The Personal MBA book summary in Hindi

दोस्तो, इस किताब (The Personal MBA summary in Hindi) को पढ़कर आप जानेंगे कि MBA करने
वाले आखिर क्या पढ़ते हैं। साथ ही आपको business के सभी concepts के बारे में कुछ ही मिनटों में पता
चल जायेगा। जिससे आप अपना startup या business आसानी से चला पाओगे।

Author: Josh Kaufman

The Personal MBA book summary in Hindi
(The Personal MBA book summary in Hindi)

दोस्तो, बहुत से लोगों को लगता है कि business चलाना शायद उनके वश की बात नहीं है। क्युँकि उनके पास MBA की डिग्री नहीं है।

लेकिन इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि business शुरू करने के लिए आपको MBA चाहिए। Business शुरू करना एक talent है। जो MBA कर लेने से नहीं आ जाता।

यही कारण है कि बहुत से MBA किये हुए लोग, सिर्फ दूसरों की company में job कर रहे होते हैं। जबकि उन्हें बिज़नेस से जुडी हर चीज का पता होता है। वहीं बहुत बार, company के मालिक के पास कोई डिग्री नहीं होती।

लेकिन दोस्तो, अगर आप business करना चाहते हैं तो आपको MBA के basic concepts के बारे में जरूर पता होना चाहिए। लेकिन घबराइए नहीं, इसके लिए आपको किसी institute से दो साल की MBA degree लेने की जरुरत नहीं है।

सिर्फ यह किताब पढ़ लीजिये। इससे आप MBA किये बिना भी business से जुड़े सभी concepts को जल्दी से जान सकते हैं।

जिस से आपको business में succeed होने में काफी help मिलेगी। तो आइये अब इस किताब की summary पढ़ते हैं।

The Personal MBA
(Book summary in Hindi)

लेखक के अनुसार किसी भी business में पाँच processes पायी जाती हैं। जिनके बारे में जानकार आप किसी MBA की तरह knowledge हासिल कर लोगे।

ये पाँच processes इस प्रकार से हैं:

1. Value creation

2. Marketing

3. Sales

4. Value Delivery

5. Finance

आप अगर इन 5 processes को अच्छे से समझ लेंगे तो आप किसी भी MBA किये हुए व्यक्ति के बराबर
knowledge हासिल कर लोगे।

तो आइये इन सभी 5 processes को एक – एक करके समझ लेते हैं।

1. Value creation

दोस्तो, सबसे पहले आप ऐसा product बनायें जो लोगों को बहुत value (लाभ) दे। लेकिन product ऐसा हो जो बहुत से लोगों को value दे। तभी आपको profit होगा।

जैसे एक जूस बनाने वाला भी वैसे तो लोगों को value वाला product यानि जूस देता है, लेकिन वह कुछ ही लोगों को serve कर पाता है। इसलिए वह अमीर नहीं हो पाता।

वहीं दूसरी ओर Facebook जैसा product अरबों लोगों तक पहुँचता है, इसलिए Mark Zuckerberg अरबपति बन गए हैं।

आगे लेखक ने बताया है कि valuable products की 12 categories होती हैं। जो इस प्रकार हैं –

1. Physical product – आप कोई physical product बना सकते हैं। जैसे साबुन, toothpaste, biscuit आदि।

2. Service – आप लोगों को कोई service दे सकते हैं। जैसे web designing, tax preparation आदि।

3. Shared resources – ऐसा resource बना सकते हैं जहाँ बहुत से लोग चीजों को share कर लेते हैं – जैसे gym.

4. Subscription – ऐसा product जिसे लोग subscribe करते हैं – जैसे Netflix, amazon prime आदि।

5. Reselling – थोक में खरीदकर retail में बेच सकते हैं – जैसे Big Bazar या Walmart

6. Agency – कोई agency चला सकते हैं जैसे – Public relation या event management, या tours and
travels आदि।

7. Audience aggregation – Theater या Sports .

8. Loan service – लोगों को व्याज पर loan दे सकते हैं।

9. Lease – अपनी बिल्डिंग को lease पर दे सकते हैं।

10. Option – Stocks मार्किट में put और option की सर्विस दे सकते हैं।

11. Insurance – Life insurance या health insurance बेच सकते हैं।

12. Capital – पैसा उधार लेकर invest कर सकते हैं।

तो दोस्तो, आप भी इन 12 categories में से कोई valuable product बनाकर अपना business शुरू कर सकते हैं।

Psychology of product purchase:

इसके बाद आपको customer की psychology समझनी चाहिए कि लोग चीजें क्यों खरीदते हैं। इसके लिए लेखक ने खरीदने के 5 कारण बताये हैं। आप उन्हें समझें ताकि अच्छा product create कर सकें।

Five purchase drives – खरीदने के 5 कारण

किसी भी product को खरीदने के आदमी के पास 5 कारण होते हैं –

1. Drive to Acquire – किसी चीज को पाने की इच्छा। इसलिए लोग paintings, books आदि खरीदते हैं।

2. Drive to Bond – दूसरों के साथ दोस्ती बढ़ाने की इच्छा। इसीलिए हम लोग social media इस्तेमाल करते हैं।

3. Drive to Learn – कुछ सीखने की इच्छा। इसलिए हम courses खरीदते हैं।

4. Drive to Defend – खुद की हिफाजत की इच्छा। इसलिए लोग हथियार या CCTV कैमरा आदि खरीदते हैं।

5. Drive to feel – नए अनुभव करने की इच्छा। इसलिए लोग movies देखते हैं। या sports और adventures में शामिल होते हैं।

तो दोस्तो, खरीदने के इन कारणों को जानकर आप अपना product create कर सकते हैं।

Understanding the market:

दोस्तो, इसके बाद आपको market को समझना होगा। आप जो भी product बनाने की सोच रहे हैं, उसकी market value क्या है। इसके लिए आपको ये दस चीजें देखनी चाहियें –

  • Urgency – लोगों को आपका product कितनी urgently चाहिए।
  • Market Size – आपके product की market का size कितना है। जितने ज्यादा customers होंगे आपको
    उतना ही फायदा होगा।
  • Pricing Potential – आपके product को किस कीमत पर बेचा जा सकता है।
  • Cost of Customer Acquisition – Customer तक पहुँचने का कितना cost पड़ेगा।
  • Uniqueness of offer – आपका product दूसरों से कितना अलग है।
  • Speed to market – आपका product कितनी जल्दी market में पहुँच सकता है।
  • Up-front investment – product बनाने के लिए आपको कितना पैसा invest करना पड़ेगा।
  • Evergreen potential – आपका product क्या सालोंसाल बिकता रहेगा !

इन सब factors को ध्यान में रखकर आप पता लगा सकते हैं, कि आपका प्रोडक्ट market में कैसा perform
करेगा।

Choose market with competition

दोस्तो, आप ऐसी market चुनें जिसमें कुछ competition हो। इस से आपको यह confirm हो जायेगा कि लोग उस product को खरीदते हैं।

बस आपके product में यह चार चीजें जरूर होनी चाहियें।

1. Product से लोगों को संतुष्टि मिलनी चाहिए।

2. इसे इस्तेमाल करने में कुछ भी problem नहीं होनी चाहिए।

3. इसका दाम वाजिब होना चाहिए।

4. लोग उसे बार -बार खरीदना चाहें।

Prototyping – नया product कैसे बनायें

दोस्तो, सबसे पहले आपको अपने product का prototype बनाना चाहिए। मतलब initial version .

इसके लिए इन 6 steps का इस्तेमाल करें।

1. सबसे पहले product का idea ढूँढें।

2. उस product का simple version बनायें और launch करें।

3. Customers से feedback लें। देखें कि उन्हें product कैसा लग रहा है।

4. जो भी कमियाँ customer बता रहे हैं, उन्हें सुधारें।

5. फिर से feedback लें और सुधारें। ऐसा तब तक करें, जब तक आपका product perfect न हो जाये।

6. फिर उसे scale – up करें।

2. Marketing (Book: The Personal MBA Hindi)

दोस्तो, एक बार जब आपने अपना product बना लिया, तो उसका अगला step होता है marketing. जिसका मतलब है लोगों को बताना कि आपने कोई product बनाया है।

जैसे कोई फिल्म प्रोडूसर फिल्म बनाता है तो हमें कैसे पता चलता है। वह तरह -तरह के प्लेटफार्म पर advertisement करता है।

जो marketing का ही format है। Marketing कई तरह से हो सकती है। आजकल digital marketing का जमाना है।

जिसके निम्न तरीके हैं –

1. रेडियो या टेलीविज़न पर advertisement देना ।

2. Facebook या Google पर ad देना ।

3. Print media जैसे newspapers में ad देना ।

4. Blog या website के जरिये content marketing करना ।

5. या Affiliate marketing – जिसमे आप लोगों को अपना product बेचने के लिए कहते हो और बदले में
उन्हें कुछ commission देते हो।

तो दोस्तो, इस तरह से आप पूरी दुनिया को बता सकते हो कि आपने एक नया product बनाया है। और उसमें इस तरह के features हैं।

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3. Sales The Personal MBA – summary in Hindi)

दोस्तो, marketing के बाद आती है आपके product की बिक्री यानि sale .

इसके लिए आपको 3 factors हमेशा याद रखने चाहियें। जो इस प्रकार से हैं : Trust, Price and Negotiations

I) Trust

लोग आपका product तभी खरीदते हैं, जब उन्हें उस पर trust (भरोसा) होता है।

अगर आप Nigeria की यात्रा कर रहे हों और भूख लगे तो आप लोकल ढाबे में जाने के बजाय, Macdonald में जाओगे। क्युँकि Macdonald ने आपका trust जीत लिया है।

जबकि लोकल ढाबे को देखकर आपको शक होगा कि शायद वे लोग अच्छा खाना नहीं देंगे, या कहीं आपको लूट न लें। बेशक बात इस से उलटी हो।

तो इसलिए दोस्तो, लोगों का आपके product पर trust होना जरुरी है। इसलिए कभी भी घटिया product न बेचें।

II) Price

दोस्तो sales के लिए जरुरी है कि आपके product का price एकदम perfect हो। न तो वह ज्यादा सस्ता हो कि आपको घाटा हो और न ही इतना महँगा होना चाहिए कि लोग खरीदें ही न ।

जैसे अगर आप कोई book लिखते हो तो उसका price कैसे रखोगे।

तो इसके लिए ये चार चीजें ध्यान में रखें।

1. Market Comparison – सबसे पहले तो यह देखें कि उस product की market में क्या कीमत है। अपने product की कीमत उसके आस -पास ही रखें।

2. कीमत ऊँची रखें। अगर कम कीमत रख दोगे तो लोग सोचेंगे कि आपका product घटिया है। फिर
discount देकर उसे नीचे ले आयें।

3. अगर आपके product की value market के product से ज्यादा है तो कीमत उस से ज्यादा रखें। लेकिन हाँ बहुत से testimonials होने चाहियें जो आपके product के favour में हों। लेकिन fake नहीं होने चाहियें।

4. Product की moneyback guarantee दे सकते हैं। इस से trust भी build होगा।

III) Negotiation

कई बार आपको अपना product बेचने के लिए negotiation भी करनी पड़ती है। ज्यादातर customers की ये 4 objections होती हैं। इन्हे दूर कर देने से आपकी sales बढ़ जाएगी।

1. कीमत बहुत ज्यादा है

इस objection को दूर करने के लिए customer को उसके नए features बतायें। और अन्य फायदे भी गिनवायें।

2. ये काम का नहीं है

इसके लिए customer को demo देकर बतायें कि product आपके किस काम का है। दूसरों के testimonials भी दिखायें।

3. अभी नहीं चाहिए।

इसके लिए कहें कि ऑफर सीमित समय के लिए है। बाद में कीमत और बढ़ेगी।

4 अभी पैसे नहीं है।

किश्तों में ऑफर कर सकते हैं।

तो दोस्तो, ऊपर दिए गए points की हेल्प से आप अपने product की sales बहुत बढ़ा सकते हो।

4. Value delivery

दोस्तो, अगर आपको अपने business या स्टार्टअप को grow करवाना है तो आपको product की value
delivery करनी होगी। जिसका मतलब है जितना customer ने सोचा है उस से भी ज्यादा देना।

आपने Dominos Pizza का concept तो सुना ही होगा। अगर आपको 30 मिनट में पिज़्ज़ा नहीं मिलता है, तो वो पिज़्ज़ा आपको फ्री दे दिया जाता है।

इसी तरह बहुत सी companies आपको फ्री गिफ्ट देती हैं। या बहुत बार discount दिया जाता है।

इस तरह customer को संतुष्टि मिलती है। और उनका company पर trust भी बन जाता है।

5. Finance – (from- The Personal MBA book summary in Hindi)

दोस्तो, company या business के finance को समझने के लिए आपको नीचे दी गए concepts समझने होंगे।

1. Profit Margin

कोई भी product बेचने से company को जो लाभ होता है उसे ही profit margin कहते हैं।

इसे calculate करने के लिए यह formula इस्तेमाल होता है :

PM = (Revenue – cost) / Revenue) x 100 = % PM

2. Valuation

कोई भी company कितनी rich है, उसे estimate करने को ही valuation कहते हैं।

Valuation करने के लिए ये चार चीजें देखनी पड़ती हैं :

  • Business Revenue – यानि Company ने कितने पैसे का income generate किया।
  • Profit margins – कप्म्पनी को कितना profit हुआ ।
  • Bank balance – Company के बैंक अकाउंट में कितना पैसा पड़ा है।
  • Future outlooks – Future में company कितना कमा सकती है।

इन चारों को analyze करके कम्पनी की valuation की जाती है।

3. Cash Flow Statement

इसका मतलब company के बैंक अकाउंट से है। कि कितना पैसा आ रहा है और कितना जा रहा है।

Cash Flow इन 3 areas में आता -जाता है :

Operations – Product को ख़रीदने या बेचने के operations में पैसे का cashflow होता है।

Investing – जब company investment करती है तब भी cashflow होता है।

Capital – जब company पैसा loan पर लेती है, तो इसमें भी cashflow होता है।

कंपनी के cashflow पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

4. Income Statement

किसी निश्चित अवधि में company ने कितना कमाया उसे ही income statement के रूप में दर्शाया जाता है।

इस से पता चलता है कि company profit में है या loss में।

इसका format ऐसा होता है : Revenue – Expenses – Taxes = Net Profit

5. Balance Sheet

Balance Sheet देखकर हमें पता चलता है कि किसी निश्चित समय में company किस चीज की मालिक है
और कौन सी चीज उसने उधार ले रखी है – जैसे loan आदि।

इसका फार्मूला है : Assets – Liabilities = Stockholder Equity

Assets – वो सारी चीजें जिन पर company का अधिकार है – product, property, instruments आदि।

Liabilities – वो चीजें जो company ने कर्जे पर या उधार ले रखी हैं – loan, rent पर property या transport vehicle

6. Important terms

आइये दोस्तो, अब finance से related कुछ terms जान लेते हैं।

Compounding – इसका अर्थ है – चक्रविधि व्याज। इस से मूलधन बहुत ज्यादा बढ़ता है।

Leveraging – उधार लेकर पैसे को invest करना और profit कमाना।

Funding – Investors से पैसा उठाना और उन्हें हिस्सेदारी देना।

Bootstrapping – बिना funding के ही business चलाना।

तो दोस्तो, MBA करने वाले लोग इस किताब में दिए गए concepts ही पढ़ते हैं। जिनके बारे में आपको भी अब पता चल गया।

Business चलाने के लिए आपको MBA की डिग्री तो नहीं चाहिए। लेकिन हाँ terms का पता जरूर होना चाहिए ताकि कोई MBA किया हुआ employee आपको बेवकूफ न बना सके।

अंत में दोस्तो, यही कहना चाहूँगा कि business talent से चलता है न कि degree से।

हाँ, MBA के concepts जान लेने से आपका confidence बढ़ जाता है। और आप अपने business के हर
पहलू के बारे में अच्छे से जान जाते हो।

समाप्त।

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दोस्तो, उम्मीद है इस किताब की समरी (The Personal MBA book summary in Hindi) आपको पसंद
आयी होगी।

कृप्या comment और share करें। इस से मुझे लिखते रहने के लिए moral support मिलेगा।

धन्यवाद।

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