Title: Seven habits of highly effective people book summary in Hindi
Author: Stephen Covey
हैलो दोस्तो,
क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग life में इतने कामयाब क्यों हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग हमेेशा struggle करते रह जाते हैं। आपके इस सवाल का जवाब Stephen Covey की किताब Seven habits of highly effective people में मिलेगा।
आज इसी किताब की book summary (Seven habits of highly effective people book summary in Hindi) नीचे दी जा रही है।
पढ़िए और आप भी जानिए कि कामयाब लोगों में ऐसी कौन सी 7 आदतें होती हैं जिनसे वो सफलता प्राप्त कर लेते हैं। और कैसे आप भी उन सात आदतों को अपना कर सफल हो सकते हैं।
तो आइये देखते हैं वो सात आदतें कौन सी होती हैं।
1 ) Be Proactive
2 ) Begin With the End in Mind
3 ) Put First Things First
4 ) Think Win-Win
5 ) Seek First to Understand, Then to Be Understood
6 ) Synergize
7 ) Sharpen the Saw
आइये एक -एक करके सभी आदतों को अच्छे से समझ लेते हैं।
1 ) Be Proactive
Proactive होने का मतलब है – अगर कोई हमें criticize भी करे तो भी हमें react नहीं करना चाहिए।
बहुत से लोग दूसरों की बातों का बुरा मान जाते हैं।
और वे भी पलट कर उल्टा जवाब दे देते हैं या झगड़ा करने बैठ जाते हैं।
ऐसे लोगों को reactive कहते है। क्युँकि वो react कर रहे होते हैं।
Author कहते हैं कि reactive बनने की बजाय, proactive बनें। मतलब लोगों की बुरी बातों पर react ही न करें।
उन्हें ignore करें और चुपचाप अपने goal की तरफ बढ़ते रहें।
आप negative लोगों पर केवल smile करें। उन्हें reaction देंगे तो आप अपना time और energy ही बर्बाद करेंगे। मूड ख़राब होगा सो अलग। इस से अच्छा है, उनसे दूर रहें और अपना काम करते रहें।
दोस्तो, negative लोग आपको हर कहीं मिलेंगे।
घर में, ऑफिस में, स्कूल-कॉलेज में, सोसाइटी में।
वो आपको ताने दे सकते हैं, आपकी बुराई कर सकते हैं, बुरा-भला बोल सकते हैं।
तो आज से ही proactive बनने की कोशिश करें।
Smile करें और उन्हें ignore करके आगे बढ़ जाएँ। उनकी बातों से आपकी लाइफ change नहीं होगी। वो चेंज होगी आपके efforts से।
इसलिए ऐसे लोगों की बातों का क्या बुरा मानना।
लोगों के साथ -साथ नेगेटिव माहौल और आस- पड़ोस का भी खुद पर कोई असर न होने दें। एक दिन ऐसे माहौल से आप निकल ही जायेंगे।
2) Begin With the End in Mind
( Final goal को हमेशा दिमाग में रखें)
लेखक कहते हैं कि हम जब भी कोई काम करते हैं तो पहले उसकी प्लानिंग करते हैं।
फिर उस काम को करने लग पड़ते हैं। काम करते हुए हम इतने busy हो जाते हैं कि हमें final goal क्या है,
यही याद नहीं रहता।
इसलिए आज से जब भी कोई काम करें तो पहले ये सोचें कि आप कहाँ पहुँचना चाहते हैं।
जैसे, अगर आप बॉक्सिंग सीखना चाहते हैं तो आपका फाइनल goal क्या है?
क्या आप सिर्फ कॉलेज टीम में खेलना चाहते हैं, स्टेट लेवल पर खेलना चाहते हैं या ओलंपिक्स में जाना चाहते हैं?
जब तक आप फाइनल goal ही decide नहीं करेंगे तो आपके दिमाग में confusion ही बना रहेगा।
Confused दिमाग ठीक से आपकी हेल्प नहीं कर पायेगा।
एक्टर बनना चाहते हैं, तो भी फाइनल goal रखें। टीवी सीरियल में जायेंगे या फिल्म में? फिल्म में जायेंगे तो कौन से प्रोडक्शन हाउस में?
Final goal सोच लेने के बाद ही काम में लगें। इस से आपका दिमाग पूरे जोश से आपको goal की तरफ बढ़ाने लगेगा।
Company लगाना चाहते हैं तो सोचें कि कितनी बड़ी होगी? कौन सा प्रोडक्ट बेचेंगे? कहाँ – कहाँ branches होंगी ? आदि।
ऐसे ही कोई भी field हो, सबसे पहले शांति से बैठकर final goal के बारे में जरूर सोच लें कि आखिर अंत में पाना क्या है।
3) Put First Things First
(सबसे जरुरी काम सबसे पहले करें)
दोस्तो, कई बार हमारे पास करने के लिए हजारों काम होते हैं।
तो ऐसे में कौन सा काम करें, कौन सा छोड़ दें यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है।
लेखक कहते हैं ऐसे में जो काम सबसे जरुरी है, सबसे पहले वो करें।
मान लीजिये आप blogger हैं। तो सबसे पहले आपको quality post लिखनी चाहिए न कि social media पर ब्लॉग प्रमोशन में लग जाना चाहिए। Promotion का काम तो बाद में हो जायेगा। पहले अच्छा ब्लॉग तो बन जाये।
एक स्टूडेंट को सबसे पहले वो subjects याद करना चाहिए जिसका कल टेस्ट हो। अन्यथा अच्छे मार्क्स कैसे आएंगे !
एक wrestler को सबसे पहले रेसलिंग करनी चाहिए। Gym तो बाद में भी किया जा सकता है।
तो जो काम सबसे जरुरी हो, पहले वो करें।
लेखक बताते हैं कि हमेशा – To do की list बनायें।
उस list में दिन के सारे काम लिख लें।
फिर उन कामों पर नंबर लिख लें। जो सबसे पहले करना है उस काम के ऊपर नंबर 1 लिख लें। ऐसे ही हर काम को नंबर दे दें ।
इस method से आप सुपरफास्ट तरीके से अपना काम कर पाएंगे।
आपने सरकारी clerks को तो देखा ही होगा।
उनका कोई भी काम टाइम से नहीं हो पाता।
क्युँकि वो फालतू काम पहले करते हैं और जरुरी बाद में।
वो कभी भी efficient बनने की कोशिश नहीं करते और लोगों का criticism सुनते रहते हैं।
खैर सब ऐसे नहीं होते। कुछ बेहतरीन काम भी करते हैं। और लोग उनकी तारीफ भी करते हैं।
4) Think win – win
(दोनों पक्षों की जीत की सोचें)
इसमें लेखक बताते हैं कि जब भी कोई विवाद हो तो ऐसा तरीका निकालना चाहिए कि दोनों पक्षों को फायदा हो।
ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि मेरी जीत हो और सामने वाले की हार। इस से सामने वाला बदले की भावना रखता है। और कभी न कभी आपको नुक्सान पहुँचाने की कोशिश कर सकता है।
जैसा भारत – पाकिस्तान में win -win सिचुएशन तब होगी जब दोनों देश एक दूसरे के साथ friendship रखें ।
सोचिये दोनों देशों में दोस्ती होती तो आप weekends पे शिमला, मनाली ही नहीं बल्कि लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, पेशावर, मुल्तान भी घूम सकते थे।
और पाकिस्तान के लोग भारत में जयपुर, आगरा, शिमला, मनाली, देहरादून आदि कहीं भी आ-जा सकते थे।
दोनों देशों में tourism एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री बन सकता था। इस से कितने लाखों – करोड़ों बेरोजगार युवकों को रोज़गार मिल जाता ?
कला-संस्कृति के कितने नए दरवाजे खुल जाते ?
लेकिन अफ़सोस कि फिलहाल दोनों देशों में loss -loss सिचुएशन चल रही है।
युद्ध हमेशा loss ही देता है। हारने वाले के साथ -साथ जीतने वाले को भी।
अगर आप अपने colleagues की हेल्प करेंगे तो वो भी कभी न कभी आपकी हेल्प जरूर करेगा।
तो win -win वाली इस आदत को भी आप जरूर अपना सकते हैं अगर हर क्षेत्र में सफल होना है तो।
5) Seek First to Understand, Then to Be Understood
(पहले दूसरे को समझें, फिर दूसरा भी आपको समझेगा )
कभी कोई friend हमसे कोई problem discuss करता है, तो हम बिना उसकी बात ठीक से समझे उसे lecture दे देते हैं।
या किसी family मेंबर को criticize करने लगते हैं।
Parents की कहानी तो हर किसी को पता है । सारे parents बच्चों पर doctor-engineer बनने का goal लाद देते हैं। बिना बच्चे के मन की बात समझे।
हो सकता है बच्चा you -tuber बनना चाहता हो, animation सीखना चाहता हो, blogger बनना चाहता हो, organic farming करना चाहता हो ! पर ये सब कौन समझता हैं?
आपने कभी किसी माँ -बाप को कहते सुना है कि मेरे बेटा film director का कोर्स कर रहा है। या music की पढ़ाई कर रहा है ?
इसलिए हमें दूसरों के मन की बात को ठीक से समझना चाहिए। अपने opinions उन पर नहीं लादने चाहिए।
तभी दूसरे लोग भी आपकी feelings को समझ पाएंगे।
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6) Synergize
Synergize का सीधा सा मतलब है – टीम में cooperate करना सीखें।
एकता में शक्ति वाली बात तो आपने सुनी ही होगी।
किसी भी कंपनी में कोई भी आदमी सारा प्रोजेक्ट अकेले नहीं कर सकता। पूरी टीम को एकजुट होकर काम करना पड़ता है।
यदि आप boss का favorite बनने के लिए टीम से अलग होकर कुछ करेंगे तो टीम का आप पर से भरोसा उठ जायेगा। आगे चल कर नुक्सान आपका ही होगा। क्युँकि आपकी reputation ख़राब हो जाएगी।
इसलिए टीम के साथ मिल-जुल कर ही काम करें।
Family में भी मेल -मिलाप से रहें। क्युँकि बुरे वक़्त में family ही काम आएगी।
7) Sharpen the Saw
(हथियार को धार लगाते रहिये )
लेखक बताते हैं कि हमें अपनी स्किल को improve करते रहना चाहिए। नहीं तो उसमे जंग लग जायेगा।
और आप सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
Physically fit रहना है तो रेगुलर exercise करिये।
Socially fit रहने के लिए समाज – सेवा करते रहना चाहिए।
Spiritually fit रहने के लिए मैडिटेशन, योग, worship आदि करते रहना चाहिए।
खुश रहने के लिए कोई hobby सीखते रहें – जैसे गिटार बजाना, स्विमिंग सीखना आदि।
इसके साथ -साथ अपनी प्रोफेशनल स्किल्स से रिलेटेड फ़ील्ड्स को भी सीखते रहना चाहिए। ताकि आपको हर चीज की जानकारी हो।
और आप up – to – date रह सकें।
इस से कोई भी आपको मूर्ख नहीं बना पायेगा।
जैसे कम्पनी के मालिक हैं तो तरह -तरह के कोर्स लेते रहें। जैसे – MBA, finance courses, marketing courses, personality development courses, public speaking course इत्यादि।
कहने का मतलब है इंसान को कभी भी रुकना नहीं चाहिए।
हर उम्र में कुछ न कुछ सीख सकते हैं।
समाप्त।
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तो दोस्तो, यही है इस bestseller किताब की book summary (Seven habits of highly effective people book summary in Hindi) में।
उम्मीद है आपको अच्छी लगी होगी।
Blog पर और भी book summary Hindi में पढ़ सकते हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद दोस्तो।
awesome….😍
Thank You.
Bahut ache, maza aa gaya padhkar. You’re doing great job. Thank you for contributing this in easy way.
Thank you Rakesh ji for your lovely and motivating comment.