The Four Agreements summary in Hindi

Book summary – The Four Agreements summary in Hindi : दोस्तो, क्या आपको अपना potential पता है ? आप लाइफ में कितना achieve कर सकते हैं और अभी तक आपने कितना कर लिया है ? कहीं आप उस हाथी की तरह तो नहीं है जिसे रस्सी से बाँध दिया गया हो और वह सोच बैठा है कि अब जिंदगी की परिधि उतनी ही है जितनी उस रस्सी की लम्बाई है। तो आज इस किताब की summary पढ़िए और अपना true potential पहचानिये ।

Author : Don Miguel Ruiz

The Four Agreements
(Summary in Hindi)

Part 1 – Domestication (Brainwash)

हम सब को इस दुनिया ने domesticate किया हुआ है। या दूसरे शब्दों में कहें तो Brainwash किया है।
हमारे अंदर ऐसे विचार भर दिए गए हैं कि हम life में कुछ बड़ा सोच ही नहीं पाते। और इससे हम सिर्फ एक भ्र्म की दुनिया में जी रहे होते हैं।

जैसे आपने देखा होगा कि एक रिक्शेवाला सारी जिंदगी रिक्शा ही चलाता रहता है। वह कभी यह नहीं सोचता कि जो savings हुई है उससे कोई अच्छा सा शोरूम या दूकान खोल लूँ। और लाइफ में कुछ quality ले आऊँ। क्युँकि उसने यह मान लिया है कि वह सिर्फ रिक्शा चलाने लायक ही है। क्युँकि समाज में रहकर उसने यही सब देखा -सुना होता है। जिससे वह brainwashed हो चुका है। और अब वह बड़ा सोचता ही नहीं है।

इसी तरह मिडिल क्लास में parents कभी भी अपने बच्चों को यह नहीं कहते कि तुम फिल्म एक्टर या डायरेक्टर आदि बनो। बल्कि सबको भेड़ -चाल में चलते हुए अपने बच्चों को doctor या engineer ही बनाना है।

क्युँकि उनका brainwash हो रखा है। और वे इस भ्र्म में जी रहे हैं कि डॉक्टर और engineer ही बेस्ट job options हैं। और फिर यही चीज बे अपने बच्चों को सिखा देते हैं। और यह क्रम चलता रहता है।

तो इस तरह से हम society द्वारा domesticated या brainwashed हो चुके हैं। जिसकी वजह से हम
हमेशा illusion (भ्रम) में जीते हैं।

तो इससे छुटकारा पाने के लिए लेखक ने ये तीन steps बताये हैं :

1. Awareness – कभी भी भ्रम में न जियें । जो भी चीजें आज तक देखी -सुनी है उनके बारे में तर्क करें।
ऐसा न लगे कि आप हर चीज बेहोशी में किये जा रहे हों ।

2. Forgiveness – लोग हमेशा अपनी बातों से आपको hurt करने की कोशिश करेंगे । उन बातों को दिल से लगाने की वजाय आप उन लोगों को माफ़ कर दें। यह सोचकर कि उन्हें सही ज्ञान ही नहीं है। आप सिर्फ अपने goal पर केंद्रित रहे ।

3. Action – कभी भी निठ्ठले न बैठें । बल्कि हमेशा Action लेते रहें । इससे आप अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते जायेंगे। और आपकी निंदा करने वाले ही एक दिन आपका example देंगे।

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Part 2 – The Four Agreements

इस भाग में लेखक ने 4 agreement दिए हैं। जिन्हे अपनाकर आप society द्वारा किये गए हमारे brainwash से निजात पा सकते हैं। तो आइये अब इन चारों के बारे में पढ़ते हैं। source – The Four Agreements summary in Hindi .

Agreement 1 – Keep Your Promise

पहला Agreement है अपनी बात के पक्के रहो। अगर आपने किसी काम के लिए commit किया है तो फिर उसे पूरी जिम्मेवारी से निभाओ।

अगर किसी दोस्त को हेल्प करने का promise किया है तो उसे end तक निभाओ। ऐसा न हो कि बीच में ही
उसे अकेला छोड़ कर चले जायें।

इस दौरान बहुत सी problems भी आ सकती हैं। लेकिन फिर भी दोस्ती निभायें। कुछ लोग कुछ देर तक तो साथ देते हैं। लेकिन फिर problems से घबरा कर दूसरे आदमी को अकेला छोड़ देते हैं।

इससे उस दोस्त का आप पर trust ही खत्म हो जायेगा। और आपकी reputation भी खराब हो जाएगी। जिससे आप भी खुश नहीं रह पाओगे।

अगर आपने किसी project की जिम्मेवारी ली है तो उसे पूरा करें। अगर इस बीच कोई गलती हो तो उसे भी जिम्मेवारी के साथ स्वीकार करें। अपनी Ego के चक्कर में दूसरों पर इल्जाम न लगा दें।

अगर दूसरों में कमियाँ हैं तो उनको judge न करें। हर किसी में कोई न कोई कमी होती ही है। इसलिए लोगों की कमियों को नहीं बल्कि उनकी खूबियों को देखें। और उनकी तारीफ करें। आप देखेंगे कि दूसरों को खुश करके ही आपको असली खुशी मिलती है।

दूसरों की तारीफ करके आप कभी भी छोटे नहीं होते। बल्कि बड़े बन जाते हो।

Agreement 2 – Don’t Take Things Personally (Book The Four Agreements summary in Hindi)

दूसरा Agreement है – कभी भी दूसरों की negative बातों को personally न लेना।

आपने देखा होगा हर कहीं झगडे का मुख्य कारण यही होता है कि दूसरे आदमी ने तीसरे आदमी को कुछ कहा होता है। और वह तीसरा उसी बात से hurt हो गया होता है।

जैसे बहू अपने पति से सास के बारे में शिकायत करते हुए यही कहती है कि सास हमेशा कमियाँ ही निकालती रहती है।

या ऑफिस में एक colleague अपने friend से कहता है कि दूसरे ने उसे कोई चुभने वाली बात बोली है। और इन सबसे झगडे हो जाते हैं।

लेकिन लेखक कहता है कि अगर कोई हमें चुभने वाली या hurt करने वाली बात भी बोले तो उसे personally न लें। बल्कि सामने वाले को अज्ञानी जान कर माफ़ कर दें। यह सोचें कि दूसरे के कहने से आप छोटे कैसे हो जायेंगे।

जैसे कुत्ता अगर हाथी की कोई निंदा करे तो क्या सच में हाथी छोटा हो जायेगा। क्या हाथी को उससे झगड़ा शुरू कर देना चाहिए। या उसे रोना शुरू कर देना चाहिए। लेकिन नहीं हाथी इन बातों को कभी personally लेता ही नहीं है। क्युँकि उसे पता है कि वह क्या है।

ठीक इसी तरह आपको भी याद रखना चाहिए कि आप क्या हो। दूसरे के कहने से आप बदल नहीं जाते।

साथ ही आपको अपने बड़े goal पर ही फोकस किये रहना चाहिए। और आपका बड़ा goal होना चाहिए – हमेशा दूसरों की help करना।

लेखक कहते हैं कि अगर आप चीजों को personally नहीं लेंगे तो आपकी लाइफ से stress, anxiety, डिप्रेशन, ईर्ष्या, द्वेष आदि अपने -आप ही दूर हो जायेंगे। और आप हमेशा खुश रहना शुरू कर देंगे।

Agreement 3 – Don’t Make Assumptions

तीसरा Agreement है – कभी भी धारणा न बनायें । बहुत बार हम दूसरे आदमी के प्रति एक धारणा बना लेते हैं।
हम सोचने लगते हैं कि सामने वाला हमेशा हमारे लिए बुरा ही सोचता है। (Book – The Four Agreements summary in Hindi)

लेकिन हो सकता है कभी – कभी उसे हमारे काम में सच में कोई genuine कमी दिखी हो।

इसलिए लेखक कहते हैं कि अगर कोई आपको criticize करे तो आप assumption बनाने के बजाय उससे communicate करें।

उससे question पूछें कि प्लीज आप बता सकते हैं कि काम में क्या कमी रह गयी है। और उसे कैसे दूर किया जाये।

अगर वह आदमी आपकी कमी बताता है तो पहले आप देखें कि क्या वह सही कह रहा है। अगर सच में सही कह रहा है तो उसे धन्यवाद बोलें और उस कमी में सुधार कर लें।

लेकिन अगर उसने वेवजह कमी निकाली है तो उस पर गुस्सा होने के बजाय उसे माफ़ कर दें। क्युँकि आप एक बड़े दिल वाले व्यक्ति हैं। और हो सकता है दूसरा इतना दिलवाला न हो। ऐसे लोगों को kindness की ज्यादा जरूरत होती है।

शुरू में ऐसा करना मुश्किल लग सकता है। लेकिन धीरे -धीरे यह आपका nature बन जायेगा। और सामने वाला
आपके इस बर्ताब से खुद पर ही शर्मिंदा हो जायेगा। और खुद को भी बदल लेगा ।

Agreement 4 – Do Your Best (The Four Agreements summary in Hindi)

चौथा Agreement है – किसी भी काम को अपने best तरीके से करना ।

आपने देखा होगा बहुत बार कर्मचारी अपनी job से बहुत उदासीन प्रतीत होते हैं। वे सोचते हैं कि वे अपनी job में फँस गए हैं। वे हर काम ऐसे करते हैं मानों किसी पर एहसान कर रहे हों ।

उनमें दूसरों के प्रति सेवा -भाव ही नहीं होता। साथ ही वे जो भी काम कर रहे होते हैं वो इसलिए क्युँकि उन्हें इसकी salary मिल रही होती है।

लेखक कहते हैं कि यह attitude गलत है। इससे job करने वाला खुद ही दुखी रहता है। लेकिन अगर वह अपने काम को पूजा मान कर करे तो उसे job करने में भी मजा आएगा । और काम बोझ भी नहीं लगेगा।

इसलिए हर आदमी को अपना काम दूसरे की help करने के नजरिये से करना चाहिए । इससे सामने वाला भी मन ही मन उसकी तारीफ भी करेगा और इज्जत भी। इससे उस worker को खुद पर गर्व भी होगा।

एक अच्छा clerk वो माना जायेगा जो कभी भी अपने ऑफिस के बाहर लम्बी कतार लगने ही न दें।

बहुत से कर्मचारी बस टाल -मटोल करके दूसरों को परेशान करते रहते हैं। इस तरह से तो हर जगह ऐसा होने लगेगा । और वे खुद भी इस प्रॉब्लम को झेलेंगे।

इसलिए पहले खुद example सेट करें। इससे दूसरे भी उस पर अमल करने लगेंगे । और हर काम time से होगा। जिससे देश भी तरक्की करेगा।

Punctuality के मामले में जर्मनी के लोगों का कोई सानी नहीं है। उनकी ट्रैन देखकर आप घडी मिला सकते हैं। वहाँ train का driver भी इतनी शिद्दत से अपना काम करता है। इसलिए वह देश इतना छोटा होता हुआ भी इतना अमीर और खुशहाल है।

अगर आपसे कोई file अगले Wednesday को माँगी गयी है और अगर आप Tuesday को ही उसे compete कर लेते हैं तभी माना जायेगा कि आप अपना best दे रहे हैं।

बहुत से लोग हफ़्तों की देरी करते हैं। और कहते हैं कि उन्होंने तो best effort लगाया है। लेकिन दरअसल उसे सिर्फ worst effort ही माना जायेगा।

इसलिए बहानों के बजाय काम में जुटें । इससे आपकी efficiency भी बढ़ेगी और लोगों में आपकी respect भी।

समाप्त।

दोस्तो, The Four Agreements summary in Hindi पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि जिंदगी में कौन से चार agreements पर चलना है। इनका अनुकरण कीजिये। आपको अभूतपूर्व सफलता मिलेगी। धन्यवाद।

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