Isa Masih ki Kahani | Jesus Christ story in Hindi

ईसा मसीह की कहानी (Isa Masih ki Kahani): ईसाई धर्म में ईसा मसीह, प्रमुख स्थान रखते हैं। उन्हें ईश्वर के पुत्र और मानव के उद्धारकर्ता के रूप में माना जाता है।

ईसाई धर्म में वैसे तो बहुत से प्रोफेट ( ईश्वर के दूत ) हुए हैं। लेकिन ईसा मसीह (Isa Masih or Jesus Christ) आखिरी थे और उन्होंने ही ईसाई धर्म को जन्म दिया था।

आगे उनके जीवन की पूरी कहानी (Isa Masih ki Kahani) दी गयी है। जिसमे आप उनके संघर्ष, शिक्षाएं, यहूदियों तथा रोमनों से विवाद , सूली पर चढ़ना , फिर से जीवित होना आदि के बारे में पढ़ेंगे।

Isa Masih ki Kahani
Isa Masih ki Kahani

ईसा मसीह के माता -पिता – Virgin Mary और Joseph
(Isa Masih ki Kahani)

ईसा मसीह का जन्म 4 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। उनका जन्म Judea (यहूदिया) नामक जगह पर हुआ था जो आज Israel में है। उस समय यहूदिया पर रोमन साम्राज्य का अधिकार था।

ईसा मसीह (Isa Masih) का जन्म एक युवा यहूदी महिला मैरी और उसके मंगेतर जोसेफ के घर हुआ था जो नाजरेथ नामक जगह पर स्तिथ था। जोसफ बढ़ई का काम करता था।

बाइबिल के अनुसार, यीशु का गर्भाधान चमत्कारी तरीके से हुआ था। मैरी को देवदूत गेब्रियल (Gabriel) ने दर्शन देकर खा था कि वह देवीय चमत्कार से गर्भधारण करेगी। यही सपना जोसफ को भी आया था।

Isa Masih ka Janm : बेथलहम में ईसा मसीह का जन्म

ईसा मसीह के जन्म की कहानी का वर्णन मैथ्यू और ल्यूक की गॉस्पेल (Gospel) में मिलता है।

एक बार रोमन सम्राज्य के सम्राट Caesar Augustus इटली के रोम से आदेश देते हैं कि Judea के सब लोग जनगणना के लिए बेथलेहम पहुँचे।

मैरी और जोसेफ भी इसके लिए बेथलहेम की ओर चल पड़ते हैं। उस समय मैरी गर्भवती हो चुकी थी और वह अभी वर्जिन थी।

रास्ते में ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है। और वे बेथलहेम में एक पशुशाला में शरण ले लेते है। उसी रात Isa Masih (Jesus Christ) ने जन्म हुआ। (Article- Isa Masih ki Kahani).

Isa Masih ki Kahani
Isa Masih ki Kahani: Birth of Jesus Christ

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जिसे आसमान से देवदूतों और ईश्वर ने देखा था। वह 25th दिसंबर की रात थी। और अब ईसाई लोग इस दिन धूम -धाम से Christmas पर्व मनाते हैं।

ईसा के जन्म के बाद Angel Gabriel ने 3 Magis (पंडित) को उनके जन्म के बारे में बताया। फिर वे Magis, Jesus के लिए उपहार लाये और उन्होंने सबको बताया कि ईश्वर के पुत्र ने धरती पर जन्म ले लिया है।

वे Magis सोना, फ्रंकिंसन्स (किसमिस) और मिर्र (खजूर जैसा फल) नामके गिफ्ट लाये थे। इन्हे Gift Of Magis भी कहा जाता है।

ईसा मसीह का बचपन और युवावस्था (Isa Masih Childhood)

जनगणना करवाने के बाद मेरी तथा जोसेफ पुत्र यीशु को लेकर नाजरेथ चले जाते हैं। धीरे-धीरे जीसस (Jesus Christ) बड़ा होने लगता है। बचपन से ही उनको धार्मिक ग्रंथो को पढ़ने में बहुत रुचि थी। युवावस्था तक आते-आते उन्होंने सब ग्रंथों को कंठस्थ कर लिया था।

बहुत बार वे मंदिरों के पादरियों के साथ धार्मिक चर्चा करते थे। उनके दिव्य ज्ञान को देखकर सब लोग चकित रह जाते थे।

इसके साथ-साथ जीसस अपने पिता Joseph की उनके कार्य में मदद करते थे। और उन्होंने बढ़ई का काम बहुत अच्छे से सीख लिया था। Jesus Christ Story in Hindi.

30 साल की आयु तक ईशा मसीह (Isa Masih) ने कोई खास चमत्कार नहीं किए थे। क्योंकि वे यहां मानव रूप में पैदा हुए थे। तथा हर कार्य जादू तथा देवी शक्तियों के जरिए नहीं बल्कि एक मानव की तरह ही करना चाहते थे।

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ईसा मसीह के मंत्रालय की शुरुआत (Isa Masih ki Kahani)

जब ईसा मसीह 30 साल के हो गए तो उन्होंने देखा कि समाज में बहुत ही पाप बढ़ता जा रहा था। उस समय वहाँ यहूदी धर्म तथा रोमन साम्राज्य का बोलबाला था।

अमीर लोग गरीब लोगों पर बहुत अत्याचार करते थे। तथा गरीबों की पुकार सुनने वाला कोई नहीं था।

उनकी मदद के लिए ईसा मसीह ने अपना मंत्रालय शुरू किया। उन्होंने इसकी शुरुआत इजरायल के नजदीक गलीली नाम की जगह से की।

ईसा मसीह का Baptism (Baptism of Jesus Christ): Isa Masih ki Kahani

एक दिन John नाम के पादरी ने Jordan नदी में ईसा मसीह का बपतिस्मा (Baptism) किया। उसी समय स्वर्ग से एक दिव्य कबूतर उड़ता हुआ उनकी तरफ आया और कहा कि ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र हैं।

इसके बाद कुछ लोगों ने ईसा मसीह को एक प्रकाश कुंज में बदलते हुए भी देखा। इसके बाद जॉन ने कहा कि अब ईसा मसीह ही लोगों के रक्षक होंगे।

एक दिन जॉन को अरेस्ट कर लिया जाता है क्योंकि यहूदी धर्म उनकी शिक्षाओं को धर्म के खिलाफ मानता था। Christmas special – Isa Masih ki Kahani.

इसके बाद ईसा मसीह घूम – घूम कर लोगों को अपना संदेश देने लगे ।

Temptations of Jesus Christ by Saitan (Isa Masih शैतान के तीन लालच)

एक बार जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) तपस्या करने एक रेगिस्तान में गए। वहाँ पर शैतान ने उन्हें तीन लालच दिए ताकि वह ईश्वर को छोड़कर उनकी तरफ आ जाए। यह तीन Temptations या लालच इस प्रकार से हैं।

1. पत्थरों को भोजन में बदलने की शक्ति।

यीशु को तपस्या करते हुए 40 दिन हो गए थे। जब वे तपस्या करके उठे तो उन्हें भूख लग आयी थी। लेकिन वहाँ खाने को कुछ नहीं था।

तभी शैतान उनके सामने प्रकट होता है और कहता है कि अगर वह उनकी शरण में आ जाए। तो वह उन्हें पत्थरों को भोजन में बदलने की शक्ति देगा। Isa Masih ki Kahani- Story of Jesus Christ.

लेकिन यीशु कहते हैं कि इंसान को अपने कर्म का खाना चाहिए न कि पत्थरों को भोजन बना कर खाना चाहिए।

2. तीन साम्राज्य का लालच

अगले प्रयास में शैतान यीशु (Isa Masih) को एक पहाड़ी पर ले जाता है। और वहाँ से उन्हें तीन साम्राज्य दिखाता है। फिर वह कहता है कि अगर तुम मेरी पूजा करो तो मैं तुम्हें इन साम्राज्यों का राजा बना दूँगा।

लेकिन जीसस क्राइस्ट ने उत्तर दिया कि उन्हें ईश्वर के साम्राज्य के अलावा किसी भी साम्राज्य की चाहत नहीं है।

3. आत्महत्या के लिए उकसाना

अपने अंतिम प्रयास में शैतान यीशु (Jesus Christ) को एक मंदिर की चोटी पर ले जाता है और उनके कान में फुसफुसा कर कहता है कि संसार में बहुत दुख है।

अगर तुम यहाँ से कूद जाओ तो अभी सारे दुख खत्म हो जाएंगे। और तुम अपने ईश्वर के पास पहुँच जाओगे।

लेकिन तभी कुछ फ़रिश्ते ईसा मसीह को सचेत करते हैं। इसके बाद यीशु शैतान से कहते हैं कि इंसान को अपने दुखों से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। (Jesus Christ Story in Hindi from Bible).

इस तरह से Jesus Christ शैतान के तीनों temptations के सामने नहीं झुकते और उस पर पर विजय प्राप्त करते हैं।

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ईसा मसीह की शिक्षाएँ (Isa Masih ki Kahani)

इसके बाद ईसा मसीह घूम -घूम कर लोगों को अपनी शिक्षाएँ देने लगे। उनकी शिक्षाएँ प्रेम, करुणा, क्षमा और ईश्वर के राज्य का सन्देश देती थीं।

वे जटिल ग्रंथों के बजाय रूपक कहानियों (Parables) की मदद से लोगों को ज्ञान देते थे। कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ इस प्रकार से हैं :

1. The Parable of the Good Samaritan (Luke 10:25-37)

ईसा मसीह (Isa Masih) कहते हैं कि हमें जरूरतमंदों की हर हालत में मदद करनी चाहिए। फिर वे एक कहानी बताते हैं जिसमें एक आदमी सड़क के किनारे जख्मी होकर पड़ा था।

तभी एक दूसरा आदमी वहाँ से गुजरता है। वह जख्मी आदमी को देखकर उसकी मदद करता है और उसके जख्मों की मरहम पट्टी करता है।

मृत्यु के पश्चात उस आदमी को ईश्वर अपने गले से लगते हैं और अपने साम्राज्य में उचित जगह देते हैं।

2. The Parable of the Prodigal Son (Luke 15:11-32)


इस कहानी के जरिए ईसा मसीह (Isa Masih) क्षमा करने के महत्व के बारे में बताते हैं। एक बार एक किसान के यहाँ एक बहुत ही होनहार बेटा पैदा होता है।

किसान उसे पढ़ा – लिखाकर बहुत बड़ा अफसर बनाता है। लेकिन इसके बाद वह बेटा अपने पिता को छोड़कर दूसरे शहर में विलासतापूर्ण जीवन जीने लगता है।

लेकिन धीरे-धीरे उसकी सारी संपत्ति खो जाती है और वह कंगाल हो जाता है। एक दिन वह दुखी होकर अपने पिता के पास वापस आता है। लेकिन वह दयावान पिता उसके सारे गुनाहों को माफ कर देता है और उसे गले से लगा लेता है। Bible se Isa Masih ki Kahani.

ईसा मसीह कहते हैं कि ठीक इसी तरह ईश्वर भी अपने उन बच्चों को भी माफ़ कर देंगे जो अभी पाप में लिप्त हैं बशर्ते वे उसकी शरण में जाएँ।

3. The Parable of the Mustard Seed (Matthew 13:31-32, Mark 4:30-32, Luke 13:18-19)

इस कहानी के जरिए ईसा मसीह (Jesus Christ) बताते हैं कि हमें खुद को छोटा नहीं समझना चाहिए। बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करना चाहिए।

एक बार एक किसान के हाथ से सरसों का बीज नीचे गिर जाता है। उसके पास ही एक बरगद का पेड़ था। उसे देखकर सरसों का बीज सोचता है कि मैं तो बहुत छोटा हूँ और बरगद का यह पेड़ कितना बड़ा है।

लेकिन धीरे-धीरे वह प्रयास करने लगता है और एक दिन बहुत सुंदर सरसों का पौधा बन जाता है। उसे पर सुंदर फूल लगते हैं जिसकी सब लोग तारीफ करते हैं।

फिर उस पर सरसों के दाने लगते हैं जिससे तेल बनता है जो लोगों के लिए बहुत उपयोगी होता हैं।

4. The Parable of the Lost Sheep (Matthew 18:10-14, Luke 15:3-7)

ईसा मसीह एक गड़रिये की कहानी सुनाते हैं। एक बार वह गडरिया अपनी भेड़ों को चराने एक जंगल से होकर जा रहा था। तभी एक भेड़ अपने समूह से बिछुड़ जाती है। (Bible : Jesus Christ Story in Hindi).

लेकिन रात को वह गडरिया उसे भेद की खोज में निकलता है और उसे ढूँढ कर वापस ले आता है। ईसा मसीह लोगों को समझाते हैं कि इसी तरह से जो लोग ईश्वर से दूर चले गए हैं ईश्वर उन्हें भी खोज निकालेंगे।

इस कहानी के जरिए ईसा मसीह (Isa Masih) बताते हैं कि हम सब भेड़े हैं तथा ईश्वर हमारे वह गडरिया हैं जो दिन-रात हमारी देखभाल कर रहे हैं।

ईसा मसीह के चमत्कार और उपचार (Miracles of Isa Masih)

अपने जीवनकाल के दौरान यीशु ने कई चमत्कार किए थे। जैसे बीमारों को ठीक करना, अंधों को दृष्टि देना, भूत -प्रेतों से छुटकारा दिलाना, और यहाँ तक ​​कि मृतकों को जीवित करना।

एक बार वे नदी किनारे प्रवचन दे रहे थे। तभी एक तूफ़ान आने लगता है लेकिन ईसा मसीह (Isa Masih) ने हाथ के इशारे से उस तूफ़ान को शाँत कर दिया था।

ईसा मसीह ने वेश्याओं तथा पापियों सब पर अपनी करुणा बरसाई थी।

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ईसा मसीह के 12 शिष्य (12 Apostles Of Isa Masih/Jesus Christ)

समय के साथ ईसा मसीह के 12 शिष्य (Apostle) बने। ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाये जाने के बाद ये बिखर गए थे।

लेकिन आगे चलकर इन्होने ईसा मसीह का प्रचार करना शुरू किया। इससे बाइबिल की नींब पड़ी और ईसाई धर्म में ईसा मसीह की पहली चर्च भी बनी। Jesus Christ or Isa Masih ki Kahani.

आगे टेबल में आप इन 12 Apostle के बारे में पढ़ सकते हैं।

Table: 12 Apsotles of Isa Masih

Serial NumberApostle (English)अपोस्तल (हिंदी)सारांश
1Simon Peterसाइमन पीटर पीटर एक मछुआरा था जिसे Isa Masih ने “चट्टान” (पीटर) कहकर चुना था। ये सब शिष्यों के नेता हैं।
2Andrewएंड्र्यूपीटर का भाई, एंड्र्यू भी मछुआरा था। वे यूनान और एशिया माइनर में प्रचार करते थे।
3James, son of Zebedeeजेम्स, जेबेडी का बेटाउन्हें “बिजली के पुत्र” के रूप में जाना जाता था। राजा हेरोड द्वारा उनकी हत्या कर दी गयी थी।
4Johnजॉनजॉन जेम्स का भाई था। वह ईसा मसीह का सबसे “प्रिय शिष्य” था। उन्होंने न्यू टेस्टामेंट में कई पुस्तकें लिखीं थीं और Isa Masih की सूली के समय वे उनके साथ थे।
5Philipफिलिपफिलिप, नाथनेल को Isa Masih के पास लाये थे।
6Bartholomew (Nathanael)बार्थोलोम्यू (नाथनायल)शुरू में नाथनेल को Jesus Christ पर संदेह था लेकिन बाद में वे उनके वफादार अनुयायी बने। आगे चलकर वे भारत और अर्मेनिया में प्रचार करते थे।
7Thomasथॉमसउन्हें “डाउटिंग थॉमस” के रूप में जाना जाता है। क्योंकि उन्होंने Jesus Christ की पुनरुत्थानता में अविश्वास जताया था। लेकिन थॉमस ने बाद में Jesus Christ में गहरे श्रद्धाभाव को घोषित किया।
8Matthew (Levi)मैथ्यू (लेवी)वह एक कर लेने वाला कलेक्टर था।
9James, son of Alphaeusजेम्स, अल्फेयस का बेटाउन्हें “जेम्स द लेस” भी कहा जाता है,
10Thaddaeus (Judas, son of James)थड्डायस (यूदा, जेम्स का बेटा)लेब्बायस के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने मेसोपोटामिया में Jesus Christ प्रचार किया ।
11Simon the Zealotसाइमन जीलोटसाइमन पहले रोमन शासन के विरोधी थे ।
12Judas Iscariotयूदा इस्करियोतचाँदी के तीस टुकड़े लेकर Isa Masih को धोखा दिया और रोमन सैनिकों से पकड़वा दिया। इसके लिए इसने ईसा मसीह को किश (Judas Kiss) किया था। बाद में उसने आत्महत्या कर ली थी ।

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ईसा मसीह: विवाद और विरोध (Isa Masih controversy)

यीशु की शिक्षाओं और कार्यों ने उस समय के धार्मिक अधिकारियों को चुनौती दी, जिससे विवाद पैदा हुए। उस समय यहूदी धर्म का बोलबाला था। तथा रोमन साम्रज्य सत्ता में था। दोनों को ही ईसा मसीह से खतरा पैदा हो गया।

ईसा मसीह ने उनके पाखंड की आलोचना की, बेकार कानूनों को चुनौती दी , गरीबों के हकों की बात की। इस सब से वे उन्हें अपना दुश्मन मानने लगे।

ईसा मसीह का सूली पर चढ़ना और फिर से जिन्दा होना (Crucifixion of Isa Masih)

एक दिन ईसा मसीह ने जेरूसलम जाने का विचार किया। जेरूसलम जाने से पहले उन्होंने अपने 12 शिष्यों के साथ भोजन किया। इसे Last Supper कहा जाता है।

लेकिन इसी दौरान Judas नाम का उनका शिष्य पैसे के लिए बिक गया। उसने रोमन जनरल Pontius Pilate से चांदी के 30 टुकड़े लेकर यीशु को धोखा दे दिया।

जब ईसा मसीह (Isa Masih) एक बगीचे में प्रार्थना कर रहे थे तो Judas आकर उनके गाल पर किस करता है। इससे सिपाही पहचान जाते हैं कि वही ईसा मसीह हैं। फिर वे उसे पकड़कर यहूदियों की अदालत Sanhedrin ले जाते हैं।

यह अदालत अगले दिन ईसा मसीह को रोमन जनरल Pontius Pilate के पास भेज देती है। Pontius Pilate ईसा मसीह को रोमन साम्राज्य के लिए खतरा समझता था। इसलिए वह ईसा मसीह को सूली पर चढाने का आदेश दे देता है। Son of God – Isa Masih ki Kahani.

अगले दिन सिपाहियों ने ईसा मसीह के सिर पर कांटों का ताज रख दिया, उनका मजाक उड़ाया और उन्हें दो चोरों के साथ गोलगोथा नाम की जगह पर सूली पर चढ़ा दिया।

Isa Masih ki Kahani
Isa Masih ki Kahani: Crucifixion of Jesus Christ

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सूली पर चढ़ते हुए ईसा मसीह ने ईश्वर से प्रार्थना की और कहा कि इन सब के पापों को माफ़ कर दो। मृत्यु होने के बाद उन्हें एक गुफा में दफना दिया गया। ईसाई लोग इस दिन को गुड फ्राइडे (Good Friday or Black Friday) के रूप में मनाते हैं क्युँकि उस दिन शुक्रवार था।

लेकिन तीन दिन बाद रविवार को ईसा मसीह (Isa Masih) फिर से जीवित हो गए। और कुछ चुने हुए लोगों को दर्शन देने के बाद स्वर्ग चले गए। इस दिन को ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह के पुनर्जीवन की ख़ुशी में ईस्टर (Easter) के रूप में मनाते हैं।

समाप्त।

दोस्तो, यह थी ईसा मसीह के जीवन की सारी कहानी (Isa Masih ki Kahani/story of Jesus Christ).उम्मीद है आपको पसंद आयी होगी तथा ईसा मसीह पर आपकी श्रद्धा और विश्वास और बढे होंगे। धन्यवाद।

FAQ (Frequently Asked Questions about Isa Masih)

आगे ईसा मसीह से जुड़े बहुत से प्रश्न – उत्तर दिए गए हैं।

Q 1. ईसा मसीह का जन्म कब हुआ?

Ans. ईसा मसीह का जन्म 4 BC से 6 BC के बीच में हुआ था। लेकिन उनके जन्म की कोई भी तिथि उपलब्ध नहीं है।

Q 2. ईसा मसीह कौन थे? (Who was Isa Masih)

Ans. ईसा मसीह यहूदी धर्म में पैदा हुए एक मसीहा थे। लेकिन उन्हें उसे समय धर्म में बहुत कमियाँ नजर आईं। इसलिए उन्होंने नए धर्म जिसे ईसाई धर्म (Christianity) कहते हैं की स्थापना की।

Q 3. ईसा मसीह को किसने मारा था।

Ans.
ईसा मसीह को रोमन जनरल Pontius Pilate के आदेश पर उसके सिपाहियों द्वारा सूली पर चढ़ा दिया गया था।

Q 4. ईसा मसीह का जन्म कहाँ हुआ था।

Ans.
ईसा मसीह का जन्म बेथलहेम (Bethlehem) नामक जगह पर हुआ था। वैसे उनके माता-पिता नाजरेथ (Nazareth) के रहने वाले थे। लेकिन एक बार रोमन सम्राट के आदेशानुसार जनगणना के लिए वे बेथलहेम जा रहे थे। वहीं पर रात को एक पशुशाला में यीशु मसीह का जन्म हुआ था। उस दिन तारीख 25th दिसम्बर थी। इसलिए अब इस दिन ईसाई लोग क्रिसमस (Christmas) नामक पर्व बड़े धूम -धाम से मनाते हैं।

Q 5. ईसा मसीह के पिता का क्या नाम था।

Ans.
ईसा मसीह के पिता का नाम जोसफ (Joseph) था। वे उनकी माँ Mary के पति थे और पेशे से एक बढ़ई थे। लेकिन वे उनके दत्तक पिता ही थे। वास्तव में ईसा मसीह के असली पिता परमपिता परमेश्वर हैं।

Q 6. ईसा मसीह को सूली पर कब चढ़ाया गया।

Ans.
ईसा मसीह को 30 AD or 33 AD के दौरान सूली पर चढ़ाया गया था। उनकी मृत्यु की असल तिथि किसी को भी मालूम नहीं है लेकिन उस दिन शुक्रवार था। इसलिए ईसाई लोग मार्च के अंतिम शुक्रवार को गुड फ्राइडे (Good Friday or Black Friday) के रूप में मनाते हैं। लेकिन दो दिन बाद संडे को ईस्टर (Easter) मनाया जाता है। क्युँकि ऐसा माना जाता है कि तीन दिन के बाद ईसा मसीह फिर से जीवित हो गए थे और फिर लौट कर वापस अपने पिता परमेश्वर के पास चले गए थे।

Q 7. ईसा मसीह की मृत्यु कब हुई थी।

Ans. ईसा मसीह की मृत्यु 30 AD – 33 AD के दौरान हुई थी। उन्हें सूली पर लटका दिया गया था।

Q 8. ईसा मसीह को क्यों मारा गया।

Ans. ईसा मसीह यहूदी धर्म में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ थे। वे राजा की भी निंदा करते थे और ईश्वर को सबसे बड़ा राजा मानते थे। कुछ लोग ईसा मसीह को भी अपना राजा कहते थे। इसकी वजह से यहूदी और रोमन साम्राज्य दोनों ही उनके दुश्मन बन गए। इसलिए उन्होंने साजिश करके ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया था।

Q 9. ईसा मसीह को सूली पर किसने चढ़ाया था।

Ans. ईसा मसीह को सूली पर पॉन्टियस पिलेट (Pontius Pilate) के आदेश पर उसके सिपाहियों ने चढ़ाया था।

Q 10. ईसा मसीह की माता का क्या नाम था।

Ans.
ईसा मसीह की माता का नाम Mary या “मदर मैरी” था। वह नाजरेथ की रहने वाली थी। उन्होंने ईसा मसीह को कुँवारे होते हुए दैवीय शक्ति से गर्भ में धारण किया था। इसलिए उन्हें वर्जिन मेरी (Virgin Mary) भी कहा जाता है।

Q 11. ईसा मसीह के माता-पिता का क्या नाम था।

Ans. ईसा मसीह की माता का नाम मैरी तथा पिता का नाम जोसेफ था।

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