EPS kya hota hai in Hindi

EPS kya hota hai ( EPS क्या होता है) : Earnings per Share (EPS) एक financial metric है जो हमे बताता है कि कोई कंपनी कितना profit दे रही है।

इससे investors को पता चलता है कि कंपनी की performance कैसी है और आगे Growth Potential कितना है।

साथ ही EPS बताता है कि हर share अपने Shareholder को कितना profit कमा कर दे रहा है।

अगर आपको कोई शेयर खरीदना है तो आपको अन्य चीजों के साथ -साथ EPS पर भी ध्यान देना चाहिए।

आगे इस पोस्ट में हम EPS से जुड़े हर टॉपिक को पढ़ेंगे। (EPS kya hota hai).

EPS kya hota hai ( EPS क्या होता है)
EPS kya hota hai ( EPS क्या होता है)

Definition of EPS : EPS क्या है (EPS की परिभाषा )

EPS का फुल फॉर्म है Earning Per Share. जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है – EPS आपको बताता है कि आपके एक शेयर ने आपको कितना कमा कर दिया है।

मतलब एक शेयर पर आपने कितना Earn किया है।

EPS जितना ज्यादा होगा, वह कंपनी उतनी ही अच्छी होगी। क्यूंकि इसका सीधा मतलब होगा कि ज्यादा EPS
वाली कंपनी का शेयर आपको ज्यादा कमाई कर के दे रहा है।

EPS से आप मौजूदा शेयर के बारे में जान सकते हैं। अगर आपकी कंपनी का EPS ऊपर गया है तो आप उसे hold कर सकते हैं। क्युँकि यह आपको फायदा दे रहा है। (Blog : EPS kya hota hai ).

लेकिन अगर EPS हर क्वार्टर में नीचे गिर रहा हो तो आप निकलने की सोच सकते हैं ।

EPS से आप दूसरी कम्पनीज को भी compare कर सकते हैं। जिस कंपनी का EPS ज्यादा होगा आप उसका Share लेना पसंद करोगे।

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Types of EPS (EPS kya hota hai )

शेयर्स के टाइप के आधार पर EPS दो तरह के होते हैं।

1. Basic EPS और 2. Diluted EPS

Basic EPS में केवल common shares, को ही कंसीडर किया जाता है।

लेकिन diluted EPS में shares के साथ दूसरी convertible securities जैसे options, convertible bonds, और warrants. को भी consider किया जाता है।

ज्यादातर Basic EPS का ही प्रयोग ज्यादा किया जाता है। (EPS kya hota hai)

Calculation of Basic EPS

आइये अब देखते हैं कि Basic EPS की कैलकुलेशन कैसे की जाती है

Retail Investors के लिए पर बेसिक EPS ही मायने रखता है। Basic EPS को निम्न फार्मूला से कैलकुलेट किया जाता है :

EPS = (Net Income − Preferred Dividends) / Common Shares

जैसा कि आप देख सकते हैं कि नेट इनकम से प्रिफर्ड डिविडेंड को पहले घटाया जाता है। क्यूंकि प्रेफेरेंड डिविडेंड सबको नहीं मिलता है। बल्कि कुछ चुनिंदा Shareholders को ही दिया जाता है।

इसके बाद आप बाकी बाकी बची इनकम को कॉमन शेयर्स से डिवाइड करेंगे। इससे आपको Basic EPS मिल जायेगा।

आइये Example से समझते हैं :

मान लीजिये एक कंपनी की एअर्निंग (नेट प्रॉफिट ) Rs 22,000 है। जिससे उसने 2000 रुपये का Preferred Dividend दिया है। अगर कंपनी के पास टोटल कॉमन शेयर्स 1000 हैं तो इसका EPS इस तरह से निकाला जायेगा :

EPS = (Net Income − Preferred Dividends) / Common Shares

= (22,000-2000) / 1000 = 20

तो इस तरह से इस कंपनी का EPS 20 रुपये होगा। अर्थात कंपनी ने हर शेयर पर 20 रुपये कमाए हैं।

लेकिन अगर आपके पास Company के 2000 शेयर हैं तो आपकी Total कमाई होगी = 2000 X 20 =
Rs 40,000 .

मगर कंपनी इस कमाई का कुछ हिस्सा आपको डिविडेंड में दे सकती है। या Growth में भी इन्वेस्ट कर सकती है। दोनों ही शेयरहोल्डर के हित में हो सकते हैं। (Guide – EPS kya hota hai )

Question about EPS

मान लीजिये XYZ तीन आईटी कम्पनीज हैं और उनके EPS निम्नलिखित हैं। इस डाटा से क्या आप बता सकते हैं कि कौन सी कंपनी का शेयर ज्यादा कमा कर दे रहा है :

Sr. No.CompanyEPS (Earning per Share)
1.X10
2.Y5
3.Z15

दोस्तो, आप कहेंगे कि निसंदेह Company Z का Share ही ज्यादा earning कर रहा है।

लेकिन एक बात note करें, कि अकेले EPS देखकर ही आप शेयर खरीदने का फैसला नहीं कर सकते। हो सकता है इस कंपनी पर Debt बहुत ज्यादा है। इसलिए आपको सारी Fundamental Analysis करनी चाहिए।

EPS और PE Ratio का सम्बन्ध

EPS और PE Ratio का आपस में गहरा सम्बन्ध है। क्युँकि PE Ratio निकालने के लिए EPS भी चाहिए होता है।

PE Ratio का मतलब है Price to Earning Per Share (EPS) ratio.

PE Ratio = Price Of Share / Earning Per Share

जैसे -जैसे EPS बढ़ता जायेगा , PE ratio कम होती जाएगी। क्युँकि EPS से भाग दिया जा रहा है।

इसका मतलब है PE Ratio और EPS एक दूसरे के inversely proportional होते हैं। यानी जब एक बढ़ता है तो दूसरा घटता है। (EPS kya hota hai in Hindi).

अगर किसी कंपनी का EPS ज्यादा होगा तो PE ratio कम होगा।

इसलिए आपको ऐसा शेयर चुनना चाइये जिसका EPS तो ज्यादा हो लेकिन PE Ratio कम हो।

लेकिन इसके साथ ही आपको industry PE भी देखनी होती है। फिर अपनी पसंद के स्टॉक की PE ratio से compare करना चाहिए।

आइये एक Example से समझते हैं।

मान लीजिये एक कंपनी का शेयर 300 रुपये CMP (करंट मार्किट प्राइस) पर मिल रहा है। और उस कंपनी का EPS 10 है।

तो PE Ratio हो जाएगी :

P/E Ratio = Share Price ÷ EPS

= 300 ÷ 10 = 30

इसका मतलब है कि कंपनी का Share अपनी Earning के मुकाबले 30 गुना दाम पर मिल रहा है।

अब यह ज्यादा है या कम इसके लिए आपको industry PE से compare करना होगा।

जैसे अगर आप बैंकिंग सेक्टर में यस बैंक का शेयर लेना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको यस बैंक के PE के साथ -साथ बैंकिंग सेक्टर का industry PE देखना होगा।

मान लीजिये यस बैंक का PE 20 है और industry PE 25 है तो इसका मतलब है यस बैंक का शेयर अभी Overvalued नहीं है।

और बहुत से लोग उसमे निवेश नहीं कर रहे हैं। (EPS kya hota hai – full info).

अब यहाँ दो बातें हो सकती हैं। कुछ investors सोच सकते हैं कि यस बैंक और नहीं बढ़ेगा। क्युँकि उस पर scam का दाग है। ऐसे लोग शेयर नहीं खरीदेंगे।

दूसरी ओर कुछ लोग इसे मौका मान सकते हैं। उन्हें शेयर सस्ता लग सकता है और वे इसे खरीद लेंगे।

तो इस तरह से analysis के बाद भी, रिजल्ट को अलग -अलग तरीकों से interpret किया जा सकता है। तभी तो शेयर market में कुछ भी हो सकता है।

दोस्तो आपको, Grow App  पर एक click में EPS, PE Ratio और industry PE दिख जाता है। इसलिए आप Grow App  डाउनलोड करके अपने शेयर खरीद सकते हैं।

निम्न चित्र Grow App  से लिया गया है। यह आपको यस बैंक के Fundamentals दिखा रहा है :

EPS kya hota hai in Hindi
EPS kya hota hai

PE Ratio की और डिटेल जानकारी आपको इस पोस्ट में मिल जाएगी : What is PE Ratio in Hindi .

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Diluted EPS Calculation

ऊपर हमने Basic EPS की कैलकुलेशन सीखी। आइये अब Diluted EPS की कैलकुलेशन जान लेते हैं।

जैसे कि पहले भी बताया था, Diluted EPS में हम common shares के साथ – साथ दूसरी Securities भी जोड़ लेते हैं जैसे बांड्स, warrants आदि।

इन सबको हम Convertible Shares भी बोल देते हैं। क्युँकि जरुरत आने पर इन्हे Equity शेयर में बदला जा सकता है। (Diluted EPS kya hota hai).

Diluted EPS को इस फार्मूला से निकाल सकते हैं :

Diluted EPS = ( Net Income − Preferred Dividends ) ÷ Common Shares + Convertible Shares

आइये एक Example से समझते हैं :

मान लीजिये एक Company का निम्न डाटा है –

Net ProfitRs. 1,00,000
Preferred DividendRs. 10,000
Common SharesRs. 10,000
Convertible SharesRs. 2000

तो इससे Diluted EPS हो जायेगा :

Diluted EPS = (1,00,000 – 10,000) ÷ (10,000+2000) = 7.5

Types Of EPS (Time Period के आधार पर)

Time Period के आधार पर भी EPS को तीन प्रकार में बाँटा जा सकता है :

1. Trailing EPS : जब हम पिछले Financial Year को आधार मानकर EPS निकालते हैं तो उसे trailing EPS कहते हैं। इसमें आपको पिछले साल का Earning (नेट प्रॉफिट), Preferred डिविडेंड आदि लेकर कैलकुलेशन करनी होती है।

इससे हमें यह पता चलता है कि कंपनी की पहले क्या स्तिथि थी।

2. Current EPS: जब हम चालू वित्त बर्ष के आधार पर EPS कैलकुलेट करते हैं तो इसे Current EPS कहा जाता है। इसकी तुलना आप ट्रेलिंग EPS से करके जान सकते हैं कि शेयर पहले प्रॉफिट दे रहे थे या अब दे रहे हैं या कोई अंतर नहीं आया है। (Article EPS kya hota hai in Hindi)

3. Forward EPS: जब फ्यूचर का अनुमान लगाकर EPS कैलकुलेट किया जाता है तो उसे Forward EPS कहा जाता है। लेकिन यह जयादा भरोसेमंद नहीं होता। क्युँकि फ्यूचर में क्या होगा कोई नहीं बता सकता।

EPS का महत्व – Importance of EPS

1. Evaluating Profitability: EPS देखकर आप किसी company की profitability बता सकते हैं।

अगर सालों – साल कंपनी का EPS बढ़ा है तो इसका मतलब कंपनी की profitability बहुत अच्छी है।

2. Comparing Companies: EPS की सहायता से आप किसी भी सेक्टर की एक या उससे ज्यादा कम्पनीज की तुलना कर सकते हैं।

जैसे टेलीकॉम की कम्पनीज Jio, Airtel और Vi में से आप किसको लेना पसंद करेंगे। तो जिसका EPS सबसे ज्यादा होगा, उसे बेहतर माना जायेगा बशर्ते कि बाकी के फंडामेंटल एनालिसिस भी पॉजिटिव हों।

3. Assessing Growth Potential: EPS से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई कंपनी फ्यूचर में Grow करेगी या नहीं। (Complete guide on EPS kya hota hai).

अगर किसी कंपनी का EPS ज्यादा तो है लेकिन कई सालों से बराबर है तो इसका मतलब है कंपनी पूरी Grow कर चुकी है और इससे ज्यादा Grow नहीं कर पायेगी। ऐसा बड़ी -बड़ी कम्पनीज में देखा जाता है।

लेकिन अगर EPS पहले कम था और अब हर साल ऊपर जा रहा है तो इसका मतलब वह कंपनी अपने Growth Phase में है।

4. EPS and Stock Valuation: EPS फंडामेंटल एनालिसिस का महतवपूर्ण factor माना जाता है। इसे price-to-earnings (P/E) ratios के साथ analyze करके आप किसी भी स्टॉक की वैल्यूएशन कर सकते हैं।

इससे आपको शेयर को खरीदने या बेचने का फैसला करने में सहायता मिलेगी।

EPS की त्रुटियाँ – Limitations of EPS

हालाँकि EPS किसी भी कंपनी के स्टॉक की valuation करने का बहुत अच्छा पैमाना माना जाता है लेकिन इसकी भी अपनी कुछ कमियाँ हैं। जैसे :

1. कुछ Companies हेरा -फेरी करके अपने EPS को बढ़ा भी सकती हैं। इसलिए EPS के अलावा आपको EBITDA भी देखना चाहिए।

2. EPS calculation करती बार Cash Flow को ध्यान में नहीं रखा जाता है। मतलब पैसा कहाँ से आ रहा है और कहाँ जा रहा है। (Hindi article EPS kya hota hai).

इसलिए EPS Cash Flow की सही picture नहीं बताता। इसलिए आपको Cash Flow को अलग से चेक करना चाहिए।

3. EPS मुद्रास्फीति (Inflation) या महंगाई दर को ध्यान में नहीं रखता। मान लीजिये किसी कंपनी का EPS तो बढ़ा है लेकिन साथ ही उसके द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल भी महँगा हो गया है तो EPS एक भ्रामक छवि भी दे सकता है। इसलिए आपको inflation rate अलग से चेक करनी चाहिए।

4. अगर EPS ज्यादा है और कंपनी पर Debt भी ज्यादा है तो बढ़ा हुआ EPS भी आपको धोखा ही देगा। इसलिए Debt / Equity Ratio जरुर देखें।

5. कुल मिलाकर EPS के साथ -साथ बाकी सारे फाइनेंसियल मैट्रिक्स , Balance Sheet , Income Statement और Cash Flow देखें। यह सब आपको Grow App पर आसानी से मिल जाता है।

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FAQ (Frequently Asked Questions about EPS)

Q: Earnings per Share (EPS) क्या है ?
A: Earnings per Share (EPS) एक financial metric है जो कंपनी के हर शेयर पर होने वाले प्रॉफिट को मापता है। इसे calculated करने के लिए net income से preferred dividends को घटाया जाता है और फिर total shares से भाग दिया जाता है।

Q: EPS क्यों इम्पोर्टेन्ट है?
A: EPS से ही आपको पता चलता है कि प्रति शेयर आप कितने पैसे कमा रहे हैं। अन्यथा आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपके शेयर लगातार Profit में ऊपर जा रहे हैं या एक जगह स्थिर हो गए हैं।

Q: EPS कितने प्रकार का होता है ?
A: शेयर्स के आधार पर EPS दो प्रकार का होता है – Basic EPS और Diluted EPS. Basic EPS में केवल outstanding common shares गिने जाते हैं। लेकिन Diluted EPS में convertible securities जैसे stock options, convertible bonds और warrants भी जोड़े जाते हैं।

Q: Basic EPS कैसे calculate किया जाता है?
A: Basic EPS के लिए net income से preferred dividends को घटाया जाता है। फिर total common shares से भाग किया जाता है। (EPS kya hota hai).

Q: Diluted EPS कैसे कैलकुलेट करते हैं?
A: Diluted EPS में convertible securities को भी Equity Stocks में जोड़ा जाता है और फिर Earning से भाग दिया जाता है।

Q: Adjusted EPS का इस्तेमाल कब होता है ?
A: जब company के stock splits किये जाते हैं या bonus issues अथवा rights issues आने पर भी EPS में कुछ changes करनी पड़ती हैं। इसी को adjusted EPS कहते हैं।

Q: क्या EPS नेगेटिव हो सकता है?
A: हाँ, अगर company को net loss होता है तो EPS नेगेटिव हो सकता है। इससे आपको पता चल जायेगा कि कंपनी में कुछ गड़बड़ शुरू हो गयी है।

Q: क्या EPS में हेरा -फेरी की जा सकती है?

A: हाँ , EPS को manipulate किया जा सकता है। अगर कोई company खुद को प्रॉफिट में दिखती है तो इससे EPS बढ़ा हुआ दिखता है। प्रॉफिट में दिखाने के लिए कंपनी अपने expenses को कम दिखाती है।

Q: EPS की क्या खामियां हैं?
A: EPS किसी कंपनी के Cash Flow, Debt और inflation आदि को कैलकुलेशन में शामिल नहीं करता। इसलिए केवल EPS से कंपनी की पूरी valuation नहीं हो पाती है। (EPS kya hota hai)

Q: क्या ज्यादा EPS हमेशा अच्छा होता है?
A: वैसे तो ज्यादा EPS को अच्छा माना जाता है। और यह company के प्रॉफिट में होने का सूचक होता है। लेकिन इसके साथ दूसरे मानक जैसे PE ratio, EBITDA, Cash Flow, Debt to Equity ratio भी favorable होने चाहिए। कभी भी एक फैक्टर को देखकर शेयर नहीं खरीदने चाहिए।

EPS kya hota hai ?

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि EPS क्या होता है ?

इस जानकारी के बाद आपको किसी भी कंपनी कि पूरी Fundamental Analysis करने में सहायता मिलेगी।

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