Kisan Bill – छुपे हुए loopholes जिन्हे कोई नहीं समझ पा रहा है

  • What is Kisan Bill (Farmer’s Bill )
  • Why farmers are protesting Kisan Bill

दोस्तो, अब तक आपने Kisan Bill (Farmer’s Bill ) के बारे में देख -सुन और पढ़ ही लिया होगा।

Paid और biased मीडिया ने तो इसकी शान में काफी कशीदे भी पढ़े हैं।

और अब तो ऐसा project किया जा रहा है जैसे किसान ही गलत हैं।

लेकिन वो कहते हैं न कि – जाके पैर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर परायी।

तो आइये जानते हैं कि किसान बिल में क्या -क्या loophole हैं जिनका फायदा सिर्फ पूँजीपतियों को मिलेगा।

साथ ही यह भी जानते हैं कि समस्या का समाधान क्या हो सकता है।

जिससे किसान और सरकार दोनों ही संतुष्ट हो जाएँ।

1. MSP की problem – अब तक सरकार गेहूं और धान पर ही MSP (Minimum Support Price) देती आयी है।
इसलिए किसान इन दो फसलों को ही उगाते हैं।

इनसे उनको ज्यादा फायदा होता है। लेकिन समस्या यह है कि धान उगाने में बहुत पानी लगता है।

जिस से जमीन का जलस्तर कम हो रहा है।

दूसरी और किसान दालें और तिलहन आदि उतना नहीं ऊगा रहे जितना चाहिए।

तो सरकार ने सोचा कि MSP खत्म करने से दोनों problems solve हो जायेंगी। इसमें उनकी मंशा ठीक है।

लेकिन किसानों के लिए यह नुकसानदायक था। और उन्होंने इसका विरोध किया।

इसके परिणाम – स्वरुप कृषि मंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ने आश्वाशन दिया कि MSP नहीं हटेगी।

चलिए यह तो ठीक है। लेकिन इस से समस्या तो जस कि तस रही।

वास्तव में सरकार को यह कहना चाहिए था की वे दालों और तिलहन आदि के लिए भी MSP देगी।

ताकि किसान दूसरी फसलें भी ऊगा सकें। इस से उपरोक्त दोनों समस्याओं का समाधान हो जाता।

2. मंडियों की problem – किसानों को लग रहा है कि मंडियाँ खत्म हो जाएँगी।

जिन्हे आढ़तिये चलाते हैं। चाहे वे बड़े किसान हों या छोटे – local कारोबार तो चलता ही है।

लेकिन किसान बिल के according किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकेंगे।

ऊपर से देखने में यह अच्छा लग सकता है। लेकिन असली Catch 22 यहीं से शुरू होता है।

जरा सोचिये अगर किसान अपनी फसल किसी को भी बेच पायेगा तो उनकी फसल सबसे पहले कौन खरीदेगा ?

क्या आप या मैं खरीदने जायेंगे ? नहीं। हम तो middle class के लोग हैं।

इन्हे खरीदेगा capitalist या विदेशों में MBA करके तैयार हो रहे उनके बच्चे। जिन्हे नए -नए startup चलाने हैं।

PM कितना भी कहें कि मण्डियाँ खत्म नहीं होंगी, लेकिन वो तो अपने आप ही खत्म हो जाएंगी।

आइये थोड़ा और समझते हैं कैसे ?

मान लीजिये एक किसान अपनी फसल बेचना चाहता है।

उसे मंडी वाला approach करता है और 30 रुपये price रखता है।

लेकिन तभी कोई पूँजीपति आएगा और वह किसान को 35 रुपये offer कर देगा। क्युँकि
वह पहले ही अरबपति है।

इस तरह देश के 20 % पूंजीपतियों का किसानों की फसल पर कब्ज़ा रहेगा।

और अब आप देखेंगे कि सच में मण्डिया तो होंगी – लेकिन वो ठप्प पड़ी होंगी।

और आदरणीय PM भी कहेंगे – हमने तो मण्डियाँ बंद नहीं की। ये तो अपनेआप हुई हैं।

इसलिए किसान बिल में यही Catch – 22 छुपा हुआ है।

(Catch-22 novel by Joseph Heller – summary in Hindi)

आप बोलेंगे इस से किसान को तो फायदा हो जायेगा। लेकिन शुरू में ऐसा हो सकता है।

लेकिन जब मण्डिया बंद हो जाएँगी तो किसान को दिया जाने वाला प्राइस भी काम कर
दिया जायेगा। मजबूर होकर किसान को काम पैसों में फसल बेचनी पड़ेगी।

दूसरा – यह कहना कि किसान अपनी फसल किसी को भी बेच पायेगा, ये अपने -आप में ही unorganized
process का सूचक है। अभी किसान को specifically पता है कि मंडी में बेचना है।

किसी को भी बेचने का मतलब आखिर क्या है ?

और इस से जो लूट -खसूट मचेगी और रिश्वत या भ्रष्टाचार फैलेगा वह क्यों किसी को नजर नहीं आ रहा !

क्युँकि सब लोग किसान से फसल लेना चाहेंगे।

दूसरा आम जनता को बहुत ज्यादा नुक्सान होगा। Capitalist अगर ऊँचे दामों पर खरीदेगा
तो आपको ऊँचे दामों पर बेचेगा भी।

इससे महँगाई और inflation बढ़ जायेगी। और सारा economic balance ही बिगड़ जायेगी।

दूसरा आढ़तियों का कारोबार भी तो बंद हो जायेगा। वे भी तो एक तरह के किसान ही
होते हैं।

तो क्या आप यही चाहते हैं कि हर चीज का फायदा सिर्फ capitalist को ही मिलता रहे ?

गरीब या middle – class लोग सिर्फ बेरोजगार होकर घूमते रहें।

जैसे अभी तक पंजाब की फसल पंजाब का ही आढ़तिया खरीदता -बेचता है।

लेकिन बिल के लागू होने के बाद देश के 20 % rich लोग ही इस कारोबार
पर अपना कब्ज़ा जमा लेंगे।

आप आलू का ही case ले लीजिये। आपने अब तक कौन से chips खाये हैं ?

Lays का नाम तो सुना ही होगा। यह एक विदेशी कंपनी है।

हरियाणा या पंजाब के किसी बालक के बनाये हुए chips खाये हैं कभी ?

Middle – class का कोई बालक अगर chips का startup लगाना भी चाहेगा तो बड़ी कंपनी
येन – केन – प्रकारेण उसका business ठप्प कर ही देगी। हरियाणा का आलू, हरियाणा का ही आदमी
नहीं खरीद पा रहा है। यही हाल धान और चावल का हो जायेगा।

आपने सुना ही होगा – बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है।

इसी तरह पूँजीपति जो बड़ी मछलियां हैं वे छोटी मछलियों (किसानों और आढ़तियों ) को निगल जाएँगी।

और किसानों के subconscious में यही डर है। जिसे वे काम पढ़े -लिखे होने की वजह से
ठीक से व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।

और Media उनका साथ देना नहीं चाहता। वो तो इस बिल की खूबियां गिनाने में ही व्यस्त हैं।

लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि सिक्के के दो पहले होते हैं – एक नहीं।

Kisan Bill
(Kisan Bill)

समस्या का समाधान :

दोस्तो, एक आम नागरिक होने के नाते हम तो यही चाहते हैं कि किसान की भी बात रहे और सरकार का काम
भी ठीक से चले।

तभी यह देश आगे बढ़ेगा।

लेकिन जहाँ सरकार के पास Think – Tank हैं, वहीं किसान इतने पढ़े -लिखे नहीं है।

उन्हें अपनी बात ठीक से रखने नहीं आ रही है। वे इस loophole के बारे में बता ही नहीं पा रहे हैं।

वास्तव में अगली meeting में किसानों को कृषि मंत्री से किसान बिल में ये बातें जोड़ने के लिए कहना चाहिए।

1. 60 % फसल उसी राज्य के लोग खरीद पायें जहाँ वह उगाई गयी हो । जैसे हरियाणा के किसानों की फसल हरियाणा
के ही आढ़तिये या वहीं के बिजनेसमैन या आम नागरिक खरीद पाएँ।

2. अगर किसी पूंजीपति को फसल खरीदनी है तो वह उतने ही पैसे में खरीदे जितने में आढ़तिये खरीद रहे हैं।

मन – मुताबिक rate तय ही न कर पाएँ।

3. सभी फसलों के लिए MSP लागु की जाये। आखिर सरकार ने गेहूं और धान को ही क्यों MSP दे रखी है।
यह समस्या तो सरकार की खुद की बनायी हुई है।

4. अगर किसी किसान से कोई बिजनेसमैन वादा करे की उसकी फसल खरीदेगा और वक़्त आने में धोखा
दे दे। तो ऐसे में वह किसान अपनी फसल किसको बेचेगा।

क्युँकि तब तक तो आढ़तिया भी उस से नाराज हो चुका होगा। तो सरकार लिख कर दे के वे उसकी फसल खरीद लेंगे।

अगर सरकार इन demands को मान लेती है तो साबित हो जायेगा कि वे पूँजीपतियों को फायदा नहीं
पहुँचा रहे बल्कि सच में किसानों का भला चाहती है।

Conclusion :

किसानों के मन में अनजाना डर है। जो वे खुद व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।

लेकिन सरकार को ऊपर दी गयी बातों पर ध्यान देना चाहिए। और उनका सही समाधान करना चाहिए।

क्युँकि जिस देश के नागरिक खुश नहीं होते उसका Happiness index गिर जाता है।

इसलिए सरकार को जल्दी से जल्दी किसानों की यातना खत्म करनी चाहिए।

और यह भी याद रखना किये की बिल लोगों के लिए होते हैं। लोग bills के लिए नहीं होते।

दोस्तो, किसान बिल के बारे में नीचे comment करके अपना opinion बतायें।

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धन्यवाद।

नोट : इस article – Kisan Bill में व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने हैं।

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