EBITDA kya hota hai in Hindi

EBITDA kya hota hai in Hindi (EBITDA का हिंदी में अर्थ) :

दोस्तो, अगर आप शेयर लेना चाहते हैं तो आपको Fundamental Analysis करना होगा। जिसमें मुख्यता, PE Ratio मार्किट कैप, ROE तथा EBITDA को जरूर देखना चाहिए।

EBITDA क्या होता है तथा यह शेयर चुनने में कैसे हेल्प करता है, इसकी पूरी जानकारी आपको इस ब्लॉग पोस्ट में दी जाएगी। (Article : EBITDA kya hota hai in Hindi).

EBITDA के बारे में निम्न टॉपिक्स विस्तार से बताये जायेंगे। इन्हे जानकार आप भी Stock Market के एक्सपर्ट बन सकते हैं।

I. Definition and Components of EBITDA (परिभाषा और घटक)

II. Importance of EBITDA (महत्व)

III. Calculation of EBITDA (गणना)

V. Limitations of EBITDA (सीमाएं या नुकसान)

तो आइये एक -एक करके इन सबके बारे में पढ़ते हैं।

EBITDA kya hota hai in Hindi
EBITDA kya hota hai in Hindi

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I. Definition and Components of EBITDA

EBITDA का फुल फॉर्म है – Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization.

(ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय)।

इसका सरल शब्दों में मतलब है – कंपनी की कुल आय , जिसमें से टैक्स, और दूसरे खर्चों का नहीं घटाया गया होता है। बल्कि वे इसमें जुड़े रहते हैं।

मान लीजिये किसी कंपनी की कुल Earning 100 करोड़ है और उस पर टैक्स 10 करोड़ बनता है। तो EBITDA सीधे – सीधे 110 करोड़ माना जायेगा।

लेकिन सिर्फ समझाने के लिए सिर्फ टैक्स की बात कही गयी है। वास्तव में और भी चीजें जुडी होती हैं। जो आप आगे पढ़ेंगे। Blog: EBITDA kya hota hai .

EBITDA के पाँच component हैं। आइये अब उनके बारे में जान लेते हैं :

1. Earnings or Net Income (कमाई)

सबसे पहले कंपनी की Earning आती है। जिसे आय, शुद्ध आय (Net Income) या लाभ के रूप में भी जाना जाता है। यह EBITDA का प्राथमिक घटक है।

यह किसी कंपनी द्वारा कमाया गया कुल Revenue होता है जिससे Expenses (खर्चे ) घटा दिए जाते हैं।

Expenses में बेचे गए माल की लागत, cost of goods sold, operating expenses, interest expenses, और taxes आदि शामिल हैं।

इसका फार्मूला ये होता है :

Net Income = Total Revenue – Total Expenses

2. Interest (ब्याज) | (EBITDA kya hota hai in Hindi)

हर कंपनी अपना बिज़नेस चलाने के लिए बैंक आदि से लोन लेती है। और उसे हर महीन उस पर व्याज सहित किश्त वापस करनी पड़ती है। यही Interest में आता है।

EBITDA कैलकुलेट करने के दौरान इसे घटाया नहीं जाता है बल्कि जोड़ा जाता है।

3. Tax (कर)

हर कंपनी पर सरकार कुछ टैक्स लगाती है। जितनी इनकम होगी उसके हिसाब से ही कर देना होगा। इसे भी EBITDA में घटाया नहीं बल्कि जोड़ा जाता है।

4. Depreciation (मूल्यह्रास)

हर कंपनी के पास अपने Assets होते हैं। जैसे मशीनरी , उपकरण , कलपुर्जे , Vehicles , फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक gadgets आदि। लेकिन समय के साथ उनकी कीमत घट जाती है।

जैसे आपने आज एक AC 40 हजार का लिया है तो 5 साल बाद वह शायद 15 हजार का रह जाए। इसे ही डेप्रिसिएशन कहते हैं।

इसी तरह कंपनी की मशीनरी भी समय के साथ पुरानी पड़ जाती है। और उसे ठीक करवाने तथा maintenance की भी जरुरत पड़ती है।

ये सारे खर्चे डेप्रिसिएशन में शामिल होते हैं। EBITDA में इन्हे भी घटाया नहीं जाता है बल्कि जोड़ा जाता है।

EBITDA kya hota hai in Hindi.

5. Amortization (परिशोधन)

परिशोधन भी मूल्यह्रास की तरह होता है। लेकिन दे हमेशा Tangible Assets की होती है। यानि ऐसे सामान जिन्हे आप छू सकते हो।

इसके विपरीत Amortization ऐसे एसेट की होती है जिन्हे हम छू नहीं सकते , क्युँकि वे ज्ञान पर आधारित हैं। ऐसे assets को non tangible एसेट कहा जाता है। जैसे पेटेंट, कॉपीराइट या ट्रेडमार्क आदि।

(अब आप यह नहीं बोल सकते हो कि आप तो पेटेंट को पकड़ सकते हो। वास्तव में आप कागज को पकड़ सकते हो लेकिन पेटेंट की गयी तकनीक को नहीं )।

कई बार कंपनी ने जो पेटेंट लिया होता है उसकी Expiry हो चुकी होती है। तथा उन्हें उसे फिर से लेना पडता है जिसमें बहुत सा खर्चा आ सकता है।

तो इस तरह के के खर्चे को भी EBITDA में घटाने की बजाय जोड़ा जाता है।

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II. Importance of EBITDA (महत्व)
(EBITDA kya hota hai in Hindi)

EBITDA (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization) किसी भी company की Financial Analysis में मदद करता है।

ऐसा करके आप जान सकते हैं कि किसी कंपनी के शेयर्स लेने चाहिए या नहीं।

EBITDA किसी भी कंपनी की performance, profitability और cash flow की जानकारी दे देता है। जिससे पता चल पाता है कि कंपनी भविष्य में Grow करेगी या Bankrupt हो जाएगी।

आइए अब EBITDA के महत्व को विस्तार से पढ़ते हैं :

1. Assessing operational performance (परिचालन प्रदर्शन का आकलन)

EBITDA से निवेशकों और विश्लेषकों को पता चलता है कि Company के Core Operations कैसे चल रहे हैं।

हमें पता चलता है कि प्राइमरी बिज़नेस से कितनी आय हो रही है। क्युँकि टैक्स, depreciation आदि लगने से तो इनकम घटी हुई भी दिख सकती है। मान लीजिये कंपनी ने पुरानी मशीनरी को बेच कर नयी मशीनरी लगाई है। तो इस पर खर्चा हुआ होगा। (Post- EBITDA kya hota hai in Hindi).

अब इसकी वजह से Earning कम दिखगी। ऐसे में हम यह नहीं कह सकते कि Company में कुछ गड़बड़ हुई है।

लेकिन जब हम EBITDA देखेंगे तो वह काफी अच्छा होगा। इसलिए EBITDA जरूर देखना चाहिए और उसे Net Earning से compare करना चाहिए। तभी सारी पिक्चर clear हो पायेगी।

2. Comparing profitability between companies (कंपनियों की तुलना)

EBITDA से हमें एक से ज्यादा कंपनियों को Compare करने में भी हेल्प मिलती है। EBITDA की जगह अगर आप सिर्फ Earning (Net Income) देखते हैं तो वह आपको धोखा भी दे सकता है।

मान लीजिये एक कंपनी ने नयी मशीनरी लागई हो और उसमें खरचा हुआ है। तो नेट एअर्निंग या इनकम निकालते वक़्त उसे घटाया जायेगा। जिससे earning कम दिखेगी।

ऐसे में इन्वेस्टर को लगेगा कि कंपनी घाटा खा रही है। जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने सिर्फ नयी मशीनरी पर खर्चा किया है जो अच्छी बात है। इससे भविष्य में उनका बिज़नेस और अच्छा चल पायेगा।

वहीं दूसरी ओर एक अन्य कंपनी जिसने नयी Machines नहीं ली, उसकी Earning पहली कंपनी के मुकाबले ज्यादा नजर आएगी।

इसलिए आपको दोनों कम्पनीज का EBITDA देखना चाहिए। इससे साफ़ -साफ़ पता चलेगा कि कौन सी कंपनी ने ज्यादा प्रॉफिट किया है।

क्युँकि EBITDA में पहली कंपनी ने भी depreciation या दूसरा कोई भी cost घटाया नहीं होगा।

3. Understanding Cash Flow Generation (कैश फ्लो को समझना)

दोस्तो, कैशफ्लो का सीधा मतलब होता है कि कंपनी का Cash कहाँ जा रहा है और कहाँ से आ रहा है। इसी को Cashflow कहते हैं। इसे देखने में EBITDA खास भूमिका निभाता है।

EBITDA से आपको पता चलता है कि कोई भी कंपनी सिर्फ अपने Operations के जरिये कितना Cash ला पा रही है।

लेकिन आप सिर्फ नेट इनकम देखोगे तो आपको यह पता नहीं चलेगा कि कंपनी ने बिज़नेस से वास्तव में कितना कमाया है। क्युँकि नेट इनकम में बाकी के खर्चों को घटा दिया जाता है। इससे Cash Flow की सही जानकारी नहीं मिल पाती।

4. Evaluating investment opportunities (निवेश के अवसरों का मूल्यांकन)
(EBITDA kya hota hai in Hindi)

EBITDA से आपको निवेश के सुनहरे अवसरों का भी पता चलता है। मान लीजिये किसी Blue Chip कंपनी का
EBITDA एक quarter में कम आया है , तो इससे उसका शेयर नीचे गिरता है।

लेकिन क्युँकि वह ब्लू चिप कंपनी है इसलिए देर -सवेर उसका शेयर फिर से ऊपर चढ़ता है।

अब EBITDA कम आने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे डिमांड कम हो गयी हो, किसी देश में युद्ध छिड़ गया हो आदि। Article – EBITDA kya hota hai .

इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी में गड़बड़ हुई है। इस तरह से आप उस कंपनी में निवेश कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए Infosys का EBITDA, 2023 के पहले Quarter में कम आया था। क्युँकि अमेरिका में रिसेशन चल रहा था और इनफ़ोसिस की पेमेंट अमेरिकी डॉलर में होती है।

इसलिए उसका EBITDA कम हुआ था। कंपनी में कोई खराबी नहीं थी। लेकिन दोस्तो यह कोई खरीदने की सलाह नहीं है बल्कि सिर्फ जानकारी है।

EBITDA के अलावा आपको PE Ratio और बाकी का Fundamental Analysis भी करना चाहिए।

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III. Calculation of EBITDA (गणना)

EBITDA की गणना आप निम्न स्टेप्स में कर सकते हैं।

1. Start With Net Income (शुद्ध आय से शुरू करें):

सबसे पहले कंपनी की Income Statement देखें । उसमें से Net Income ले लें।

जो सबसे नीचे दी गयी होती है।

Net income, कुल राजस्व से सभी खर्चों को घटाने के बाद प्राप्त होती है। यह इनकम स्टेटमेंट में दी रहती है।

आप खुद भी इस फार्मूला से इसे निकाल सकते हैं।

Net Income = Total Revenue – Total Expenses

2. Add Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन जोड़ें)


Net Income प्राप्त करने के बाद, EBITDA की गणना करने के लिए निम्नलिखित घटकों को जोड़ें:

EBITDA = Net Income + Interest + Taxes + Depreciation + Amortization

तो इस तरह से आपको EBITDA मिल जायेगा।

Example:

मान लीजिये एक कंपनी से आपको यह Data प्राप्त होता है। इससे आप EBITDA इस तरह से निकाल सकते हैं :

Net Income: Rs 500,000

Interest Expense: 50,000

Taxes: 100,000

Depreciation: 75,000

Amortization: 25,000

EBITDA निकालने के लिए हम इस फार्मूला का प्रयोग करेंगे :

EBITDA = Net Income + Interest + Taxes + Depreciation + Amortization
500,000 + 50,000 + 100,000 + 75,000 + 25,000 = 750,000

इस तरह से इस कंपनी का EBITDA Rs 750,000 है.

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V. Limitations of EBITDA (सीमाएं या नुकसान)


जबकि EBITDA (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization) एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला वित्तीय मीट्रिक है, इसकी सीमाओं को समझना भी महत्वपूर्ण है।

EBITDA के कुछ नुक्सान भी हैं और यह कंपनी की वित्तीय स्थिति की पूरी तस्वीर प्रदान नहीं करता है। आइए EBITDA की सीमाओं को समझें :

1. Exclusion of Non-Operating Items (गैर-परिचालन मदों का बहिष्करण)

EBITDA में बहुत से ख़र्चों जैसे ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन को अलग नहीं किया जाता हैं। इससे हमें यह पता नहीं चल सकता कि कंपनी ने कितना लोन ले रखा हैं यानि उस पर कितना कर्ज हैं।

साथ ही यह भी पता नहीं लगा सकते कि कंपनी के Assets कि क्या स्तिथि हैं। क्या वे पुराने हैं या नए हैं। इसलिए नेट इनकम से compare करना जरुरी हो जाता हैं। EBITDA kya hota hai in Hindi .

2. Ignoring Changes in Working Capital (कार्यशील पूंजी में परिवर्तन की उपेक्षा)

EBITDA में कार्यशील पूंजी में होने वाले परिवर्तन को भी नहीं दर्शाया जाता है। जैसे कि प्राप्य खाते, देय खाते और इन्वेंट्री।

कार्यशील पूंजी में उतार-चढ़ाव कंपनी के Cash Flow को प्रभावित कर सकता है। इन परिवर्तनों को अनदेखा करने से कंपनी की वित्तीय स्थिति का अधूरा मूल्यांकन ही हो पायेगा।

3. Omission of capital expenditures (पूंजीगत व्यय की चूक) | EBITDA kya hota hai in Hindi

EBITDA पूंजीगत व्यय (CapEx – Capital Expenditure) को भी नहीं दिखाता है। Capex का मतलब है Business के लिए आवश्यक दीर्घकालिक संपत्ति में निवेश।

CapEx, में बहुत से खर्चे आते हैं जैसे मशीनरी या बुनियादी ढांचे में निवेश, renovations आदि।

इसलिए EBITDA कंपनी के नकदी प्रवाह और Operations को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर सकता है।

4. Susceptibility to manipulation (हेरफेर के लिए संवेदनशीलता)

कोई भी कंपनी अपने EBITDA में आसानी से हेर -फेर कर सकती है। अगर कोई कंपनी चाहे कि उसके शेयर के दाम बढ़ जाएँ तो वह अपने EBITDA को बढ़ा देगी।

इसका आसान तरीका यह है कि वे depreciation को बढ़ा देगी। इसके लिए सस्ती मशीनरी खरीदेगी लेकिन Bill में उसका cost महँगा दिखा देगी।

जब इसे EBITDA में जोड़ा जायेगा तो वह अपनेआप ही बढ़ जायेगा। तथा investors गलत समझ सकता लेगा कि कंपनी बहुत अच्छा परफॉर्म कर रही है। तथा बेहद नयी मशीनरी भी खरीद रही है।

एबिट्डा ज्यादा दिखने पर छोटे इन्वेस्टर्स उस कंपनी में पैसा लगाने लगते हैं। जिससे Share ऊपर चढ़ता है। लेकिन तभी कंपनी के ऑपरेटर जो वे लोग खुद होते हैं या उनके दोस्त , रिश्तेदार हो सकते हैं , अपने शेयर एकदम से बेच देते हैं। (EBITDA kya hota hai in Hindi).

इससे शेयर प्राइस गिर जाता है। ओर छोटे निवेशक काफी ऊपर के दाम पर फँस जाते हैं।

इसलिए हमेशा कंपनी की मैनेजमेंट देखी जाती है। और देखा जाता है कि उसके बोर्ड में ईमानदार ओर पढ़े -लिखे लोग हैं या Scam वाली छवि के लोग।

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FAQ (Frequently Asked Questions) | EBITDA kya hota hai in Hindi

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1. EBITDA की गणना कैसे की जाती है?

Answer: EBITDA की गणना इस फार्मूला से की जाती है :

EBITDA = Net Income + Interest + Taxes + Depreciation + Amortization

2. एक अच्छा एबिटा मार्जिन (EBITDA Margin) क्या है?

Answer: सब उद्योगों का EBITDA मार्जिन अलग -अलग होता है। फिर भी आमतौर पर 10 परसेंट का मार्जिन अच्छा माना जाता है।

3. एबिटा (EBITDA) सरल शब्दों में क्या है? (EBITDA kya hota hai in Hindi)

Answer: ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय .

इसका सरल शब्दों में मतलब है – कंपनी की कुल आय , जिसमें से टैक्स, और दूसरे खर्चों का नहीं घटाया गया होता है। बल्कि वे इसमें जुड़े रहते हैं।

4. किस उद्योग में सबसे ज्यादा एबिटा (EBITDA) है?

Answer: तेल और गैस, रेलमार्ग, खनन (Mining), दूरसंचार (Telecom) और  Transport Vehicles.

5. Full Form of EBITDA

Answer: Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization.

6. Full Form of EBITDA in HIndi

Answer: ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय .

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि EBITDA क्या होता है। इस ब्लॉग पर शेयर मार्किट से जुडी और भी अच्छी – अच्छी पोस्ट्स हैं। उन्हें भी पढ़ें और लाभ उठायें। धन्यवाद।

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