Breakfast With Socrates summary in Hindi

Book Breakfast With Socrates summary in Hindi : Socrates एक महान दार्शनिक थे। वे Greece (यूनान ) देश के रहने वाले थे। उनके शिष्य Plato भी महान दार्शनिक थे। आगे चलकर Plato के शिष्य Aristotle हुए । जो Alexander the Great के भी गुरु बने।

इस किताब में कुछ महान philosophers के दर्शन का निचोड़ दिया गया है। जिससे यह पता चलता है कि Life में हमारे दुखों का कारण क्या है। और हम सच्ची खुशी कैसे पा सकते हैं।

Author : Robert Rowland Smith

Breakfast With Socrates
(Summary in Hindi)

Lesson 1: Philosophy in Daily Life

बहुत से लोगों को लगता है कि Philosophy केवल dreamers के लिए है। या उन लोगों के लिए जो सोचते ही रहते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है। Philosophy का मतलब बड़े -बड़े complex concepts के बारे में सोचना ही नहीं है। बल्कि daily Life के छोटे – छोटे decisions लेने के बारे में सोचना भी Philosophy ही है।

Philosophy बड़े questions से भी डील करती है। जैसे Life क्या है ? क्या God सच में है ?
लेकिन लेखक कहते हैं कि रोज सुबह जब आप सोचते हैं कि breakfast में क्या बनाऊँ। या कौन सा dress
पहनूँ ? तो ये छोटे सवाल भी Philosophy के अंदर ही आते हैं।

Philosophy का सीधा मतलब है Love of Wisdom । यानि जो भी बुद्धि सोचती -समझती है उस सोच से प्यार करना। और उसी सोच पर विश्वास करना।

आसान शब्दों में देखा जाये तो Philosophy का मतलब है रोजमर्रा के decision लेने से पहले critically सोचना।
अगर आप बिना सोचे समझे अपना decision लेते हैं तो आपको आत्मग्लानि होती रहेगी।

जैसे कॉलेज courses के चुनाव को ही ले लें। अगर आपको लिटरेचर पसंद है और आप BA इंग्लिश करना चाहते हैं तो आप अपना decision कैसे लेंगे ? हो सकता है आपके Parents आपको बोलें कि Science ही लो। या आपने society से सुन रखा हो कि B. A तो कम marks वाले करते हैं। और B. A में तो job ही नहीं मिलती। आदि।

इसलिए आपको पहले शांत बैठकर critical thinking करनी होगी। तभी एक अच्छा decision ले पायेंगे।
और उस समय आप एक thinker या philosopher की तरह ही सोच रहे होंगे। source – Breakfast With Socrates summary in Hindi .

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by Robin Sharma

Lesson 2: Fight between Ego and Superego

हमारे दिन की शुरुआत morning routine से होती है। हम सुबह उठते हैं, ब्रश करते हैं , नहा – धो कर नाश्ता करते हैं और तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।

लेकिन बहुत से लोग सुबह जल्दी उठना नहीं चाहते। वे अलार्म क्लॉक के snooze बटन को दबाते रहते हैं। और सोचते हैं कि 5 मिनट और सो लेता हूँ। इससे वे लेट हो जाते हैं। जल्दी से ब्रश करते हैं , ब्रेकफास्ट नहीं कर पाते , भाग कर ऑफिस जाते हैं और लेट पहुँचते हैं।

लेखक कहते हैं कि हर सुबह हमारे अंदर दो तरह की Ego में लड़ाई होती है।

Sigmund Freud नाम के psychologist ने दो तरह की Egos बताई हैं – Ego और Superego

Ego हमारे Lizard brain से आती है। जो हमेशा आराम और सुख को पसंद करता है। उसे कोई भी stress और surprise पसंद नहीं होता।

जबकि Superego हमारे mammalian brain से आती है। यह advanced brain है। यह देखता है कि society हमसे क्या expect करती है। और उसी के according काम करता है।

जैसे सुबह जब आप अलार्म का snooze बटन दबाते हैं तो वह Ego का काम होता है। आप सोचते हैं कि अभी सो लेता हूँ।

लेकिन अगर आप अलार्म बजते ही उठ जाते हैं तो आपकी Superego का काम है। और वह जीत जाती है।

अगर आप ऑफिस भी टाइम से पहुँच जाते हो तो भी आपकी Superego की ही जीत होती है।

तो इस तरह हमारे अंदर हमेशा Ego और Superego के बीच fight चलती है। इसलिए अगर लाइफ में आगे बढ़ना है तो हमेशा Superego को ही जितायें। इससे आपको आगे चलकर असली आनंद मिलेगा। जो Ego आपको कभी भी नहीं दिलवा पायेगी। Book – Breakfast With Socrates summary in Hindi .

Lesson 3: Doctrine of Two World (Breakfast With Socrates summary in Hindi)

क्या आपको अपनी Job बोरियत से भरी लगती है। क्या आपको लगता है कि आप 9 से 5 वाली job में फँस चुके हैं।

अगर इसका जबाब हाँ है तो घबराइए नहीं। महान दार्शनिक Friedrich Nietzsche भी कई सालों तक इस समस्या से जूझते रहे थे।

आखिर उन्होंने एक Question बनाया जिससे कोई भी यह पता लगा सकता है कि क्या वह अपनी लाइफ से खुश है।

वह Question था – अगर मुझे यह Life फिर से मिले तो क्या मैं इसे जीना पसंद करूंगा ?

जो लोग इसका answer हाँ में देंगे वे ही इस Life से खुश होंगे। और जो न में देंगे वे खुश नहीं होंगे ।

लेकिन interesting बात यह है कि कोई भी अपनी मौजूदा लाइफ से खुश नहीं है। हर किसी को कोई न कोई कमी लगती है।

इस study के बाद Nietzsche ने Doctrine of Two World नाम का concept दिया।

इसका मतलब है कि हर इंसान दो तरह की दुनिया में जीता है। एक तो असली दुनिया और दूसरी उसके सपनों (fantasy) की दुनिया।

हम डिप्रेशन और बोरियत से निजात पाने के लिए एक सपनों की दुनिया या fantasy world बना लेते हैं। और उसमें जीने लगते हैं।

हम हमेशा सोचते हैं कि काश ज्यादा पैसा होता, ज्यादा बड़ा घर होता, ज्यादा अच्छा पार्टनर होता आदि -आदि।
लेकिन Friedrich Nietzsche ने बताया है कि ये इंसानी weakness के sign हैं। इस तरह की fantasy में रहने वाले लोग हमेशा दुखी रहते हैं।

और अपनी मौजूदा life को भी ठीक से नहीं जी पाते।

अगर आपको सच में Life में खुश रहना है तो Fantasy World में रहना छोड़िये। जो भी आपके पास है उसकी कदर करना सीख लीजिये।

वरना आपकी Life हालातों का रोना रोने में ही निकल जाएगी। हो सकता है कभी बड़ा घर मिले ही न। या कभी धनपति कुबेर बने ही न।

तो क्या आप Life में खुश ही नहीं रहेंगे ? आपको ईश्वर ने एक ही जिंदगी दी है। उसके हर पल को ख़ुशी से भर लीजिये। और यह सिर्फ आपके हाथ में है।

एक रिक्शावाला ख़ुशी से झूमता और गाता हुआ रिक्शा चला सकता है। जबकि एक Company का मालिक Court के पचड़ों में पड़कर दुखी भी हो सकता है। इसलिए पैसों और ऐशो -आराम से ख़ुशी का कोई लेना- देना नहीं है।

सब आपके positive attitude यानि मानसिकता पर ही निर्भर करता है। ऐसे positive attitude वालों को ही Friedrich Nietzsche ने superhuman कहा है।

तो आप भी हर पल खुश रहना सीखिए और superhuman बन जाइये।

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है आपको Breakfast With Socrates summary in Hindi पसंद आयी होगी। Thank You.

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