Outliers book summary in Hindi (by Malcolm Gladwell )

Title : Outliers book summary in Hindi

Outliers book summary in Hindi
(Outliers book summary in Hindi)

Note: आज Outliers किताब की book summary Hindi में देने जा रहे हैं (Outliers book summary in Hindi) यह किताब Malcolm Gladwell ने लिखी है। किताब बेहद ही रोचक है तथा बहुत अच्छी जानकारियों से भरी हुई है।

इस किताब में लेखक ने बताया है कि सफलता के लिए केवल talent ही जरुरी नहीं होता।
बल्कि 5 और चीजें (फैक्टर) भी चाहिये।

तो वो कौन सी 5 चीजें हैं, आइये book summary पढ़कर जानते हैं।



Outliers book summary in Hindi

सबसे पहले जान लेते हैं कि outlier किसे कहते हैं?

Outlier का literal मतलब है – बाहर रहने वाला। (out = बाहर )
लेकिन किसके बाहर रहने वाला?

तो इससे लेखक का मतलब है – भीड़ से बाहर रहने वाला।

और भीड़ से बाहर कौन होता है – वो जिसमे talent होता है। मतलब जो दूसरों से जयादा प्रतिभा वाला होता है।

मान लीजिये आपकी class के सब बच्चों को दौड़ लगाने के लिए कहा जाता है। यदि आप सबसे जयादा तेज भागते हैं और first आते हैं, तो race के लिहाज़ से आप outlier हुए। मतलब सारी भीड़ एक तरफ और आप सबसे अलग या बाहर।

ऐसे ही जो व्यक्ति swimming में सबसे आगे होगा वो स्विमिंग की फील्ड का outlier होगा।

ऐसे ही different field में अलग -अलग outliers हो सकते हैं। कोई अच्छा writer हो सकता है तो कोई अच्छा scientist । या कोई अच्छा entrepreneur या singer भी हो सकता है।

तो Outlier का सीधा मतलब है – very talented person।

जो किसी भी फील्ड में मिल सकता है। जैसे – art, science , enterprennurship, sports, आदि।

सफलता के लिए पाँच जरुरी बातें :

मान लीजिये आप भी किसी फील्ड के outlier हैं। मतलब talented हैं।

लेकिन क्या बस इसी बात से आप सफल हो जायँगे ?

नहीं।

जैसे हमारे देश में कितने सारे टैलेंटेड singers हैं लेकिन क्या वे सभी सफल हो पाते हैं?

लेखक बताते हैं कि सफलता तब आती है जब किसी भी outlier को निम्न 5 चीजें मिल पाती हैं।

1 ) Timing
2 ) Upbringing
3 ) 10,000 hours practice
4 ) Meaningful work
5 ) Legacy



आइये सबके बारे में discuss करते हैं।

1 ) Timing (Age )

लेखक ने एक बहुत ही रोचक fact बताया है। सफल होने के लिए हमारी उम्र और selection की timing भी
जिम्मेदार होती है।

उन्होंने विश्व की number one मानी जाने वाली Canada हॉकी टीम का example दिया है।

इसमें बच्चों का चयन दिसंबर में किया जाता है। जो बच्चे दिसंबर में पैदा होते हैं उनका सलेक्शन नहीं हो पता है।
लेकिन जो जनवरी और फरवरी में पैदा होते हैं उनका selection हो जाता है।

जानते हैं ऐसा क्यों?

क्यूँकि जो बच्चा जनवरी – फरवरी में पैदा होगा, वो दिसंबर तक आते- आते 8 -9 महीने बड़ा हो जायेगा,
उस बच्चे के मुकाबले जो नवंबर या दिसंबर में पैदा हुआ होगा।

8 -9 महीने के अंतर की बजह से जनवरी – फरवरी वाले बच्चे दिसंबर वालों से ज्यादा बड़े और physically strong होते हैं। ऐसे बच्चों में stamina भी ज्यादा होगा और बेहतर खेलते हैं। इसलिए उनका चयन हो जाता हैं।

नवंबर-दिसंबर वाले बच्चे comparatively छोटे होते हैं, strength और स्टैमिना में भी कम होते हैं
इसलिए उनका selection नहीं हो पाता है।

तो यहाँ selection की timing और बच्चों की उम्र मायने रखती है।

कनाडा की टीम के सारे प्लेयर्स का जन्म लगभग January – February में ही आता है।

वो बाकी सभी प्लेयर्स से उम्र में बड़े होते हैं। इसलिए वो खेल में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।

तो देखा आपने किस तरह उम्र भी आपको सफल बना सकती है।

India में भी आपने देखा होगा। किस तरह माँ-बाप में बच्चों को जल्दी स्कूल भेजने की होड़ लगी हुई है।

3 साल में ही बच्चे को स्कूल भेज दिया जाता है।

इस से बच्चों में बहुत stress रहता है। क्यूंकि उनमें ज्यादा cortisol hormone पैदा हो जाता है।

ऐसे बच्चे सिर्फ रट्टू तोते बन जाते हैं लेकिन आगे कुछ खास नहीं करते। वो कोई invention या discovery नहीं कर पाते।

बहुत से बच्चे इसलिए फेल भी हो जाते हैं क्यूँकि उस समय उनका brain विकसित नहीं हुआ होता है।
वो चीजों को आसानी से कैसे समझ सकते हैं? इसलिए फेल तो होंगे ही।

ये भी एक बड़ा कारण है कि , लगभग 139 करोड़ लोगों के देश में अभी तक एक अच्छा सा smart phone तक
नहीं बन पाया है।

France में 7 साल की उम्र से पहले बच्चे को स्कूल में नहीं डाला जा सकता। ऐसा वहाँ का कानून है।
और देख लीजिये इतने छोटे से देश के लोग कितनी बड़ी – बड़ी टेक्नोलॉजी वाली चीजों का अविष्कार करते हैं।

Rafel विमान की कहानी तो आपको पता ही होगी। जिसे India ने France से ही खरीदा है।
जिसकी आबादी India के मुकाबले कई गुना कम है।

अतः बच्चों को तभी स्कूल में डालना चाहिए जब उनका दिमाग सही से विकसित हो जाये।

काश, देश के नेता इस बात को समझें और ऐसे नियम- कानून बनायें।

2 ) Upbringing (परवरिश)

सफलता के लिए अगली जरुरी चीज है – Outlier या टैलेंटेड आदमी की परवरिश।

Doctor का बेटा इसलिए डॉक्टर बन पाता है क्युँकि बचपन से ही उसने हज़ारो दवाइयों के नाम सुन रखे होते हैं।

MBBS की किताबें पहले से ही देख- पढ़ रखी होती हैं।

Guitarist का बेटा भी गिटार बजा सकता है क्यूँकि उसके घर में गिटार पड़ा होता है।
उसने पिता को बजाते देखा-सुना होगा। उस से tricks सीख लिए होंगे।

ऐसे ही किसान का बेटा बचपन से क्या देखता है – अपने माता -पिता को खेती बाड़ी करते हुए।

हो सकता है एक किसान के बेटे में guitarist बनने का टैलेंट हो लेकिन उसके घर में अगर गिटार नहीं होगा,
तो वो हल से तो गिटार बजाना नहीं सीख जायेगा।

Film stars के बच्चे बचपन से ही कैमरा के आगे – पीछे घूम रहे होते हैं। क्या बड़े होकर ऐसे बच्चों को कैमरा से डर लगेगा ? बिलकुल भी नहीं। इनके लिए कैमरा कोई डराने वाली चीज नहीं होगा। वो सरलता से उसे handle कर लेंगे।

नए लोगों को हर चीज शुरू से सीखनी पड़ेगी।

इसलिए परवरिश का भी सफलता में बहुत बड़ा role होता है।

यहाँ लेखक ने बिल गेट्स का example दिया है:

बिल गेट्स की सफलता के पीछे उनकी परवरिश का बहुत बड़ा हाथ है।

उनके पिता वकील थे और माँ भी एक अमीर घर से थीं। वे अमेरिका के Seattle शहर में रहते थे ।
1968 में उन्होंने बिल गेट्स को एक बहुत ही elite स्कूल जिसका नाम Lakeside था, में पढ़ने के लिए डाल दिया।

Lakeside गिने चुने स्कूलों में था जहाँ computer lab की सुविधा मौजूद थी।

बिल गेट्स ने 8th class से ही coding सीखना शुरु कर दिया था।

बिल गेट्स में टैलेंट तो कूट – कूट कर भरा था लेकिन अगर वो किसी किसान के घर में पैदा हुए होते तो
क्या Microsoft बना लेते? वहाँ तो उन्हें computer को on करना भी कोई नहीं सिखाता।

अतः talent के अलावा upbringing भी एक factor था जिसके कारण बिल गेट्स आगे चलकर इतने
अमीर entrepreneur बने।

3) Ten thousand hours (10,000 ) practice

सफलता के लिए जो तीसरी चीज लेखक ने बताई है वो है 10,000 घंटों की practice ।
ये practice कोई भी outlier जाने-अनजाने करता रहता है।

बिल गेट्स का example लें तो 8th ग्रेड से कॉलेज तक पहुँचते – पहुँचते उनकी 10,000 घंटों की practice
अपने-आप ही पूरी हो गयी थी।

Harry Potter लिखने से पहले भी JK Rowling लिखती रहती थीं। 40 साल की उम्र में जब उन्होंने masterpiece हैरी पॉटर लिखा तब तक उनकी भी 10 ,000 घंटों की practice हो चुकी थी।

जितने भी खिलाडी हैं, वे बचपन से ही स्पोर्ट्स खेलने लग जाते हैं। टीम में सिलेक्शन होने तक वो 10 ,000 घण्टे की practice कर ही चुके होते हैं। जिन्होंने ऐसा नहीं किया होता है वो सफल नहीं हो पाते।

यदि आपमें भी कोई टैलेंट हैं तो नियमित रूप से उसकी प्रक्टिसे करते रहिये। कई सालों की practice से आपके
भी 10 ,000 घंटे हो जायेंगे। आप भी अपनी filed के expert बन जायेंगे। और आप दूसरों से ज्यादा सफल हो सकते हैं।

लेखक ने Beatles का example दिया है।

1960 में वे सिर्फ एक school-band हुआ करते थे।

उन्हें जर्मनी के Hamburg शहर में स्थित Bruno Club में बजाने का मौका मिला।

उन्हें पूरी रात बजाने के लिए कहा जाता था।

इस से उन्हें प्रैक्टिस का खूब मौका मिला। उनका stamina बढ़ता चला गया और उनके talent में भी
निखार आता चला गया।

जब वे पॉपुलर हुए तो पहले ही 1200 परफॉरमेंस क्लब में दे चुके थे। यानि 10 ,000 घंटे वाली condition पूरी
कर चुके थे।

इसलिए वो दूसरे bands से ज्यादा सफल हो पाए।

4 ) Meaningful Work

Outlier तभी मेहनत और practice जारी रख सकता है जब उसे लगे कि उसके काम का कोई मतलब है।
और उसे करके वो कोई लाभ प्राप्त करता हो।

जैसे बहुत से writers जिनके novels रिजेक्ट हो जाते हैं, लिखना छोड़ देते हैं।
क्युँकि उन्हें name, fame, money कुछ भी नहीं मिल रहा होता है।

दूसरी ओर जो खिलाडी स्पोर्ट्स में 1 -2 टूर्नामेंट भी जीत जाते हैं तो वे और भी प्रैक्टिस करने लग जाते हैं।
क्युँकि जो ट्रॉफी वो जीत कर लाते हैं वो हमेशा उन्हें ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहती है।

इसलिए मेहनत करें ओर बहुत सी प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहें। किसी न किसी में तो सफलता मिलेगी।

5 ) Legacy

अंत में लेखक कहते हैं कि Legacy यानि माहौल/कल्चर/एनवायरनमेंट का भी outliers की सफलता पर
काफी प्रभाव पड़ता है।

जैसे बिल गेट्स को स्कूल में कंप्यूटर culture मिल गया।

Beatles को म्यूजिक का कल्चर मिला।

वैसे ही हमारे देश में भी कल्चर का effect काफी देखा जाता है।

जैसे Haryana के लोग Olympic खेलों में मेडल्स लाने के लिए देश भर में जाने जाते हैं।
बच्चे बचपन से ही wrestling, boxing, कबड्डी आदि खेलों में लग जाते है। क्युँकि वहां खेल -कूद का माहौल है।
और बच्चे इन्हे अपने आस-पास देखते रहते हैं।

गुजरात के लोग बहुत अच्छे व्यापारी होते हैं। क्युँकि वहां trust और एक दूसरे की help करने का कल्चर है।
वो एक-दूसरे को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं जो बाकी states में इतना नहीं पाया जाता।

जो आगे बढ़ जाता है वो जमीन पर रहता है और बाकी लोगों की भी हेल्प करता है।
बाकी स्टेट्स के लोग शो-ऑफ करने में लग जाते हैं। Ego ओर अहंकार भी पाल लेते हैं।

बंगाल के लोग Literature में निपुण हैं क्युँकि वहाँ साहित्य पढ़ने-लिखने का कल्चर है।
Shri Rabindranath Tagore ने नोबल प्राइज जीतकर वहाँ के लोगों के लिए legacy कायम की है।
बंगाली लोग उनसे प्रेरणा लेते रहते हैं और बहुत से जगत प्रसिद्ध writers बंगाल से ही हैं।

ऐसे ही अलग – अलग States के और भी उदाहरण हो सकते हैं।

आप भी अपने state का example नीचे comment सेक्शन में देकर बताइये कि वहाँ किस चीज का माहौल है।


Conclusion :

तो दोस्तो देखा आपने, सफल होने के लिए लेखक ने किन 5 चीजों की जरुरत बताई है?

आइये देखते हैं कि आप भी किस तरह से इन 5 factors को अपने जीवन में ला सकते हैं और सफल हो सकते हैं।

1 ) सबसे पहले यह देखिये कि आपमें क्या टैलेंट है? आप किस चीज में outlier हैं। क्या आप games में अच्छे हैं। या नेटवर्किंग कर लेते है। या अच्छी एक्टिंग के माहिर हैं?

2 ) टैलेंट ढूँढ लेने के बाद आपको परवरिश पर ध्यान देना होगा। हो सकता है आप गरीब परिवार से हों।
लेकिन लेखक बताते हैं कि आज के टेक्नोलॉजी वाले युग में आप इसका तोड़ ढूंढ सकते हैं।

इंटरनेट पर आजकल किस चीज की ट्रेनिंग नहीं मिलती। खाना बनाने से लेकर कंप्यूटर coding तक you -tube
पर free में मौजूद है। Parents नहीं सिखा सकते तो क्या, google या you -tube से आप कुछ भी सीख सकते हैं।

3 ) अगला काम करना होगा 10 ,000 घंटे की प्रैक्टिस। तो आज से ही शुरू कर दीजिये।

एथलिट बनना है तो हर दिन दौड़िए। दूसरों से थोड़ा जल्दी उठिये। उनसे थोड़ा दूर तक भागिए।

म्यूजिक सीखना है तो हर दिन दूसरों से जयादा रियाज़ करिये।

तब तक लगे रहिये जब तक 10 ,000 घंटे पूरे न हो जाएं। सफलता आपके कदम चूमेगी।

4 ) आप practice तभी जारी रख सकते हैं जब इसका कोई meaning हों। जब आपको कोई प्रोत्साहन मिले।

इसके लिए छोटी-बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लीजिये । लेखक हैं तो अख़बारों और magazines में लेख भेजिए।

एक्टर हैं तो audition दीजिये।

5 अंत में अपने इंटरेस्ट से मिलता जुलता माहौल खोज लीजिये। Wrestler बनना है तो कोई अच्छा सा अखाडा ढूँढ लीजिये।

वहीँ आपके जैसे पहलवान मिलेंगें। जिनसे नयी- नयी चीजें सीखने को मिलेंगी।

एक्टर बनना है तो किसी theater group से जुड़ जाइये।

सिंगर बनना है तो कोई गुरु ढूँढ लीजिये।

तो दोस्तो, यही है इस bestseller किताब की Summary (Outliers book summary in Hindi )।

आप में क्या talent है और आप किस चीज में outlier बन सकते हो, नीचे comment करके बताइये।

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धन्यवाद।

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