायेंगे। क्युँकि उसने दिमाग कहीं और लगा दिया।

इसलिए हमेशा सोचें कि किसी भी App या social media के इस्तेमाल से आपको क्या फायदा हो रहा है।

कहीं फायदे की अपेक्षा नुक्सान तो ज्यादा नहीं हो रहा।

3) The Amish Hacker

अमेरिका में Amish लोगों की community रहती है।

ये लोग technology से दूर रहते हैं।

अभी भी यह हाथ से खींचे जानी वाली गाड़ी का प्रयोग करते हैं।

Phone आदि का भी इस्तेमाल नहीं करते।

ये लोग बहुत ही सादा जीवन जीते हैं और लम्बी आयु जीते हैं।

इन्हे कभी anxiety या depression नहीं होता।

तथा ये परिवार के साथ घुल -मिल कर रहते हैं।
और हमेशा खुश रहते हैं।

क्युँकि इनके पास एक दूसरे से बात करने का हमेशा समय होता है।

लेखक कहता है कि आप भी Amish लोगों से सीख सकते हैं।

आपके फ़ोन में जो भी Apps हैं, आज ही उनमें से ज्यादातर को हटा दें।
Phone का इस्तेमाल कम से कम कीजिये।

लेखक ने यह steps करने के लिए कहा है।

1. आप तीस दिन तक technology से दूर रहने का प्रयास कीजिये।

2. इन तीस दिनों में आप नयी skills या hobbies सीखिए।

3. इसके बाद केवल उन digital चीजों का इस्तेमाल कीजिये जो सच में
जरुरी हों। और उनके इस्तेमाल का time भी कम कर दीजिये।

जैसे Netflix पर हमेशा कुछ न कुछ देखने के बजाये दिन में 1 घंटा देखें।

Practices to Adopt

Digital Minimalism अपनाने के लिए लेखक ने कहा है कि निम्न चीजों की practice कीजिये।

1.Leave Your Phone at Home

आजकल हर कोई चौबीस घंटे फ़ोन से चिपका रहता है।

इससे कई खतरे होते हैं।

Radiations तो आप पर प्रभाव डालती ही हैं, आप हर दो second में फ़ोन check करके दिमाग को परेशान करते रहते हैं।

इसलिए कभी बाहर जाएँ तो फ़ोन को साथ न ले जायें।

देखें कि इससे आप पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

आप देखेंगे कि आपका brain फ़ोन के बिना बहुत शाँत रहेगा। क्युँकि इसे आप फालतू के कामों में नहीं लगायेंगे।

जब जरूरी हो तभी फ़ोन साथ रखें।

2. Take Long Walks

हर दिन लम्बी walk पर जाएँ।

आपके साथ न फ़ोन हो न ही कोई और व्यक्ति। अकेले जाएँ।

Nietzsche नाम के philosopher ने कहा है कि सारे महान thoughts walk करती बार ही आते हैं।

क्युँकि उस समय आपका दिमाग शांत होता है। और creativity अपने चर्म पर होती है।

Walk से आने के बाद वे अपने सब नए विचारों को अपनी डायरी में लिख लेते थे। इस तरह उन्होंने philosophy की कई किताबें लिखीं।

इसलिए आप भी घूमने की आदत डालिये।

यह आपके दिल और दिमाग दोनों के लिए अच्छा है।

Write Letters to Yourself

जब फ़ोन नहीं होता था तो सब एक दूसरे को letter लिखते थे। लेकिन अब वह culture ही खत्म हो गया है।

Letter लोग काफी सोच -विचारकर लिखते थे।

यह brain के लिए अच्छी exercise का काम करता था।

इससे उन्हें अपने अंदर के विचार समझने में आसानी होती थी।

लेकिन आज के time में कोई भी दूसरे को letter नहीं लिखता।

लेखक ने कहा है की डायरी में आप अपने आप को पत्र लिखिए।

आप अपने goals या hobbies के बारे में लिख सकते हैं।

आप क्या मह्सूस कर रहे हैं इसके बारे में लिखिए।

आपको अपने goals को ठीक से समझने में आसानी होगी।

इससे धीरे -धीरे आपकी creativity भी बढ़ती जाएगी।

Reclaim Your Conversations – (Digital Minimalism Hindi summary)

आजकल fake conversation का जमाना चल पड़ा है।

हर कोई एक दूसरे को Whatsapp करके सोचते हैं उन्होंने conversate कर लिया है।

लेखक कहते हैं कि text message भर कर देना true conversation नहीं है।

असली conversation face to face होती है। जिसमें सामने वाले के emotions दिखते हैं। और human warmth का भी एहसास होता है।

इसलिए तो इतने सारे gadgets से घिरे होने के बाद भी हम खुद को अकेला महसूस करते हैं।

क्युँकि हमारे चारों ओर digital media की दीवारें खड़ी हो गयी हैं।

अगर किसी का देहांत होता है तो लोग जल्दी से RIP लिखकर सोचते हैं उन्होंने दूसरे का दुःख साँझा कर लिया।

जबकि यह सिर्फ formality करने जैसा है।

क्युँकि अगले पल ही लोग किसी Youtube के वीडियो में खो जाते हैं।

किसी के पास भी असली conversation का टाइम नहीं है।
कोई दोस्त हमसे बात भी करे तो भी हम फ़ोन में ही लगे रहते हैं।

आदमी से जयादा important ये निर्जीव चीजें हो गयी हैं।

फालतू की memes और jokes आदि ज्यादा महतवपूर्ण हो गए हैं।
इससे आदमी भीड़ में भी खुद को अकेला feel कर रहा है।

लेखक ने दो सुझाव दिए हैं :

1. Don’t Like

किसी की भी पोस्ट या फोटो को like न करें। न ही कोई comment करें।

इससे आपको लगता है आपने like करके अपना काम कर दिया है।

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप proper conversation की जरुरत को समझेंगे।

2. Limit Texting

हर वक़्त texting mode में न रहे।

बल्कि फ़ोन को do not disturb mode में रखें।

क्युँकि सारा दिन text करते रहने से बाकी लोगों को भी conversation की जरुरत का एहसास नहीं होगा।

उन्हें लगेगा कि बात तो हो गई।

आपको भी दूसरों के लिए ऐसा ही लगेगा। किसी का भी एक दूसरे से दिल का connection
नहीं बनेगा।

इसलिए इस तरह की pseudo -conversation से बचें।

अगर जरुरी ही है तो text करने के लिए दिन का कोई समय निर्धारित कर लें।

Reclaim Leisure

आदमी की सच्ची ख़ुशी के लिए high quality leisure बहुत जरुरी है।

लेकिन हम अपने फुरसत के पलों को digital noise से भर देते हैं।

बहुत से लोग TV, Netflix या Youtube में घुसे रहते हैं।

इस सब से असली आनंद नहीं मिलता। बल्कि दिमाग saturate हो जाता है। और थक जाता है।

आखिर आप कितने गाने सुन सकते हैं, कितनी फिल्में देख सकते हैं।

एक समय आता है कि हमें इन चीजों की कदर ही नहीं रहती। सारी art की चीजें बेमानी हो जाती हैं।

अगर आपको असली leisure enjoy करना है तो यह tips follow कीजिये :

1. Passive चीजें करने के बजाय active चीजें कीजिये।

जैसे Netflix की जगह gardening कीजिये। Painting कीजिये। खाना बनाइये आदि।

2. Outdoor चीजों में time spend करें।

जैसे swimming, घुड़सवारी, walking, travelling आदि।

3. दोस्तों के साथ time बितायें।

पिकनिक पर जायें। किसी trip पर जायें।
Games खेलें। जैसे बैडमिंटन, बास्केटबॉल, chess आदि।

Conclusion of Digital Minimalism summary in Hindi

तो दोस्तो, अंत में यही कहना चाहेंगे कि अपने आप को digital चीजों की addiction से बचाइए। ये सब आपके दिमाग में कूड़ा भर रही हैं।

आपके दिमाग को परेशान करके आपको अनजाने में ही depression की तरफ धकेल रही हैं।

आप real connection नहीं बना रहे हो।

अगली बार अगर आपका दोस्त आपसे बात करे, तो उसकी आखों की तरफ देखें कर ध्यान से सुनें। न कि फ़ोन निकाल कर उसे scroll करने लगें।

इससे उसे अच्छा लगेगा। और ignored feel नहीं करेगा।

और कभी मुश्किल पड़ने पर दोस्त ही हाल पूछेगा, आपका फ़ोन नहीं।

समाप्त।

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Please नीचे comment करके बतायें कि Digital Minimalism summary in Hindi कैसी लगी। धन्यवाद।

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