Fundamental Analysis Kya Hai – Ultimate Guide in Hindi


Fundamental Analysis Kya Hai – Ultimate Guide in Hindi: दोस्तो, अगर आप शेयर खरीदने में रूचि रखते हो तो आपको Fundamental Analysis आना बेहद जरुरी है। तभी आप Shares में इन्वेस्ट करके अच्छा Return प्राप्त कर सकते हो।

बहुत से लोग बिना Fundamental Analysis किये ही दूसरों के कहने से शेयर खरीद लेते हैं। इसलिए उन्हें भारी Loss उठाना पड़ जाता है। (Article: Fundamental Analysis Kya Hai).

इसका एक कारण है कि लोगों को Fundamental Analysis करना मुश्किल लगता है। लेकिन इस पोस्ट में बहुत ही आसान तरीके से आपको Fundamental Analysis करना सिखाया जायेगा।

तो आइये पढ़ते हैं।

Fundamental Analysis Kya Hai

परिभाषा – Fundamental Analysis Kya Hai

Fundamental Analysis (मौलिक विश्लेषण) एक ऐसा तरीका है जिससे आप किसी कंपनी के stocks की Intrinsic value निकालते हो। Intrinsic Value का मतलब है शेयर का असली मूल्य।

दोस्तो , Warren Buffet ने कहा था कि अगर आपको शेयर खरीदना है तो ऐसा शेयर खरीदें जो intrinsic value से कम कीमत पर मिल रहा हो।

तो किसी Share या Company की Intrinsic Value निकालने की सारी प्रक्रिया को ही Fundamental Analysis कहते हैं।

Fundamental Analysis से आपको किसी भी कंपनी की Financial health और भविष्य की Growth की संभावनाओं का पता चल जाता है।

आप देख पाते हैं कि कंपनी आगे ठीक काम करने वाली है और अच्छे return देने वाली है या bankrupt हो सकती है। Blog- Fundamental Analysis Kya Hai (Full Guide).

फिर इसके आधार पर ही आप किसी कंपनी के शेयर खरीदने का फैसला करते हो।

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Fundamental Analysis कैसे करते हैं -Step By Step

दोस्तो, आजकल बहुत से Apps हैं जिनसे आप बहुत आसानी से Fundamental Analysis कर सकते हैं। आपको कुछ भी कैलकुलेट नहीं करना पड़ता है।

सबसे अच्छा Grow App है। आप इसे यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं (Download Grow App – Click Here )।

इसके बाद उसे Open करके आप किसी भी कंपनी पर क्लिक कीजिये। Post- Fundamental Analysis Kya Hai in Hindi.

इसके बाद Fundamental पर क्लिक कीजिये। और आपके सामने सारा डाटा आ जायेगा। और आप उसमें हर चीज देख सकते हैं।

जैसे नीचे के चित्र में यस बैंक के Fundamentals आपको दिख रहे हैं।

 Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

दोस्तो, अगर आपको इस चित्र में कुछ भी समझ नहीं आ रहा है तो घबराइए नहीं। आगे इन सब Terms को अच्छे से explain किया गया है।

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आप Grow App से प्राप्त उपरोक्त Data से किसी भी Company (शेयर) की Fundamental Analysis निम्न Steps में कर सकते हैं :

1. Market Capitalization (Market Cap)

सबसे पहले कंपनी का मार्किट कैप देखें। इससे पता चलता है कि कंपनी कितनी बड़ी है और इसकी मार्किट में क्या Value है।

मार्किट कैप के हिसाब से Companies 4 तरह की होती हैं :

a) Large Cap (लार्ज कैप) : ऐसी कम्पनीज जिनका मार्किट कैप Rs 20,000 करोड़ से ज्यादा है, लार्ज कैप की कम्पनीज कहलाती हैं। इन्हे ब्लू चिप कंपनी भी कहते हैं।

b) Mid Cap (मिड कैप): ऐसी कम्पनीज जिनका मार्किट कैप Rs 20,000 करोड़ से 5000 करोड़ के बीच में है , वे Mid कैप की कम्पनीज कहलाती हैं। (Fundamental Analysis Kya Hai, easy method).

c) Small Cap: ऐसी कम्पनीज जिनका मार्किट कैप Rs 5000 करोड़ से कम है , उन्हें small cap कम्पनीज कहते हैं।

d) Penny Stocks (पैनी स्टॉक्स): ऐसे स्टॉक्स जो 10 रुपये से कम में मिलते हैं उन्हें पैनी स्टॉक्स कहते हैं। ऐसी कम्पनीज की मार्किट कैप 10 करोड़ से कम होती है।

मार्किट कैप कैसे निकालते हैं : Formula

मार्किट कैप निकालने के लिए कंपनी के एक शेयर की कीमत को कंपनी के सभी शेयर्स से गुना करते हैं।

इसके लिए यह फार्मूला होता है :

Market Cap = Share Price X Total Shares

मान लीजिये एक कंपनी का शेयर 100 रुपये का है। तथा उसके टोटल 10 हजार शेयर हैं। तो उसकी मार्किट कैप Rs 10,00,000 हो जाएगी।

ऐसा माना जाता है कि लार्ज कैप कंपनी में ग्रोथ कम्पलीट हो चुकी होती है इसलिए वे ज्यादा Returns नहीं देती हैं। जबकि मिड कैप और small cap ज्यादा return देती हैं।

लेकिन इसके लिए और भी बहुत से Factors matter करते हैं। जो आगे दिए गये हैं।

2. PE Ratio (Fundamental Analysis Kya Hai)

इसके बाद आपको PE Ratio देखनी चाहिए। PE Ratio का मतलब है कि कंपनी से 1 रूपया कमाने के लिए हमें कितने रुपये देने होंगे।

PE Ratio निकालने के लिए शेयर प्राइस को कंपनी की Earning Per Share (EPS) से भाग करते हैं।

PE Ratio = Share Price/ Earning (EPS)

अगर एक कंपनी का शेयर प्राइस Rs 1000 है और उसकी Earning 100 है तो उसकी PE Ratio होगी:

PE Ratio: 1000/100 = 10

यानी हमें 1 रूपया कमाने के लिए कंपनी को 10 रुपये देने होंगे।

सबसे अच्छा PE Ratio 15-20 के बीच का माना जाता है। अगर PE Ratio इसके ऊपर है तो माना जाता है कि स्टॉक Overvalued है। और बहुत से इन्वेस्टर उसे खरीदना चाहते हैं।

क्यूंकि उन्हें लगता है कि कंपनी की फ्यूचर Growth बहुत ज्यादा होगी। इसलिए कुछ लोग 50 -80 PE Ratio वाली कंपनी को भी ले लेते हैं।

अगर PE Ratio 10 से कम है तो इसका मतलब है स्टॉक undervalued है। और उसे कम लोग लेना चाह रहे हैं। Blogpost – Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

लेकिन रिटेल इन्वेस्टर जायदातर 15-20 PE Ratio ही प्रेफर करते हैं। ताकि वे Safe Zone में रह सकें।

PE Ratio की और डिटेल जानकारी आपको इस पोस्ट में मिल जाएगी – What is PE Ratio in Hindi .

3. PB Ratio

PB Ratio का मतलब है Price to Book Value Ratio . इसका ये फार्मूला होता है:

PB Ratio: Share Price / Book Value Per Share

Book Value का मतलब होता है कि कंपनी के पास कितने Assets हैं। इसे इस फार्मूला से निकालते हैं :

Book Value = Assets – Liabilities

अगर किसी कंपनी के Assets की कीमत Rs 500 है और Liabilities Rs 200 की हैं, तो बुक वैल्यू हो जायेगा

Book Value = 500 – 200 = 300

ये जो 300 Rs हैं इन पर शरहोल्डर्स का right होता है। अगर कंपनी कल को बंद हो जाती है तो इस 300 Rs को Shareholders में बांटा जायेगा।

लेकिन अब हमें Book Value Per Share चाहिए। इसे इस फार्मूला से निकालते हैं :

Book Value Per Share = Book Value/ Total share

मान लीजिये कंपनी के टोटल शेयर 100 हैं और Book Value हमने Rs 300 निकाली है। तो Book Value Per Share हो जाएगी :

Book Value Per Share = 300/100 = 3

अब सबसे ऊपर दिए formula से PB Ratio निकाल सकते हैं :

PB Ratio= 300/3 = 100

बुक वैल्यू आपको कंपनी की बैलेंस शीट से भी मिल जाती है।

लेकिन आपको Grow App पर यह आसानी से मिल जाएगी । और आपको खुद कुछ भी कैलकुलेट नहीं करना है। बस इसका ज्ञान होना जरुरी है कि कैसे निकालते हैं।

अगर आपको कोई भी शेयर लेना है तो उसकी PB Ratio, 2 से कम होनी चाहिए।

Article on Fundamental Analysis Kya Hai !

4. ROCE

ROCE का मतलब है Return on Capital Employed. मतलब कंपनी ने जितना पैसा लगाया था उस पर कितना प्रॉफिट मिला।

इसे इस फार्मूला से कैलकुलेट किया जा सकता है:

ROCE = (Operating Profit / Capital Employed) x 100

अगर आपको कोई स्टॉक लेना हो तो यह देखें कि हर साल उस कंपनी का ROCE बढ़ा होना चाहिए।

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5. Debt To Equity Ratio

अपना बिज़नेस चलाने के लिए अधिकतर कम्पनीज Loan लेती हैं। लोन दो तरह के होते हैं – Short Term Loan (शार्ट टर्म लोन) जिन्हे एक साल में चुकाना होता है।

दूसरे – Long Term Loan (लॉन्ग टर्म लोन) जिन्हे वे 10 साल तक चुका सकते हैं।

जब कोई कंपनी डिविडेंड देती है तो उसका शेयर प्राइस ऊपर जाता है। क्यूंकि लोग उसके शेयर dividend के लालच में खरीदते हैं।

लेकिन जब वह कंपनी लोन वापस करती है तो शेयर नीचे गिरने लगता है। (Info: Fundamental Analysis Kya Hai) .

अब सारे लोन बुरे नहीं होते। इसलिए यह कैसे पता करें कि कंपनी पर कितना लोन है और क्या वह सही है।

इसके लिए आपको Debt To Equity Ratio देखनी चाहिए। इसका फार्मूला है :

Debt To Equity Ratio = Total Debt / Total Equity

मान लीजिये किसी कंपनी पर 15 लाख का डेब्ट है और उसकी इक्विटी 10 लाख है। तो इसका Debt To Equity Ratio ये हो जाएगी :

Debt To Equity Ratio = 15/10 = 1.5

दोस्तो, आपको ऐसी कंपनी लेनी चाहिए जिस पर कोई Debt ही न हो। लेकिन फिर भी Debt वाली लेनी पड़े तो ऐसी लें जिसकी Debt To Equity Ratio 1.5 से कम ही हो।

6. ROE ( Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi)

ROE का मतलब है Return On Equity . इससे पता चलता है कि कंपनी इन्वेस्टर्स को कितना Return बना कर दे रही है।

आप इसे इस फार्मूला से कैलकुलेट कर सकते हैं :

ROE = Net Profit (Net Income ) / Shareholders Equity

नेट प्रॉफिट आपको कंपनी की Income Statement से मिलता है। हर कंपनी तीन -तीन महीने बाद (Quarterly) अपनी income दिखाती है।

ऐसे ही शरहोल्डर्स इक्विटी, कंपनी की बैलेंस शीट से आप देख सकते है।

इंडियन स्टॉक मार्किट में आप ऐसे stock लें जिनका ROE 20 से 25 % तक रहता है। ये आपके लिए बेस्ट रहेंगे।

7. Dividend

बहुत सी Companies डिविडेंड देती हैं। जब कंपनी को प्रॉफिट होता है तो वह उस प्रॉफिट का कुछ हिस्सा डिविडेंड के रूप में अपने Shareholders को बाँट देती हैं।

लेकिन नयी कम्पनीज ऐसा नहीं करतीं। वह उस प्रॉफिट को अपनी ग्रोथ के लिए लगा देती हैं।

सिर्फ डिविडेंड देखकर किसी कंपनी में न घुस जाएँ । कुछ कम्पनीज लालच देकर आपको फँसाने के लिए भी डिविडेंड दे सकती हैं। इसलिए पूरी Fundamental Analysis करें। Note: Fundamental Analysis Kya Hai , complete guide in Hindi.

8. Face Value

Face Value शेयर की वह कीमत है जो उसके issue होने के दौरान तय किया गया था। समय के साथ यह घट भी सकता है और बढ़ भी सकता है।

बहुत सी कम्पनीज अपनी Face Value को 10 रखती हैं। इसकी वजह से उन्हें अपनी कैलकुलेशन करने में आसानी होती है।

किसी शेयर की मार्किट वैल्यू अगर फेस वैल्यू से भी कम हो गयी हो तो इसका मतलब वह कंपनी बर्बादी की तरफ जा रही है।

उसमें कभी इन्वेस्ट न करें। क्युँकि समय के साथ अच्छे शेयर की Value बढ़नी चाहिए न कि घटनी चाहिए।

Example

आइये अब रिलायंस कंपनी की Fundamental Analysis करते हैं। इसके लिए हम Grow App की मदद लेंगे।
(Screener – Tickertape या Money Control वेबसाइट से भी कर सकते हैं )।

सबसे पहले Grow App पर जाइये और वहाँ Reliance कंपनी पर क्लिक कीजिये। फिर उसके Fundamentals पर क्लिक करें।

आपको ये सारा डाटा मिल जायेगा जिसकी मदद से आप Fundamental Analysis कर सकते हैं। जैसे कि ऊपर के स्टेप्स में बताया गया था।

 Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

Question: दोस्तो , इस डाटा से क्या आप बता सकते हैं कि Reliance इंडस्ट्री Large Cap है या Mid Cap. नीचे कमेंट में बताइये।

[Complete Guide on : Fundamental Analysis Kya Hai in Hindi].

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Part 2 – Fundamental Analysis Kya Hai

दोस्तो, Fundamental Analysis में ज्यादातर रिटेल इन्वेस्टर ऊपर जो Steps बताये गए हैं उन्हें ही
Follow करते हैं।

लेकिन इसके अलावा नीचे और भी टिप्स दिए गए हैं जो आपको ध्यान में रखने चाहियें। बड़े -बड़े Fund houses और Finance institutions के analysts इन्हे भी बारीकी से देखते हैं।

तो आइये इन सभी टिप्स के बारे में पढ़ते हैं।

1. Understand the Basics: हमेशा company की बैलेंस शीट, आय स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट देखें। ये सब आपको कंपनी की वेबसाइट से मिल जाते हैं। ( Fundamental Analysis Kya Hai a retail investor’s guide).

इसके आलावा TickerTape (Screener) वेबसाइट के स्क्रीनर tool पर भी आपको यह सब मिल जाता है। इन सब documents से आपको company की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।

Balance Sheet of Reliance:

 Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

2. Identify the Goal: सबसे पहले अपना Goal स्पष्ट कर लें। क्या आप सिर्फ एक कंपनी की Fundamental Analysis कर रहे हैं। या उस सेक्टर की सभी कम्पनीज की तुलना कर रहे हैं।

जैसे आप बैंकिंग सेक्टर्स के सभी बैंको की पहले तुलना करें। सबकी PE Ratio चेक करें। उनके फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स देखें।

इससे आपको अपना स्टॉक चुनने में मदद मिलेगी। तुलना करने के बाद आप जो भी Bank सलेक्ट करें , फिर उसकी डिटेल में Fundamental Analysis करें।

सब कुछ ठीक होने पर उसमें Long Term के लिए इन्वेस्ट करें। और छोटे – मोटे उतार -चढ़ाव पर ध्यान न दें।

3. Evaluate Financial Statements: कंपनी की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए कंपनी के वित्तीय विवरणों की समीक्षा करें। मुख्य रूप से revenue growth, profitability, debt और cash flow पैटर्न्स पर ध्यान दें।

साथ ही प्रमुख वित्तीय अनुपातों का विश्लेषण करें, जैसे मूल्य-से-कमाई (पी/ई) अनुपात, इक्विटी पर वापसी (आरओई) और ऋण-से-इक्विटी अनुपात, जिनके बारे में ऊपर समझाया गया है।

4. Conduct Industry Analysis: आपने जिस कंपनी का स्टॉक लिया है , उस सेक्टर पर भी नजर बनाये रखें। यह देखें कि फ्यूचर में उन सेक्टरों में क्या होने वाला है।

जैसे मान लीजिये आपने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) का स्टॉक ले रखा है। तो आप EV इंडस्ट्री के ट्रेंड्स को देखें।

यह देखें कि EV की मार्किट बढ़ रही है या घट रही है। डाटा से पता लगाएं कि क्या हर साल लोग EV ज्यादा खरीद रहे हैं या कम । Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

यह भी देखें कि कौन सी कम्पनीज मार्किट में हैं। और Competitors कौन से हैं।

साथ ही एक्सपोर्ट या इम्पोर्ट के डाटा पर भी नजर रखें।

आप मनी कण्ट्रोल वेबसाइट पर इन सब ट्रेंड्स पर नजर रख सकते हैं। साथ ही Economic Times App अपने फ़ोन में रखें। जिसमें आपको Economy से जुडी पल -पल की जानकारी मिलती रहती है।

5. Examine Management and Corporate Governance: कंपनी की management के बारे में भी जानें। जो भी अधिकारी हैं उनकी Qualification और ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में जानें। जिन कम्पनीज के अधिकारी पर कोई Scam आदि का केस हो ऐसी कंपनी से हर हालत में बचें।

क्युँकि उसमें फर्जीवाड़ा हो सकता है। केवल ईमानदार कंपनी के शेयर्स लें। जैसे टाटा पर हर कोई आँख मूँद कर भरोसा करता है। क्यूंकि इतने सालों में कंपनी ने इन्वेस्टर्स का भला ही किया है।

6. Monitor News and Events: कंपनी के अंदर घटित हो रहे events की खबरों पर भी नजर रखें। जैसे regulatory changes, नए product launches, mergers और acquisitions, आदि।

ये सारे इवेंट्स कंपनी के शेयर प्राइस को प्रभावित करते हैं।

7. Valuation: अपने विश्लेषण के आधार पर, कंपनी या निवेश की intrinsic value का अनुमान लगाएं। विभिन्न मूल्यांकन विधियां हैं, जैसे कि discounted cash flow (DCF) analysis, price-to-earnings (P/E) ratio, price-to-book (P/B) ratio, और dividend discount model (DDM)।

ये विधियां आपको यह आकलन करने में सहायता करती हैं कि कोई Stock अधिक मूल्यवान है या सिर्फ देखने में अच्छा लग रहा है। Full guide- Fundamental Analysis Kya Hai .

8. Monitor Risks: निवेश से जुड़े जोखिमों की पहचान करें और उनका आकलन करें। Competition, regulatory changes, technological advancements और operational risk मुख्य तरह के risk होते हैं।

इन जोखिमों को समझने से आपको ठीक निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

9. Make Investment Decisions: अपने विश्लेषण और मूल्यांकन के आधार पर निवेश संबंधी निर्णय लें। फैसला करें कि Share को खरीदना है, hold करना है या बेचना है ।

बहुत से लोग कंपनी में गड़बड़ होने पर भी उसे होल्ड किये रहते हैं और देखते ही देखते उनका पैसा डूब जाता है। इसलिए शेयर मार्किट में एक्टिव रहे न कि सोते रहें।

10. Comparative Analysis: जिस कंपनी का आप विश्लेषण कर रहे हैं, उसके वित्तीय प्रदर्शन को उसके प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना करें। यह तुलना कंपनी की शक्तियों और कमजोरियों के बारे में बताएगी।

जैसे टेलीकॉम के sector में आपको एयरटेल, Jio , BSNL और Vi में तुलना करनी चाहिए। ऐसे ही हर सेक्टर के लिए करें। और एक पेपर पर सब कुछ लिखते रहें।

Article: Fundamental Analysis Kya Hai , easy guide in Hindi.

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11. Qualitative Factors: Quantitative डेटा के अतिरिक्त, क्वालिटेटिव फैक्टर्स (गुणात्मक कारकों) पर भी विचार करें। इसमें कंपनी की ब्रांड प्रतिष्ठा, customer base, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धी लाभ और बाजार स्थिति का मूल्यांकन शामिल है।

किसी कंपनी की दीर्घकालिक सफलता को निर्धारित करने में Qualitative Factors भी अक्सर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

12. Management’s Guidance and Analyst Reports: कंपनी की management’s guidance और analyst report को भी पढ़ें।

कंपनी प्रबंधन अक्सर भविष्य के अनुमान और रणनीतिक योजनाएँ प्रदान करता है जो उनकी अपेक्षाओं और लक्ष्यों का आकलन करने में आपकी मदद कर सकता है।

लेकिन यह रिपोर्ट्स प्रतिष्ठित स्रोतों से होनी चाहिए।

13. Cash Flow Analysis: कंपनी के कैश फ्लो की गुणवत्ता और स्थिरता का मूल्यांकन करने के लिए कंपनी के कैश फ्लो स्टेटमेंट का विश्लेषण करें।

ऑपरेटिंग कैश फ्लो, फ्री कैश फ्लो और समय के साथ उनके रुझानों पर ध्यान दें।

लगातार सकारात्मक नकदी प्रवाह पैदा करने वाली कंपनी को आम तौर पर स्वस्थ माना जाता है।

Reliance Cash Flows (2012-2023):

 Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

14. Debt Analysis: कंपनी के ऋण स्तर (Debt Levels ) और उसके ऋण दायित्वों को प्रबंधित करने की क्षमता का आकलन करें। ( Fundamental Analysis Kya Hai , a guide for retail investors).

ऋण-से-इक्विटी अनुपात, ब्याज कवरेज अनुपात और ऋण परिपक्वता प्रोफ़ाइल देखें। अत्यधिक ऋण जोखिम पैदा कर सकता है, जबकि अच्छी तरह से प्रबंधित ऋण विकास के अवसरों को बढ़ावा दे सकता है।

15. Dividend Analysis: यदि कंपनी लाभांश (Dividend) का भुगतान करती है, तो उसके लाभांश इतिहास, लाभांश उपज और लाभांश भुगतान अनुपात का विश्लेषण करें।

यह विश्लेषण शेयरधारकों को कंपनी की प्रतिबद्धता और समय के साथ लाभांश भुगतान को बनाए रखने की क्षमता का मूल्यांकन करने में मदद करता है।

16. Growth Prospects: भविष्य के विकास के लिए कंपनी की क्षमता का मूल्यांकन करें। विस्तार योजनाओं, नए उत्पाद विकास, बाजार में प्रवेश और संभावित बाजार आकार जैसे points पर विचार करें।

ठोस विकास संभावनाओं वाली कंपनी में निवेश अधिक फायदेमंद होता है।

17. Regulatory Environment: Financial regulations का आकलन करें जो कंपनी के संचालन और उद्योग को प्रभावित करता है। Manual: Fundamental Analysis Kya Hai .

विनियमों में परिवर्तन किसी कंपनी की लाभप्रदता और संभावनाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं। विनियामक विकास और उनके संभावित प्रभाव पर जागरूक रहें।

18. Earnings Quality: कंपनी की कमाई की गुणवत्ता का विश्लेषण करें। स्थायी आय वृद्धि, आवर्ती राजस्व धाराओं और लाभप्रदता ( sustainable earnings growth, recurring revenue streams, और profitability) में निरंतरता के संकेतों को देखें।

रिपोर्ट की गई कमाई की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कंपनी की लेखा पद्धतियों ( Accounting Methods ) की जांच करें।

19. Long-Term Outlook: इंडस्ट्री और कंपनी के लिए लॉन्ग-टर्म आउटलुक पर विचार करें। तकनीकी प्रगति, जनसांख्यिकीय रुझान, बाजार में व्यवधान और संभावित जोखिम जैसे कारकों का मूल्यांकन करें।

बदलते परिवेश में अनुकूल होने और पनपने की कंपनी की क्षमता का आकलन दीर्घकालिक निवेश निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण है। blog: Fundamental Analysis Kya Hai , a guide in Hindi.

20. Historical Performance: कई वर्षों में कंपनी के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन का परीक्षण करें। लगातार विकास के पैटर्न, लाभप्रदता के रुझान और किसी भी महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव या विसंगतियों को देखें।

ऐतिहासिक प्रदर्शन को समझना कंपनी की स्थिरता और लचीलापन के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। और आप समझ सकते हैं की बुरे फेज से कंपनी उबर सकती है या नहीं।

Easy Guide for Retail Investors on : Fundamental Analysis Kya Hai in Hindi.

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21. Market Share and Competitive Advantage: कंपनी के उद्योग के भीतर कंपनी की बाजार हिस्सेदारी और उसके प्रतिस्पर्धी लाभ की ताकत का आकलन करें।

एक महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी और एक स्थायी प्रतिस्पर्धी लाभ वाली कंपनी लंबी अवधि की सफलता के लिए बेहतर स्थिति में है।

22. SWOT Analysis: कंपनी की आंतरिक शक्तियों और कमजोरियों के साथ-साथ बाहरी अवसरों और खतरों की पहचान करने के लिए SWOT विश्लेषण (ताकत, कमजोरियां, अवसर, खतरे) करें।

यह विश्लेषण आपको कंपनी की आर्थिक स्थिति और सुधार के संभावित क्षेत्रों को समझने में मदद करता है।

23. Industry Lifecycle: आप जिस Industry के स्टॉक्स लेना चाहते हैं उसके जीवनचक्र के phase पर विचार करें। यह देखें कि कंपनी कौन से फेज में है। किसी भी कंपनी की Life Cycle के तीन फेज होते हैं – Growth Phase, Mature Phase, और Declining Phase। Fundamental Analysis Kya Hai , Full guide in Hindi.

Growth फेज वाली अच्छी कम्पनीज सबसे ज्यादा return देती हैं। बशर्ते बाकी फैक्टर्स उसके फेवर में हों।

24. Management Interviews: कंपनी के अधिकारियों से सीधे जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके interviews (साक्षात्कार), सम्मेलन में भाषण या शेयरधारक meetings attend करें।

अक्सर GBM में ये लोग कंपनी के Future Plans आदि discuss करते हैं जिनसे शेयर की कीमतों पर प्रभाव पड़ता है।

25. Regulatory and Legal Issues: किसी भी regulatory or legal issues (विनियामक या कानूनी मुद्दों) का मूल्यांकन करें जिसका कंपनी सामना कर रही है।

इसमें मुकदमे, जुर्माना, या कोई भी लंबित कानून शामिल है जो कंपनी के संचालन को प्रभावित कर सकता है।

कानूनी और नियामक चुनौतियाँ कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और प्रतिष्ठा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं। ( Fundamental Analysis Kya Hai , Ultimate guide in Hindi).

जैसे फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी company अमेज़न द्वारा किये गए केस के कारण bankrupt ही हो गयी थी। और उसके निवेशक कंगाल हो गए थे।

26. Analyst Consensus: कंपनी को कवर करने वाले वित्तीय experts की राय और सिफारिशों पर विचार करें। विश्लेषक रिपोर्ट और उनके अनुमान कंपनी की संभावनाओं नया नजरिया प्रदान कर सकते हैं।

हालाँकि, यह आवश्यक है कि आप अपना स्वयं का विश्लेषण करें और केवल विश्लेषक की सिफारिशों पर निर्भर न रहें।

27. Industry-specific Factors: उद्योग-विशिष्ट कारकों से अवगत रहें जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में, Innovations, पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कारकों का महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। Blog – Fundamental Analysis Kya Hai , full guide in Hindi.

कंपनी जिस उद्योग में काम करती है, उसकी गतिशीलता और चुनौतियों को समझें।

28. Economic Cycle: विश्लेषण करें कि कंपनी का प्रदर्शन आर्थिक चक्र से कैसे प्रभावित होता है। कुछ कंपनियां दूसरों की तुलना में आर्थिक उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।

आर्थिक स्थितियों के प्रति कंपनी की संवेदनशीलता को समझने से आपको विभिन्न आर्थिक चरणों के दौरान इसके लचीलेपन का आकलन करने में मदद मिल सकती है।

और आपको पता लग सकता है की कंपनी जल्दी ही उबार सकती है।

29. Continuous Monitoring: मौलिक विश्लेषण एक सतत प्रक्रिया है। कंपनी के वित्तीय वक्तव्यों, समाचार, उद्योग के रुझान (ट्रेंड्स) और किसी भी भौतिक विकास की लगातार निगरानी करें।

सबसे हालिया जानकारी लेकर अपने विश्लेषण को नियमित रूप से अपडेट करें और तदनुसार अपने निवेश निर्णय लें। Fundamental Analysis Kya Hai – A Guide.

30. Economic Factors: शेयर बाजार पर देश की Economic गतिविधियों का भी बहुत असर पड़ता है। सरकार के एक फैसले से शेयर के प्राइस गिर भी सकते हैं या आसमान भी छूने लगते हैं।

इसलिए हमेशा जीडीपी वृद्धि, ब्याज दरों, मुद्रास्फीति ( inflation) और सरकारी नीतियों का मूल्यांकन करें।

समाप्त।

दोस्तो, इस आर्टिकल से आपको पता चल गया होगा कि Fundamental Analysis किसे कहते हैं (Fundamental Analysis Kya Hai). और आप Grow App के माध्यम से इसे आसानी से कर सकते हैं। पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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