What is PE Ratio in Hindi

What is PE Ratio in Share market (PE Ratio क्या है ) : Article- What is PE Ratio in Hindi

Introduction: दोस्तो, PE Ratio का फुल फॉर्म है – Price-to-Earnings Ratio .

जिसका मतलब है कि Company का एक शेयर जितना Earn कर रहा है , उसके लिए आप कितना price दे रहे हैं।

मान लीजिये कंपनी का शेयर 100 रुपये earn कर रहा है और आप 50 रुपये में खरीद रहे हैं , तो आपको 50 रुपये का फायदा है।

इसके विपरीत अगर कंपनी का शेयर 100 कमा रहा है और आप 120 में खरीद रहे हैं, तो आपको 20 रुपये का नुक्सान है।

इस सबका पता ही PE Ratio से चलता है। (Article- What is PE Ratio in Hindi).

Note: ज्यादातर Cases में PE Ratio 12 महीने के लिए निकाली जाती है। इसलिए इस PE (TTM) Ratio भी बोला जाता है। TTM का फुल फॉर्म है – Trailing Twelve Month .

What is PE Ratio in Hindi
What is PE Ratio in Hindi

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What is PE Ratio in Hindi

PE ratio एक Financial Metric है। इसका उपयोग कंपनी के स्टॉक (Shares) के आकलन के लिए किया जाता है।

इससे पता चलता है कि कोई शेयर महंगा हो चुका है या अभी सस्ते में मिल रहा है। शेयर खरीदने से पहले PE Ratio जरूर देखनी चाहिए। तभी शेयर खरीदना चाहिए।

उचित PE Ratio पर खरीदा गया शेयर आगे चलकर आपको भारी मुनाफा देता है।

Grow App पर आप रोजाना किसी भी शेयर की PE Ratio आसानी से देख सकते हो। इसके बारे में आगे बताया जायेगा।

High PE Ratio का मतलब : एक उच्च PE Ratio बताता है कि शायद कंपनी भविष्य में grow करने वाली है। इसलिए बहुत से investors उसमें घुस जाते हैं। लेकिन कई बार यह ऑपरेटर्स की चाल भी हो सकती है। इसलिए Fundamental Analysis भी जरूर करना चाहिए।

High PE ratio से यह भी पता चलता है कि कंपनी Overvalued हो चुकी हो। ऐसी कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए।

Low PE Ratio का मतलब :

Low PE Ratio का अर्थ है कि कंपनी का स्टॉक Undervalued है, और ज्यादा investor उसमें रूचि नहीं रख रहे। लेकिन बहुत बार Retail Investors भेड़चाल में चलते हैं , और दूसरों की देखा -देखी शेयर लेते हैं। जबकि उन्हें उस स्टॉक के बारे में कुछ भी पता नहीं होता।

हो सकता है कि कोई स्टॉक अभी न चल रहा हो लेकिन Future में उसके चलने की बहुत उम्मीद हो।

उदाहरण के लिए Suzlon शेयर की PE Ratio अभी बहुत कम है। इसलिए यह एक Undervalued स्टॉक है।

मतलब बहुत से बड़े investor अभी इसमें निवेश नहीं कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कभी चलेगा ही नहीं। Blog – Article- What is PE Ratio in Hindi.

क्युँकि अगर फ्यूचर में renewable energy पर सरकार ने जोर दिया तो यह स्टॉक बहुत तेजी से भाग सकता है।

इसलिए PE Ratio सिर्फ एक indicator है। इसके अलावा आपको Fundamental और Technical Analysis भी करनी होती है। तथा मार्किट के रुझान और News आदि पर भी नजर रखनी चाहिए।

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Calculation of PE Ratio:

PE Ratio (मूल्य-से-कमाई अनुपात) एक Valuation Metric है। इसका उपयोग किसी कंपनी के स्टॉक की सही Value जानने के लिए किया जाता है।

इसकी Calculation प्रति शेयर बाजार मूल्य (Price ) को प्रति शेयर आय (EPS) से विभाजित करके की जाती है।

PE Ratio = Price/Earning (EPS)

PE Ratio की calculation आप इन तीन Steps में कर सकते हैं :

1. Determine the Market Price per Share:

सबसे पहले कंपनी के शेयर का अभी जो Price चल रहा है, वो देख लें। उदाहरण के लिए, मान लें कि कंपनी ABC का एक शेयर 100 रुपये पर मिल रहा है।

2. Calculate the Earnings per Share (EPS)

इसके बाद आपको EPS निकालना होगा। इसके लिए कंपनी ने साल में जितनी कमाई की है, उसे शेयर के Price से भाग कर दें।

मान लीजिये कंपनी की इस बार की कमाई 1,00,000 है। तो इसे 100 से भाग देना होगा, जो शेयर की कीमत है।

तो EPS हो गया = 1000

3. Calculate the P/E Ratio:

अब PE Ratio निकालने के लिए Step 1 को Step 2 से भाग देना है। Step 1 में शेयर Price पता है और Step 2 में EPS भी आपने निकाल लिया।

मतलब 100 को 1000 से भाग करना है।

PE Ratio = Price/Earning (EPS) = 100/1000 = 0.01

तो PE Ratio हो गयी = 0.01

लेकिन दोस्तो, आपको खुद ये सारा झंझट करने की जरुरत नहीं है। Grow App प्रतिदिन इस PE Ratio को हर Share के लिए अपडेट करता रहता है। आप वहाँ से देख सकते हैं।

अगले भाग में आपको इसके बारे में बताया गया है।

PE Ratio On Grow App ( What is PE Ratio in Hindi)

दोस्तो, हर quarter (तीन महीने में ) कंपनी अपनी income दिखाती है। उसी हिसाब से उसकी PE Ratio भी बदलती रहती है। इसलिए आपको खुद इसकी calculation करने की जरुरत नहीं है। बल्कि Grow App पर आप इसे आसानी से देख सकते हैं।

लेकिन तीन महीने की जगह 12 महीने की PE Ratio ही ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसे PE (TTM ) Ratio कहा जाता है। आपको Grow App पर यही दिखेगी।

PE Ratio देखने के लिए आप निम्न स्टेप्स को follow कीजिये।

1. सबसे पहले इस लिंक से Grow App को Download कर लें।

2. इसके बाद अपनी जरुरी जानकारी उसमें भर दें।

3. अपने आधार नंबर के जरिये KYC (Know Your Customer) भी उसी समय कर लें।

4. इसके बाद आप explore में जायें और वहाँ अपने इंटरेस्ट के Share पर क्लिक करें। अब आप देखेंगे कि आपके सामने Fundamental का पेज खुल गया है।

5. उस चार्ट पर आपको PE Ratio दिख जाएगी। (Info: Article- What is PE Ratio in Hindi)

Example के लिए नीचे आप Adani Ports की PE (TTM ) Ratio देख सकते हैं। यह Grow App से ही लिया गया है :

What is PE Ratio in Share market  (PE Ratio क्या है )

Note: दोस्तो, TTM का मतलब है – Trailing Twelve Month . अर्थात यह PE Ratio 12 महीनों की निकाली गयी है। आगे आपको P/B ratio और Industry PE के बारे में भी बताया गया है।

आप देख सकते हैं कि Adani Port की PE Ratio 30.17 है। और यह Industry PE से डबल से भी ज्यादा है क्युँकि Industry PE 14.23 है।

इसका मतलब है Adani Port का शेयर बहुत ही Overvalued है। मतलब investors सोच रहे हैं कि इसमें फ्यूचर में बहुत Growth होगी और बहुत पैसा बनेगा। इसलिए बहुत से लोग इसे खरीद रहे हैं।

लेकिन PE Ratio को बहुत से Factors बदल सकते हैं। जैसे हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी के Shares को नीचे ला पटका था।


तो आइये पढ़ते हैं कौन से factors PE Ratio को प्रभावित करते हैं ।

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Factors Affecting PE Ratio

दोस्तो, PE Ratio हर साल एक जैसी नहीं रहती। बल्कि बदल भी सकती है। नीचे प्रमुख कारण दिए हैं जो PE Ratio को प्रभावित करते हैं। जिससे वह बदल जाती है।

PE Ratio के बदलने से आपको अपने शेयर को बेचने या खरीदने का फैसला भी करना होता है।

1. Financial Performance: अगर कोई Company अच्छा perform करती है तो उसका return on investment (ROI) ज्यादा रहेगा। इससे P/E ratio भी बढ़ेगी।

लेकिन अगर कंपनी घाटे में रहती है तो PE Ratio भी घटेगी। आपको लगे कि PE Ratio गिर रही है तो शेयर बेच सकते हैं। लेकिन लॉन्ग टर्म में यह बढ़ भी सकती है। Read: What is PE Ratio in Hindi .

2. Industry and Sector: कुछ sectors में ज्यादा Growth Potential दिखाई देता है जैसे Information technology या biotechnology, ऐसे सेक्टर्स की PE Ratio ज्यादा होती है।

लेकिन कुछ सेक्टर जैसे utilities या consumer उत्पाद में PE Ratio कम होती है। क्युँकि उनमे Growth के आसार नहीं होते।

3. Economic Conditions: देश की economic conditions, भी PE Ratio पर अपना प्रभाव डालती है। अगर ज्यादा inflation rates, या recession आ जाए तो P/E ratio गिरने लगती है। जबकि expansion और optimism, के दौरान P/E ratio बढ़ती है।

इसलिए बजट पर भी ध्यान दें और देखें कि देश की इकॉनमी कैसी चल रही है।

4. Market Sentiment: स्टॉक मार्किट के रुझान भी P/E ratio पर असर डालते हैं। जब Market bullish (फायदेमंद) होती है तो PE Ratio बढ़ती है और जब bearish (नुकसानदायक ) होती है तो PE Ratio गिरने लगती है।

5. Company Size: किसी company का size भी PE Ratio को प्रभावित करता है। Small companies में growth potential, ज्यादा होता है इसलिए उनकी PE Ratio ज्यादा होती है। जबकि बड़ी companies की P/E ratios कम होती है। क्युँकि उन्हें जितना बढ़ना था वे उतना बढ़ चुकी होती हैं।

6. Dividend Policy: जो Companies ज्यादा dividends देती हैं उनकी P/E ratio भी कम होती है। क्युँकि ऐसी कंपनी में इन्वेस्टर ग्रोथ देखकर नहीं डिविडेंड देखकर पैसा लगाते हैं। What is PE Ratio in Hindi.

7. Risk Perception: High-risk वाली companies की P/E ratios कम होती है। जिन Companies में Scam होते हैं या जिन पर बहुत Debt होता है वे हाई रिस्क कंपनी की category में आती हैं।

8. Investor Demand and Supply: अगर किसी stock की demand ज्यादा है और supply कम तो उस company के स्टॉक की P/E ratio बढ़ जाती है। लेकिन इसकी विपरीत है तो पे राशन कम हो जाएगी।

तो दोस्तो, देखा आपने PE Ratio कैसे -कैसे Change होती है। इसलिए स्टॉक मार्किट को समझना इतना आसान नहीं है। लेकिन तजुर्बे से ही इसे सीखा जा सकता है।

Types of Financial Ratios

Financial ratios बहुत तरह की होती हैं। इनके द्वारा company की financial health, performance और valuation. का पता लगाया जाता है। आगे कुछ मह्त्वपूर्ण Financial ratios दी गयी हैं।

1. Liquidity Ratios: यह Ratio बताती है कि किसी भी कंपनी के पास कितनी Liquidity है। मतलब कोई investor अगर अपन पैसा शेयर बेचकर वापस लेना चाहे तो क्या कंपनी के पास देने के लिए Cash है भी।

या उसने सारा पैसा कहीं और लगा रखा है। ये भी कई प्रकार की हो सकती हैं जैसे – The current ratio, quick ratio और cash ratio.

2. Solvency Ratios: यह Ratio बताती है कि कोई कंपनी आगे चलकर stable रहेगी या दिवालिया हो जाएगी। अगर कंपनी ने बहुत Debt ले रखा है तो यह खतरे की निशानी होती है।
Examples : debt-to-equity ratio, debt ratio और interest coverage ratio.

3. Profitability Ratios: इन से पता चलता है कि कंपनी कितना Revenue बना पायेगी और अपने खर्चे कैसे Manage करेगी।

Examples : Return on assets (ROA), Return on equity (ROE).

4. Efficiency Ratios: यह बताती है कि कंपनी अपने Assets को कितने बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल कर रही है। और अपनी इनकम और सेल्स में इजाफा कर रही है।
Examples : Asset turnover ratio, inventory turnover ratio, और accounts receivable turnover ratio.

5. Growth Ratios: इस Ratio से ज्ञात होता है कि कंपनी आगे कितनी growth करेगी। अपनी Sales , Branches , Revenue को कितना बढ़ाएगी।

Examples: Revenue growth rate, Earnings growth rate, Return on investment (ROI).

6. Valuation Ratios: Valuation ratios से पता चलता है कि Company की Market Value क्या है। साथ ही Company के Shares की financial performance भी पता चल पाती है।

Examples : Price-to-Earnings (P/E) ratio, Price-to-Sales (P/S) ratio, और price-to-book (P/B) ratio.

एक रिटेल इन्वेस्टर के लिए PE ratio ही सबसे जरुरी हैं। PE ratio के बारे में हम डिटेल में ऊपर बता चुके हैं।

7. Coverage Ratios: Coverage ratios इस बात का सूचक है कि Company अपने निवेशकों को interest payments या डिविडेंड किस तरह से दे रही है। (Main article: What is PE Ratio in Hindi) ,

Examples : Interest Coverage ratio और Dividend coverage ratio.

8. Return Ratios: Return ratios से हम जान पाते हैं कि कंपनी ने अपने शरहोल्डर्स को कितना मुनाफा बना कर दिया है। Examples : Dividend yield, earnings per share (EPS), और total shareholder return (TSR).

9. Market Ratios: Market ratios किसी कंपनी की मार्किट परफॉरमेंस और उसके कम्पीटिशर्स में बढ़त के बारे में इंडीकेट करती है।

Examples : Price-to-earnings growth (PEG) ratio और market-to-book (M/B) ratio.

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Industry PE Ratio

दोस्तो, ऊपर आपने 9 तरह की Financial Ratios के बारे में पढ़ा। लेकिन रिटेल इन्वेस्टर के लिए PE Ratio और Industry Ratio ही सबसे ज्यादा मायने रखती है।

PE Ratio के बारे में पहले ही सब कुछ बताया जा चुका है। आइये अब समझते हैं कि Industry PE Ratio क्या है। इसे Sector PE Ratio या Average PE Ratio भी कहा जाता है।

Industry PE Ratio को आसानी से समझने के लिए इस किस्से को समझें।

मान लीजिये आप मार्किट में जा रहे हैं और सेब खरीदना चाहते हैं। आप कुछ विक्रेताओं से दाम पूछते हैं और आपको पता चलता है कि सेब का दाम लगभग 100 रुपये चल रहा है। तो इसे हम Industry PE मान सकते हैं।

लेकिन एक जगह आपको पीले -पीले सेब नजर आते हैं। और आपका मन उन्हें खरीदने को करता है। लेकिन तभी विक्रेता उस सेब का दाम 300 रुपये बताता है। (Post tile – What is PE Ratio in Hindi) .

इससे आप सोच में पड़ जाओगे कि सारी मार्किट में 100 रुपये दाम चल रहा है और ये भाई साहब 300 बता रहे हैं। क्या इसका सेब अलग ही किस्म का है ?

तो दोस्तो, अब कई चीजें हो सकती हैं :

  • हो सकता है सेब बहुत महँगी क्वालिटी वाला हो जैसे Golden Apple
  • या हो सकता है विक्रेता फ्रॉड कर रहा हो।

तो ऐसा ही शेयर मार्किट में भी है।

मान लीजिये आपको Yes बैंक का शेयर लेना है। तो आप एक तो यस बैंक की PE Ratio देखोगे। लेकिन फिर उसे Industry PE से compare करोगे। यह देखने के लिए कि बाकी बैंकिंग सेक्टर में क्या PE चल रहा है।

अगर Industry PE कम है तो इसका मतलब यस बैंक का शेयर Overvalued हो रहा है। लेकिन अगर ज्यादा है तो मतलब इस बैंक Undervalued है और अभी लोग उसे नहीं खरीद रहे हैं।

कुल मिलाकर Industry PE Ratio से आप अपने शेयर के PE Ratio को उसकी मार्किट से compare करते हो। और फिर उसे खरीदने या बेचने का मन बनाते हो।

Industry PE के लाभ और हानियाँ

1. Industry Comparison: The industry PE ratio से इन्वेस्टर को पता चलता है कि जिस स्टॉक को वे लेना चाहते हैं उसका फ्यूचर क्या होगा।

कभी -कभी Undervalued शेयर आगे चलकर राकेट बन जाता है। और overvalued शेयर ग्रोथ करना छोड़ देता है। इसलिए आपको सही से रिसर्च करनी चाहिए। तभी किसी शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए।

किसी ज़माने में टाइटन का शेयर Undervalued था और उसे पैनी स्टॉक माना जाता था। लेकिन आगे चलकर वह एक Blue Chip स्टॉक बन गया।

2. Relative Valuation: Industry PE ratio की मदद से आप किसी भी इंडस्ट्री की कम्पनीज का Comparison कर सकते हो। और देख सकते हो कि किसमे इन्वेस्ट करना सबसे फायदेमंद रहेगा।

जैसे बैंकिंग सेक्टर में आप देख सकते हो कि यस बैंक ज्यादा बढ़िया होगा या HDFC बैंक।

इसके अलावा आप दो अलग इंडस्ट्रीज को भी compare कर सकते हो। जैसे Energy सेक्टर बढिया रहेगा या IT सेक्टर। अलग -अलग समय में अलग Sector उछाल दिखा सकते हैं।

3. Sector Trends: Industry PE ratio को analyze करके आपको यह पता चलेगा कि वह Sector किस दिशा में जा रहा है।

अगर industry PE ratio बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि Future में उस सेक्टर के growth की स्मभावना है। लेकिन घट रहा है तो इसका मतलब उस सेक्टर में इन्वेस्टर्स का confidence कम हो रहा है।

Article- What is PE Ratio in Hindi.

4. Limitations: केवल industry PE ratio के दम पर ही अपना investment न करें।

इसके आलावा company की financial health, growth prospects, competitive position और market conditions भी देखें। इसके लिए आपको न्यूज़ पढ़ते रहना होगा।

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है इस लेख से आपको पता चल गया होगा कि PE Ratio क्या होती है (What is PE Ratio in Hindi)। पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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