Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

Gunahon Ka Devta Summary in Hindi (Novel Gunahon Ka Devta Story): दोस्तो, “गुनाहों का देवता” एक बेहद प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है, जिसे धर्मवीर भारती ने लिखा था। यह उपन्यास हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण कृतियों में से एक माना जाता है।

“गुनाहों का देवता” चन्दर और सुधा नाम के दो युवाओं की दुखभरी प्रेम – कहानी पर आधारित है। जो इलाहाबाद जैसे एक छोटे शहर में घटित होती है।

इस उपन्यास में चन्दर और सुधा के बीच के अधूरे प्रेम और आंतरिक संघर्ष का मार्मिक विवरण है जो हर किसी के दिल को छू लेता है ।

आगे इस उपन्यास की पूरी कहानी (Gunahon Ka Devta Summary in Hindi) दी गयी है। पढ़िए और प्रेम का अनुभव कीजिये।

Gunahon Ka Devta Summary in Hindi
Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

Table: Gunahon ka Devta

शीर्षकगुनाहों का देवता
(Gunahon Ka Devta)
लेखकधर्मवीर भारती
भाषाहिंदी
शैली/Genreप्रेमकथा
प्रकाशन वर्ष1949
कहानी का सार (Novel Summary)इस उपन्यास में चन्दर और सुधा के अधूरे प्रेम की कहानी मिलती है। अंत में सुधा की शादी व मृत्यु हो जाती है और अकेला रह गया चन्दर बिनती को अपना लेता है।
पुरस्कारसाहित्य अकादमी पुरस्कार (1968)

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Gunahon Ka Devta Summary in Hindi
(Gunahon ka Devta Story)

चन्दर कपूर नाम का लड़का लखनऊ का रहने वाला था। बारहवीं करने के बाद वह अपनी माँ से झगड़ कर इलाहाबाद आ जाता है। और वहाँ पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में BA में दाखिला ले लेता है।

वहाँ पर वह बहुत मेहनत करता है और अपनी कक्षा में फर्स्ट आता है। उसकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उसे यूनिवर्सिटी के प्रेस में जॉब भी मिल जाती है। (Sad Love Story: Gunahon Ka Devta Summary in Hindi).

इसके बाद वह MA में दाखिला ले लेता है। वहाँ भी वह बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाई करता है। तभी डॉक्टर शुक्ला नाम के प्रोफेसर की नजर उस पर पड़ती है। वह देखते हैं कि गरीब होने के बाबजूद उस लड़के में बहुत प्रतिभा थी। फिर वे उसके Mentor बन जाते हैं।

और अक्सर उसकी आर्थिक तथा दूसरी चीजों में काफी मदद करते रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि चन्दर MA में भी प्रथम आता है।

इसके बाद डॉक्टर शुक्ला उससे कहते हैं कि अब तुम PhD (D. Lit ) कर लो। क्योंकि तुम्हारे जैसे मेधावी लड़के काफी अच्छी रिसर्च कर सकते हैं। इसके बाद तुम विदेश जा सकते हो। और वापस आकर सरकार में किसी उच्च पद पर आसीन हो सकते हो।

चन्दर, डॉक्टर शुक्ला की बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट किया करता था। तथा उन्हें अपने पिता के समान मानता था। क्योंकि उन्होंने कदम – कदम पर हर तरह से उसकी मदद की थी। उनके कहने पर वह DLIT में एडमिशन ले लेता है।

स्नातक के दिनों से ही उसका डॉक्टर शुक्ला के घर में आना – जाना था। चन्दर भी उनके घर का सारा काम कर देता था। और वह उनके परिवार के सदस्य की तरह ही बन चुका था।

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Novel: Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

डॉक्टर शुक्ला की सुधा नाम की एक लड़की भी थी। जब वह 3 साल की थी तो उसकी माँ की मौत हो गयी थी। इसके बाद वे उसे बुआ के पास गाँव भेज देते हैं।

लेकिन जब वह आठवीं कक्षा में हुई तो गांव की औरतें कहने लगी कि इस लड़की की शादी क्यों नहीं करते। लेकिन सुधा आगे पढ़ना चाहती थी और वह इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी।

इसलिए जब वह 15 साल की थी तो वापस अपने पिता के पास इलाहाबाद आ जाती है। और उसके पिता उसे वहीं पर दाखिला दिलवा देते हैं।

उस समय चन्दर अभी BA में ही था। शुरू से ही दोनों में एक दूसरे के प्रति बहुत लगाव हो जाता है। सुधा बहुत ही शोख – मिजाज की लड़की थी। और सबसे झगड़ा आदि करती रहती थी। वह बहुत जिद्दी भी थी।

लेकिन चंद्र ही उसे कंट्रोल कर पाता था। वह उसे डाँट भी देता था। और वह उसके सामने चुप हो जाती थी। लेकिन वह भी चन्दर का पूरा ख्याल रखती थी और अक्सर बहस करती रहती थी।

उन दोनों को साहित्य और Philosophy में भी विशेष रूचि थी। और अक्सर दर्शन के टॉपिक्स पर गहरी चर्चा करते थे। Sad Novel Gunahon Ka Devta Summary in Hindi.

इस सबसे उन दोनों के बीच एक आकर्षण पैदा हो चुका था। लेकिन अभी उसे प्यार का नाम नहीं दिया जा सकता था। लेकिन शायद यह प्रेम की पहली अवस्था थी जिसे आजकल क्रश (Crush) भी कहा जाता है।

इस सबके अलावा वे दोनों लोक – मर्यादा की भी बहुत चिंता करते थे। तथा दोनों में आत्म -सम्मान की भावना भी थी । इसलिए उन्होंने कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि उनके मन में एक दूसरे के लिए क्या था।

साथ ही वे सोचते थे कि अभी वे प्रेम आदि के लिए बहुत छोटे हैं तथा पहले उन्हें पढ़ाई – लिखाई तथा अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही दोनों घर में अक्सर मिलते – जुलते रहते थे इसलिए उन्हें कभी इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं हुई।

लेकिन वक्त के साथ उनका प्यार बढ़ता चला गया। उन्होंने इसका इजहार नहीं किया लेकिन इसे महसूस करते थे।

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Gunahon Ka Devta Summary in Hindi (Author: Dharveen Bharti)

अब तक चन्दर Research में आ चुका था और सुधा ने भी कॉलेज पूरा कर लिया था। धीरे-धीरे परिवार के लोग सुधा की शादी के लिए जोर डालने लगते हैं। डॉक्टर शुक्ला को भी सुधा की शादी की चिंता होने लगती है। और वे चन्दर से इस बारे में बात करते हैं।

अब चन्दर उलझन में पड़ जाता है। वह सोचता है कि सुधा ब्राह्मण है और वह जाति में उससे नीचे है। वह डॉक्टर शुक्ला को पिता के समान मानता था। और उनके अहसानो तले दबा हुआ था।

वह सोचता है कि इस तरह से उनकी बेटी से प्यार करना एक गुनाह की तरह होगा। और उससे शादी करके वह डॉक्टर शुक्ला को अपमानित कैसे कर सकता है। लिहाजा उसने अपने प्यार की कुर्बानी देने का निर्णय ले लिया। हालाँकि इससे उसका आगे का जीवन दुखों से भरने वाला था।

धीरे-धीरे सुधा के लिए काफी रिश्ते आने लगते हैं। और चन्दर से भी हमेशा पूछा जाता था। काफी लड़के देखने के बाद वे लोग कैलाश नाम के एक लड़के को पसंद करते हैं।

एक दिन चन्दर सुधा को कैलाश की फोटो दिखाता है और कहता है कि यह लड़का तुम्हारे लिए सबसे अच्छा है। यह सुनते ही सुधा भड़क जाती है और चन्दर से बहुत बहस करने लगती है। उससे अपना प्यार जाहिर करती है और उसे अपना बनाने के लिए विनती करती है।

लेकिन चन्दर उसे बहुत समझाता है। और कहता है कि वह उससे प्यार प्यार नहीं करता। लेकिन सुधा को पता था कि वह सफेद झूठ बोल रहा था। उन दोनों का प्यार तो जग जाहिर था। इस सब के चलते दोनों में काफी झगड़ा और बहस होती रहती है। Gunahon Ka Devta Full Story.

सुधा के सामने चन्दर कुछ भी बोले लेकिन घर जाकर वह काफी रोता था। सुधा भी काफी रोती रहती थी परन्तु आखिर में उसे भी एहसास हो गया कि समाज उनके प्यार को स्वीकार नहीं करेगा।

काफी समझाने के बाद आखिर सुधा इस शादी के लिए तैयार हो जाती है। हालाँकि उसका मन बिल्कुल भी नहीं था। लेकिन वह कर ही क्या सकती थी। लिहाजा सुधा की शादी कैलाश से तय कर दी जाती है। और एक दिन शुभ मुहूर्त देखकर दोनों की शादी कर दी जाती है।

ससुराल जाते-जाते सुधा चन्दर से कह जाती है कि उसकी चचेरी बहन बिनती का ख्याल रखना। और फिर अपने ससुराल शाहजहांपुर चली जाती है। वहाँ वह देखती है कि उसका पति प्रैक्टिकल किस्म का व्यक्ति था। उसकी बातों में उसे वह गहराई और जज्बात नहीं मिले जो चन्दर में थे। और वह उसे याद करके डिप्रेशन में रहने लगती है।

उधर सुधा के जाने के बाद चन्दर की हालत एक मुर्दे के समान हो जाती है। सात दिन तक उसे वक़्त का भी कोई होश नहीं रहा था। वह सारा दिन कमरे में पड़ा रहता था और वह भी अवसाद का शिकार हो गया था।

लेकिन एक दिन डॉक्टर शुक्ला के बुलाने पर उसे उनके घर जाना ही पड़ता है। क्योंकि उसकी रिसर्च का काम चल रहा था। वे उसे आर्टिकल आदि लिखने के काम में लगा देते हैं। वह भी रिसर्च में मशगूल होकर सुधा को भुलाने की नाकाम कोशिश करता रहता है।

सुधा की शादी हो जाने से डॉक्टर शुक्ला भी बहुत अकेले पड़ गए थे। एक दिन वे चन्दर से कहते हैं कि उनके घर पर ही शिफ्ट हो जाये। चन्दर उनका कहना मान कर अपना सामान ले आता है और उनके बंगले में ही रहने लगता है।

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Upnyas: Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

सुधा की चचेरी बहन बिनती भी डाक्टर शुक्ला के घर में रहती थी। उससे चन्दर की हालत बिल्कुल भी देखी नहीं जा रही थी। वह दिन प्रतिदिन दुबला होता जा रहा था। बिनती को सुधा और चन्दर के आपसी प्रेम के बारे में सब कुछ पता था।

बिनती चन्दर की अच्छे से देखभाल करने लगती है। उसे समय पर खाना – पानी आदि देती रहती है। और उससे बातें करके उसका ध्यान बँटाने की कोशिश करती थी। धीरे -धीरे उसके मन में चन्दर के लिए प्यार जागृत होने लगता है। Gunahon Ka Devta Novel Story in Hindi.

लेकिन चन्दर को हमेशा सुधा की याद आती रहती थी और वह अक्सर रातों को रोता था। एक दिन बिनती उसे समझाने लगती है कि अब सुधा को भूल जाओ। और जिदंगी इस तरह से नष्ट नहीं की जा सकती।

बातों बातों में वह अपना प्यार भी जाहिर कर देती है। लेकिन इससे चन्दर बहुत गुस्सा हो जाता है। और बिनती से कहता है कि तुम सुधा की जगह कभी नहीं ले सकती। वह उसे और भी बहुत कुछ सुना देता है।

इससे बिनती का दिल टूट जाता है और वह रोते हुए वहाँ से चली जाती है।

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Sad Love Story: Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

उधर चन्दर की एक और भी दोस्त थी, जिसका नाम पम्मी (प्रमिला डिक्रूज) था। वह ईसाई थी। उसकी बहुत कम उम्र में शादी हो गयी थी। लेकिन जल्द ही उसके पति की भी मौत हो गयी थी।

अब वह अपने भाई Burty के साथ रहती थी। लेकिन वह पूरे देश में घूमती रहती थी। अभी -अभी वह मसूरी होकर आयी थी।

एक दिन चन्दर उससे मिलता है। पम्मी बहुत ही आजाद ख्यालों की थी। वह सेक्स आदि की बातें बहुत ही बेबाकी से करती थी। और चन्दर को उसका यह अंदाज भाता था। क्योंकि कम से कम वह अपनी इच्छाओं के प्रति ईमानदार तो थी। और कभी भी प्यार -मोहब्बत की लच्छेदार बातें नहीं करती थी।

सुधा को भुलाने के लिए चन्दर, पम्मी के साथ ज्यादा समय बिताने लगता है। उसे लगता था कि हो सकता है उसे पम्मी से प्यार हो जाये। इससे उसे सुधा को भुलाने में आसानी होगी।

लेकिन वह यह नहीं जानता था कि बाहरी आकर्षण कुछ ही देर के लिए टिक सकता है। लेकिन सच्चा प्यार सारी उम्र साथ रहता है। और उसने अपना सच्चा प्यार खुद ही किसी और के हवाले कर दिया था।

बहरहाल चन्दर, पम्मी के साथ समय बिताने लगता है। और उसकी चटपटी बातों से कुछ देर के लिए ही सही खुश हो जाता था।

पम्मी भी उसे कभी गले लगा लेती थी तो कभी चूम लेती थी। इस सब से भी उसे काफी अच्छा लगता था। आखिर था तो वह भी पुरुष ही, जिसे प्रकृति ने वासना भी दी थी।

एक दिन दोनों इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि एक दूसरे को आगोश में लेकर चूमने लगते हैं। अभी वे सहवास की तरफ बढ़ते कि Burty आ जाता है और उन्हें अलग होना पड़ता है।

अब तक बर्टी भी चन्दर का अच्छा दोस्त बन गया था। बर्टी का भी अपनी प्रेमिका से ब्रेकअप हो चुका था। और फिलहाल वह एक दूसरी लड़की को डेट कर रहा था।

कुछ और समय तक चन्दर, पम्मी से मिलता रहता है। लेकिन जब भी वह घर जाता और रात को अकेला होता तो सुधा की यादें उसे प्रताड़ित करती रहती थीं। और वह बेबसी से सोचता था कि प्यार के ये जख्म कभी भर भी पायेंगे।

धीरे-धीरे पम्मी को लगने लगता है कि शायद चन्दर उससे प्यार करता है। इसलिए तो वह उससे मिलता – जुलता है।

वह सोचती है कि उसे चन्दर से अपने प्यार का इजहार कर देना चाहिए। एक दिन वह उसे अपनी बाँहों में लेती है और प्यार की बातें करने लगती है।

लेकिन जब वह उसकी आंखों में देखती है तो उसे लगता है कि चन्दर उससे कोसों दूर है। शायद उसे एहसास भी नहीं था कि पम्मी उसके साथ है।

वह समझ जाती है कि चन्दर सुधा का प्यार कभी नहीं भूलेगा। और उससे शादी करके भी वह उसकी नहीं हो पायेगी। वह तो मन ही मन सुधा से शादी कर चुका है।

इसके बाद पम्मी चन्दर से दूरी बनाने लगती है। और एक दिन मसूरी के लिए निकल जाती है। जाते हुए वह चन्दर से कह जाती है कि बर्टी का ख्याल रखे।

शादी के 6 महीने के बाद सुधा फिर से चन्दर को पत्र लिखती है। और कहती है कि वह अभी भी उससे प्यार करती है। Story of Novel Gunahon Ka Devta By Dharamveer Bharti.

वह साथ में लिखती है कि उसने बिनती को क्या बोल दिया है। जब भी उससे तुम्हारी बात करती हूँ वह रोने लगती है। वह आगे लिखती है कि बिनती बहुत अच्छी लड़की है और उससे शादी कर लो। वह हमेशा उसका ख्याल रखेगी।

इस पत्र के जवाब में चन्दर लिखता है कि आगे से ऐसा पत्र मत लिखना। क्युँकि अब तुम्हारी शादी हो चुकी है। मेरे प्यार को भूल जाओ। साथ ही वह लिखता है कि बिनती एक समझदार लड़की है। और अपना भला -बुरा खुद सोच सकती है।

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Gunahon Ka Devta Summary in Hindi: Chandar and Sudha

एक दिन बुआ बिनती की भी शादी एक लड़के के साथ तय कर देती है। इसी बीच डॉक्टर शुक्ला डेपुटेशन पर दिल्ली चले जाते हैं।

चन्दर अब किराये के मकान में रहने लगता है। अब वह अपनी रिसर्च में पूरी तरह से डूब गया था। क्योंकि कुछ ही महीनो में उसकी Thesis जमा होनी थी। तथा कन्वोकेशन में उसे डिग्री मिलनी थी।

इसी तरह 6 महीने बीत जाते हैं और चन्दर को Doctorate की डिग्री मिल जाती है। अब वह डॉक्टर चन्दर बन गया था। उसे लगता है कि इन 6 महीनों में बिनती की शादी तो हो ही चुकी होगी।

एक दिन डॉक्टर शुक्ला दिल्ली से इलाहबाद आते हैं। चन्दर उनसे मिलने घर जाता है और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है।

डॉक्टर शुक्ला उसे PhD के लिए बधाई देते हैं। फिर चन्दर उनसे पूछता है कि बिनती की शादी ठीक-ठाक से हो गई थी क्या। लेकिन डॉक्टर शुक्ला कहते हैं कि बिनती तो अंदर ही है। उसकी शादी नहीं हो सकी है।

यह सुनकर चन्दर हैरान हो जाता है। डॉक्टर शुक्ला बताते हैं कि वास्तव में लड़के वालों ने झूठ बोला था। उन्होंने बताया था कि लड़का बहुत पढ़ा लिखा है। लेकिन पता चला कि लड़के ने केवल इंटर पास किया है।

फिर भी बुआ बिनती की शादी उससे करवाना चाहती थी। क्योंकि वह अच्छा बिजनेस करता था। लेकिन बिनती एक बहुत ही सेल्फ रिस्पेक्ट वाली लड़की थी। उसने शादी से साफ-साफ मना कर दिया था।

इसके बाद चन्दर घर में जाता है और बिनती से मिलता है। वहाँ पर वह बिनती से अपनी बातों के लिए माफी माँगता है। बिनती उसे माफ कर देती है। Gunahon Ka Devta Novel Story in Hindi.

तभी बुआ उसे ताने देने लगती है कि यह तो महारानी है, पता नहीं इसे कैसा राजकुमार चाहिए था। लेकिन बिनती कहती है कि वह अपने स्वाभिमान की कुर्बानी करके किसी भी ऐरे – गैरे के साथ शादी नहीं कर लेगी।

यहाँ पर चन्दर को एहसास होता है कि बिनती अंदर से बहुत ही मजबूत और एक स्वाभिमानी लड़की है।

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Gunahon Ka Devta Summary in Hindi By Dharmveer Bharti

इसी तरह कुछ और समय बीत जाता है। डॉक्टर शुक्ला फिर से दिल्ली चले जाते हैं। एक बार चन्दर भी उनसे मिलने दिल्ली जाता है। वहाँ सुधा भी आई हुई थी।

वह बहुत ही कमजोर हो गई थी और अक्सर बीमार रहती थी। क्युँकि वह अंदर ही अंदर चन्दर की याद में घुलती रहती थी।

चन्दर उससे मिलता है और वह फिर से अपने प्यार का इजहार करती है। लेकिन चंदर उससे कहता है कि कृपया करके उसे भूल जाओ। अब उसकी शादी हो चुकी है और नया जीवन शुरू करो। लेकिन वह कहती है कि उसने कभी दिल से शादी नहीं की है।

फिर वह चन्दर को बताती है कि वह प्रेग्नेंट (pregnant) भी है। यह सुनकर चन्दर को समझ नहीं आता कि क्या response दे। कुछ देर बाद वह वहाँ से चला जाता है। अगले हफ्ते बिनती भी सुधा से मिलने वहाँ आ जाती है।

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एक दिन चन्दर फिर से डॉक्टर शुक्ला के घर आता है। तभी उसे पता चलता है कि सुधा बहुत बीमार हो गई थी। डॉक्टर शुक्ला से पूछने पर वे बताते हैं कि सुधा का Miscarriage (गर्भपात ) हो गया था ।

वह कमरे में थी और उसका उपचार चल रहा था। उन्होंने उसके लिए एक नर्स रखी हुई थी। डॉक्टर भी आता था और उसे इंजेक्शन देकर चला जाता था। लेकिन सुधा की हालत बिगड़ती ही जा रही थी।

एक दिन सुधा को delirium (तेज बुखार ) हो जाता है और नए डॉक्टर को बुलाया जाता है। वे कहते हैं कि अंदर मवाद जमा हो रहा है और जल्दी से उसे अस्पताल ले जाओ। इसके बाद सब लोग एक ambulance के जरिये सुधा को ले जाते हैं और अस्पताल में भर्ती कर देते हैं।

अस्पताल में भी डॉक्टर कोशिश करते हैं लेकिन सुधा की हालत में कोई सुधार नहीं होता । मनोविज्ञान के अनुसार देखा जाए तो सुधा शादी के बाद हमेशा क्रॉनिक स्ट्रेस और डिप्रेशन में रहती थी।

इसकी वजह से कॉर्टिसोल हॉर्मोन Cortisol) ज्यादा हो जाता है। और इसकी वजह से उसका गर्भपात हो गया था। शायद वह कभी मन से चाहती ही नहीं थी कि वह इस बच्चे की माँ बने। वह तो हमेशा चन्दर के बच्चे की माँ बनना चाहती थी। Story: Gunahon Ka Devta Hindi Novel.

आखिरकार जिंदगी और मौत से लड़ते हुए एक दिन सुधा की मृत्यु हो जाती है। इससे चन्दर अंदर से बुरी तरह टूट जाता है।

इसके बाद सुधा के पार्थिव शरीर को इलाहबाद ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।

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Best Novel: Gunahon Ka Devta Summary in Hindi

कुछ हफ्तों के बाद डॉक्टर शुक्ला चन्दर से कहते हैं कि सुधा की अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर आओ।

चन्दर, अस्थियाँ लेकर घाट की तरफ जाने लगता है तभी बिनती भी उसके साथ चल देती है। वे गंगा घाट पर अस्थियाँ विसर्जन करने वाले थे तभी बिनती थोड़ी सी राख रख लेती है। वह उसे अपने साथ घर ले जाना चाहती थी।

लेकिन चन्दर गुस्से से उसे धक्का देता है और राख छीन लेता है। फिर वह अस्थियाँ और राख गँगा जी में डाल देता है।

लेकिन बिनती सीढ़ी पर गिर गयी थी। चन्दर को अपनी भूल का अहसास होता है और वह बिनती से क्षमा माँगता है तथा उसे सहारा देकर उठाता है। (Gunahon Ka Devta story in Hindi).

तभी उसे आभास होता है कि बिनती उससे निश्छल प्यार करती है। उसमें कोई कमी भी नहीं थी। सुधा की भी यही इच्छा थी कि वह बिनती से शादी कर ले।

इसके बाद चन्दर अपने हाथों में लगी सुधा की राख से बिनती की माँग भर देता है। और इस तरह से उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेता है। फिर वे दोनों हाथ पकड़ कर घर की तरफ जाने लगते हैं।

पीछे गँगा जी की लहरों में सुधा की राख एक साँप की तरह तैरती हुई आगे बढ़ जाती है और शीघ्र ही अथाह जल में विलीन हो जाती है।

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है आपको धर्मवीर भारती के इस मार्मिक उपन्यास “गुनाहों का देवता ” की समरी पसंद आयी होगी।

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